सत्यवती: मछुआरे की बेटी, पांडवों की पड़दादी और महाभारत की अनसुनी कथा

पांडवों की पड़दादी और अनुपम सुंदर सत्यवती का जन्म महाभारत की सबसे अनोखी घटनाओं में से एक है; कहा जाता है कि वह नदी में गिरे एक राजा के वीर्य से जन्मी थीं।
धर्म डेस्क | National Khabar
महाभारत की शुरुआत जिसकी वजह से हुई: पांडवों की पड़दादी और रहस्यमयी सत्यवती की पूरी कहानी
महाभारत में जिस स्त्री से पूरी कहानी की दिशा तय हुई, वह थीं पांडवों की पड़दादी और अपूर्व सुंदरता की धनी — सत्यवती। उनका जन्म ही बेहद विचित्र था। कहा जाता है कि वह नदी में गिरे एक राजा के वीर्य से उत्पन्न हुईं। आप सोच सकते हैं — क्या ऐसा भी संभव है? महाभारत के समय में जन्म केवल गर्भ से नहीं, बल्कि कई अद्भुत घटनाओं से भी होता था।
सत्यवती के जीवन की एक और रहस्यमयी बात यह थी कि उनके शरीर से मछली की तीखी गंध आती थी। लेकिन बाद में ऐसा क्या हुआ कि वही गंध मोहक और दूर-दूर तक फैलने वाली खुशबू में बदल गई? यही वह स्त्री थीं, जिनके रूप पर हस्तिनापुर के राजा शांतनु मोहित हो गए।
राजा शांतनु का प्रेम और भीष्म की प्रतिज्ञा
सत्यवती को पाने के लिए शांतनु इतने व्याकुल हो गए कि उनके बेटे देवव्रत (भीष्म) ने पिता के सुख के लिए विवाह और संतानों का त्याग कर दिया। तभी से देवव्रत को भीष्म पितामह कहा गया।
शांतनु-सत्यवती के बेटे चित्रांगद और विचित्रवीर्य जल्दी ही चल बसे। फिर महर्षि व्यास के नियोग से अंबिका और अंबालिका से पांडु और धृतराष्ट्र जन्मे और यहीं से पांडव-कौरवों की कहानी शुरू हुई।
सत्यवती का रहस्यमयी जन्म
कथा के अनुसार, चेदि देश के राजा उपरिचर वसु, इंद्र के मित्र और पराक्रमी योद्धा थे। एक दिन वह शिकार के दौरान अपनी पत्नी गिरिका को याद कर कामातुर हो गए। इसी बीच उनका वीर्य निकलकर एक बाज के हवाले कर दिया गया, ताकि वह इसे रानी तक पहुँचा दे। रास्ते में बाज पर हमला हुआ और वह वीर्य नदी में गिर पड़ा।
उसी नदी में एक अप्सरा अद्रिका मछली के रूप में शापित होकर रह रही थी। उसने वह वीर्य ग्रहण कर लिया और गर्भवती हो गई। दस महीने बाद मछुआरों ने जाल में जब वह मछली पकड़ी, तो उसके पेट से एक लड़का और एक लड़की निकली। लड़का राजा को सौंप दिया गया, जो आगे चलकर मत्स्य नामक राजा बना। लड़की वहीं मछुआरे के पास पली-बढ़ी। यही लड़की थी — सत्यवती।
मत्स्यगंधा से योजनगंधा तक
सत्यवती का जन्म मछली के पेट से हुआ था, इसलिए उनके शरीर से मछली की गंध आती थी। इसी कारण लोग उन्हें मत्स्यगंधा कहते। बाद में ऋषि पाराशर से उनका मिलन हुआ। पाराशर ने उन्हें वरदान दिया कि उनके शरीर से आने वाली मछली की गंध हमेशा के लिए हट जाएगी और उसकी जगह मोहक, दूर-दूर तक फैलने वाली सुगंध आ जाएगी।
ऋषि पाराशर से ही सत्यवती को एक पुत्र हुआ — वेद व्यास। व्यास जन्म के बाद ही बड़े हो गए और तपस्या के लिए चले गए। वही व्यास आगे चलकर महाभारत के रचयिता बने।
शांतनु और सत्यवती का विवाह
एक दिन राजा शांतनु यमुना तट पर विचरण कर रहे थे, तभी उन्हें एक अद्भुत सुगंध आई। जब उन्होंने उसका पीछा किया तो सत्यवती तक पहुँचे। शांतनु ने सत्यवती से विवाह का प्रस्ताव रखा। लेकिन उनके पिता ने शर्त रखी कि सत्यवती का पुत्र ही राजा बनेगा। शांतनु इस शर्त को मानने में असमर्थ थे और दुखी होकर लौट आए।
यह बात जब भीष्म को पता चली, तो उन्होंने पिता के सुख के लिए आजीवन अविवाहित रहने और संतानों का त्याग करने की प्रतिज्ञा ली। इसके बाद शांतनु और सत्यवती का विवाह हुआ।
सत्यवती के पुत्र और महाभारत का आरंभ
सत्यवती के पुत्र चित्रांगद युद्ध में मारे गए और विचित्रवीर्य भी बीमार होकर बिना संतान के ही मर गए। तब सत्यवती ने महर्षि व्यास को बुलाया, जिन्होंने विचित्रवीर्य की पत्नियों से नियोग कर पांडु और धृतराष्ट्र को जन्म दिया।
नियोग और महाभारत का मार्ग
प्राचीन काल में नियोग एक वैध परंपरा थी, जब पति संतान न दे सके या अकाल मृत्यु हो जाए। सत्यवती ने महर्षि व्यास से यह काम इसलिए कराया क्योंकि वे खुद उनके पुत्र थे, जिन्हें उन्होंने ऋषि पाराशर से जन्मा था।
सत्यवती से शुरू हुई महाभारत की कहानी
सत्यवती की वजह से ही महाभारत की पूरी गाथा आगे बढ़ी। उनकी वजह से पांडु और धृतराष्ट्र पैदा हुए, जिनके पुत्र पांडव और कौरव कहलाए। यही पांडव और कौरव कुरुक्षेत्र के मैदान में आमने-सामने हुए और महाभारत का युद्ध हुआ।
सत्यवती का जीवन एक अद्भुत गाथा है — एक राजा के वीर्य से नदी में जन्म लेने वाली मछुआरिन, फिर मोहक रानी, ऋषियों की वंदिता और अंततः हस्तिनापुर की महारानी। उन्हीं की कहानी से महाभारत की शुरुआत होती है।
Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है। नेशनल ख़बर इसकी पुष्टि नहीं करता है।