शिव का प्रिय और विषैला फल: खाने में घातक, लगाने में संजीवनी!

धतूरा का फल अपने विषैला गुणों के लिए जाना जाता है। इसे सीधे सेवन करना खतरनाक हो सकता है, लेकिन आयुर्वेद में इसका उपयोग औषधि के रूप में भी किया जाता है। प्राचीन चिकित्सा पद्धतियों में इसकी खूब प्रशंसा की गई है और इसे कई नामों से जाना जाता है।
धर्म डेस्क | नेशनल खबर
आयुर्वेद में जिन औषधीय पौधों का विशेष महत्व बताया गया है, उनमें से एक है धतूरा। आमतौर पर इसे लोग भगवान शिव को अर्पित करते हैं, क्योंकि इसे शिव का अति प्रिय फल माना जाता है। हालांकि धतूरा जहरीला होता है और इसका सीधा सेवन जानलेवा हो सकता है, लेकिन आयुर्वेद में इसके औषधीय गुणों का भी विस्तार से वर्णन है।
कई नामों से जाना जाता है धतूरा
रायबरेली के राजकीय आयुष चिकित्सालय, शिवगढ़ की प्रभारी चिकित्सा अधिकारी डॉ. स्मिता श्रीवास्तव (बीएएमएस, लखनऊ विश्वविद्यालय) के अनुसार, आयुर्वेद में धतूरा को अलग-अलग नामों से पुकारा जाता है — जैसे मदन, उन्मत्त, शिवप्रिय, महामोही, कृष्ण धतूरा, खरदूषण, शिव शेखर, सविष, सादा धतूरा, धोत्रा, ततूर और दतुरम।
कौन-कौन सी बीमारियों में फायदेमंद?
भारत में धतूरा की कई प्रजातियां पाई जाती हैं, लेकिन केवल कुछ ही प्रजातियां औषधीय उपयोग के योग्य होती हैं। इसके सूखे पत्ते और बीज औषधि के रूप में इस्तेमाल किए जाते हैं। धतूरे में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट गुण कई रोगों में मददगार होते हैं। यह बालों के झड़ने, डैंड्रफ, बवासीर, दमा, छाती और फेफड़ों में जमा कफ, नपुंसकता जैसी समस्याओं में असरकारी माना जाता है।
कैसे करें इस्तेमाल?
जोड़ों के दर्द और पैरों की सूजन: धतूरे की पत्तियों को पीसकर लेप लगाने से आराम मिलता है। इसकी गर्म तासीर मांसपेशियों की सिकाई करती है और दर्द कम हो जाता है।
दमा: धतूरे की पत्तियों को अपामार्ग और जवासा नामक जड़ी-बूटी के साथ मिलाकर चूर्ण बना लें। रोज इसकी महक सूंघने से दमा में राहत मिलती है।
इस खबर में दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं और परंपराओं पर आधारित है। नेशनल ख़बर इसकी सत्यता की पुष्टि नहीं करता।