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कैलाश पर्वत पर रात बिताना क्यों माना जाता है असंभव? जानिए इसके पीछे की मान्यताएं

कैलाश पर्वत के समीप पहुँचने वाले अनेक लोगों ने ऐसे अलौकिक और रहस्यमयी अनुभव किए हैं, जिन्हें उन्होंने अपनी किताबों में विस्तार से लिखा है। इनमें भारतीय यात्रियों के साथ-साथ कई विदेशी यात्री भी शामिल हैं।

धर्म डेस्क | नेशनल खबर

कैलाश पर्वत: अलौकिक अनुभवों और रहस्यों की भूमि
कैलाश पर्वत के पास जाने वाले कई यात्रियों ने ऐसे अलौकिक और रहस्यमयी अनुभवों का ज़िक्र किया है, जिन्हें उन्होंने अपनी किताबों में दर्ज किया। इन अनुभवों को महसूस करने वालों में भारतीय भी हैं और विदेशी भी।

समय की गति धीमी क्यों हो जाती है?
कई यात्रियों का कहना है कि कैलाश क्षेत्र में समय की गति धीमी महसूस होती है। कुछ घंटों के भीतर ही उनके नाखून और बाल असामान्य रूप से बढ़ जाते हैं, जबकि बाहर ऐसा नहीं होता। स्वामी प्रणवानंद ने अपनी किताब “कैलाश-मानसरोवर: ए डिवाइन जर्नी” (2014) में इसका उल्लेख किया। रूसी वैज्ञानिक डॉ. अर्नस्ट मुल्दाशेव ने अपनी पुस्तक “ह्वेयर डू वी कम फ्रॉम?” (2002) में भी इसी तरह के अनुभवों का वर्णन किया।

अदृश्य दीवार और गर्भ क्षेत्र का रहस्य
कई यात्रियों ने बताया कि जब वे कैलाश के गर्भ क्षेत्र (डोलमा ला दर्रे के पास) तक पहुंचे, तो उन्हें वहां एक अदृश्य दीवार सी महसूस हुई, जिसने उन्हें आगे बढ़ने से रोक दिया। कुछ लोगों को लगा मानो कोई ऊर्जा उन्हें पीछे धकेल रही हो।
जॉन स्नेलिंग की किताब “द सेक्रेड माउंटेन” में तिब्बती साधुओं के हवाले से इसे बताया गया है। स्कंद पुराण के केदारखंड में भी कहा गया है कि कैलाश के केंद्र में केवल दिव्य आत्माएं ही प्रवेश कर सकती हैं।
तिब्बती इसे “देवताओं का सीमा क्षेत्र” मानते हैं और मान्यता है कि अशुद्ध मन वालों को रक्षक आत्माएं भीतर नहीं जाने देतीं।

चुंबकीय प्रभाव और ऊर्जा का रहस्य
रूसी वैज्ञानिक डॉ. मुल्दाशेव और नासा के अध्ययनों के मुताबिक कैलाश के आसपास असामान्य चुंबकीय क्षेत्र और “जियोमैग्नेटिक विकिरण” पाया गया। यह मस्तिष्क में भ्रम पैदा कर सकता है। कुछ शोधकर्ताओं के अनुसार यहां 10 Hz से कम आवृत्ति वाली ध्वनियां (इन्फ्रासाउंड) पैदा होती हैं, जो भय और असामान्य अनुभव पैदा कर सकती हैं।
स्वामी सत्यानंद सरस्वती ने “कैलाश-मानसरोवर: एक रहस्य” में लिखा कि डोलमा ला के पास उन्होंने एक ठंडी हवा का ऐसा झोंका महसूस किया कि उनका शरीर सुन्न हो गया। ब्रिटिश पर्वतारोही कॉलिन विल्सन ने दावा किया कि उनके समूह ने “चमकती दीवार” देखी, जिसे पार करने की कोशिश में सभी को चक्कर और उल्टी होने लगी।

रात में सुनाई देतीं दिव्य ध्वनियां और दिखते प्रकाश गोले
कई यात्रियों ने रात में “ॐ” जैसी गूंजती आवाजें और आकाश में नाचते हुए प्रकाश के गोले देखने का दावा किया। राहुल सिंह ने स्थानीय शेरपाओं के अनुभवों पर आधारित अपनी किताब “माउंट कैलाश: रियलिटी बिहाइंड द मिथ” (2018) में लिखा कि यहां मंत्रों जैसी आवाजें आती हैं और रात में आसमान में चमकते गोले उतरते दिखते हैं।
तिब्बती बौद्ध ग्रंथ “बार्डो थोडोल” में कैलाश को “दिव्य ध्वनियों का स्रोत” कहा गया है। कई यात्रियों ने डोलमा ला दर्रे के पास रात में घंटियों और मंत्रों की आवाजें सुनने और अरोरा जैसी रोशनी देखने की बातें दर्ज कीं।

इस खबर में दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं और परंपराओं पर आधारित है। नेशनल ख़बर इसकी सत्यता की पुष्टि नहीं करता।

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