तीज के तीन रूप: हरियाली, हरतालिका और कजरी तीज में क्या है अंतर, कब-कब आती हैं ये?

तीज का त्योहार हर साल सावन और भाद्रपद के महीनों में बड़े उत्साह से मनाया जाता है। इस दौरान तीन प्रमुख तीज — हरियाली तीज, हरतालिका तीज और कजरी तीज का विशेष महत्व होता है। अक्सर लोग इन तीनों को एक ही मान बैठते हैं, जबकि इनके दिन और महत्व अलग-अलग होते हैं। तो आइए जानते हैं कि इन तीनों तीज में क्या अंतर है और क्यों ये खास मानी जाती हैं।
धर्म डेस्क | नेशनल खबर
सावन शुरू होते ही उत्तर भारत में तीज का उत्सव एक प्रमुख पर्व के रूप में धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन सुहागिन महिलाएं और कुंवारी युवतियां निर्जला व्रत रखकर माता पार्वती और भगवान शिव की पूजा करती हैं। मान्यता है कि माता पार्वती अखंड सौभाग्यवती हैं क्योंकि उनके पति भगवान शिव स्वयं अविनाशी हैं। इसी कारण तीज पर व्रत और पूजा करके महिलाएं अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद पाती हैं, जबकि अविवाहित कन्याएं मनचाहा जीवनसाथी पाने की कामना करती हैं।
तीज के तीन रूप — हरियाली तीज, हरतालिका तीज और कजरी तीज — तृतीया तिथि को ही आते हैं, मगर इनका माह और समय अलग होता है। इनमें से एक तीज सावन में और दो तीजें भाद्रपद माह में पड़ती हैं। तीनों व्रतों का उद्देश्य पति की लंबी उम्र, सुखमय दांपत्य और उत्तम स्वास्थ्य की कामना करना होता है।
हरियाली तीज, हरतालिका तीज और कजरी तीज में क्या अंतर है?
- हरियाली तीज
हर साल सावन मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरियाली तीज मनाई जाती है। इस साल यह पर्व 27 जुलाई 2025, रविवार को पड़ेगा। इस दिन महिलाएं श्रृंगार कर माता पार्वती का पूजन करती हैं और पति की लंबी उम्र की प्रार्थना करती हैं। इस बार तृतीया तिथि 26 जुलाई की रात 10:41 बजे से शुरू होकर 27 जुलाई की रात 10:41 बजे तक रहेगी। - हरतालिका तीज
हरतालिका तीज भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाती है। यह हरियाली तीज से लगभग एक माह बाद आती है और खासकर बिहार और उत्तर प्रदेश में इसका विशेष महत्व है। इस दिन सुहागनें निर्जला व्रत रखकर माता पार्वती और भगवान शिव का पूजन करती हैं। इस मौके पर मायके से सुहाग सामग्री, वस्त्र, मिठाई आदि भी भेजे जाते हैं। - कजरी तीज
कजरी तीज भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को आती है और यह हरियाली और हरतालिका तीज के बीच में पड़ती है। इस दिन भी व्रत और पूजन होता है, लेकिन इसका उत्साह झूलों, लोकगीतों और हरीतिमा के साथ और भी खास हो जाता है।
तीज व्रत कैसे मनाते हैं?
तीज के दिन महिलाएं सूर्योदय से पहले सरगी (हल्का फलाहार) करती हैं और फिर पूरे दिन निर्जला व्रत रखती हैं। इस दौरान पानी, दूध, फल, अन्न आदि का सेवन नहीं किया जाता। शाम के समय दुल्हन की तरह श्रृंगार कर माता पार्वती और भगवान शिव की पूजा की जाती है और तीज व्रत की कथा सुनी जाती है। अगले दिन सूर्योदय के बाद पति के हाथों जल ग्रहण कर व्रत का पारण किया जाता है।
इस खबर में दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं और परंपराओं पर आधारित है। नेशनल ख़बर इसकी सत्यता की पुष्टि नहीं करता।