Belpatra and Lord Shiva: त्रिशूल और त्रिनेत्र का प्रतीक क्यों है यह पत्ता?

Belpatra and Lord Shiva: बेलपत्र के बिना भगवान शिव की पूजा को पूर्ण नहीं माना जाता। इसे शिवद्रुम या बिल्व पत्र भी कहा जाता है। पौराणिक ग्रंथ ‘बिल्वाष्टकम्’ में बेलपत्र के महत्व का विशेष रूप से वर्णन किया गया है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि बेलपत्र की उत्पत्ति कैसे हुई और यह शिव जी को इतना प्रिय क्यों है? आइए जानते हैं इस पवित्र पत्ते से जुड़ी आस्था और इसके पीछे की रोचक पौराणिक कहानी।

धर्म डेस्क | National Khabar

सावन का महीना हो, सोमवार या शिवरात्रि – भगवान शिव की पूजा बेलपत्र के बिना अधूरी मानी जाती है। खासतौर पर तीन पत्तियों वाला बेलपत्र शिव जी को बेहद प्रिय होता है। कहा जाता है कि यदि सावन में श्रद्धा से शिवलिंग पर बेलपत्र और जल अर्पित किया जाए, तो भोलेनाथ शीघ्र प्रसन्न होकर भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करते हैं।

लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि बेलपत्र की उत्पत्ति कैसे हुई? यह शिव जी को इतना प्रिय क्यों है? बेलपत्र चढ़ाने से कौन-कौन से लाभ होते हैं और इसमें किस देवता का वास माना गया है?

बेलपत्र: सुख-समृद्धि का संकेत

हिंदू धर्म में बेलपत्र, जिसे बिल्व पत्र या ‘शिवद्रुम’ भी कहा जाता है, का विशेष धार्मिक महत्व है। यह पत्र भगवान शिव के सबसे प्रिय माने जाते हैं और देवी शक्ति को भी बहुत प्रिय हैं। बेल का पेड़ पवित्रता, समृद्धि और संपन्नता का प्रतीक माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के साथ-साथ बेलपत्र का आयुर्वेद में भी खास स्थान है, जहां इसे कई औषधीय गुणों के लिए उपयोग किया जाता है।

बेलपत्र में छुपा है तीन शक्तियों का रहस्य

बेलपत्र की तीन पत्तियां त्रिकोणीय आकार में होती हैं, जो शिव जी के तीन नेत्रों, उनके त्रिशूल या फिर त्रिदेव – ब्रह्मा, विष्णु और महेश – का प्रतीक मानी जाती हैं। इसके अलावा ये सत्व, रज और तम – इन तीन गुणों को भी दर्शाती हैं। शिव को बेलपत्र अर्पित करना केवल एक परंपरा नहीं, बल्कि यह अपने अहंकार, मोह और बंधनों से मुक्ति का संकेत भी होता है।

इस वजह से बेलपत्र है भगवान शिव को सबसे प्रिय

बिल्व पत्र के महत्व का उल्लेख ‘बिल्वाष्टकम्’ श्लोक में मिलता है –
“त्रिदलं त्रिगुणाकारं त्रिनेत्रं च त्रिधायुतम्
त्रिजन्म पाप संहारं, एक बिल्वं शिवार्पणम्”
इसका अर्थ है – तीन पत्तियों वाला, तीन गुणों से युक्त, शिव के तीन नेत्रों और त्रिशूल का प्रतीक बिल्वपत्र, तीन जन्मों के पापों को हरता है और भगवान शिव को अर्पित करने पर अत्यंत पुण्य फल देता है।

अब सवाल ये है कि भगवान शिव को बेलपत्र इतना प्रिय क्यों है?


दरअसल, बेलपत्र की शीतलता और पवित्रता शिवजी की उग्र और रौद्र रूप को शांत करने का कार्य करती है। इसकी त्रिपत्री संरचना न केवल शिव के त्रिनेत्र और त्रिशूल का प्रतीक मानी जाती है, बल्कि यह भक्त की आस्था, भक्ति और समर्पण को भी दर्शाती है। यही वजह है कि बेलपत्र चढ़ाने से भोलेनाथ जल्दी प्रसन्न होते हैं।

बेलपत्र की उत्पत्ति माता पार्वती के पसीने से हुई थी

स्कंद पुराण में बेल वृक्ष की उत्पत्ति को लेकर एक खास कथा मिलती है। इसके अनुसार, एक बार माता पार्वती मंदराचल पर्वत पर कठोर तप कर रही थीं। तपस्या के दौरान उनके मस्तक से कुछ पसीने की बूंदें टपकीं, जिनसे धरती पर बेल वृक्ष उग आया। माता ने इस वृक्ष को ‘बिल्व वृक्ष’ नाम दिया और कहा कि जो भी श्रद्धा से इसके पत्तों से भगवान शिव की पूजा करेगा, उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होंगी। इस कारण बेलपत्र को शिवभक्ति में बहुत पवित्र और फलदायी माना जाता है।

बेलपत्र के पेड़ में देवी-देवताओं का वास होता है

बेल वृक्ष को बेहद पवित्र माना जाता है क्योंकि इसके अलग-अलग हिस्सों में देवी-देवताओं का वास होता है। मान्यता है कि इसकी जड़ों में माता गिरिजा और राधारानी, तने में देवी महेश्वरी, शाखाओं में दक्षायनी और फलों में कात्यायनी निवास करती हैं। इतना ही नहीं, इसके कांटों में भी दिव्य शक्तियों का वास होता है।

शिवजी को बेलपत्र चढ़ाने से क्या होते हैं फायदे?

शिव पुराण में बेलपत्र का विशेष महत्व बताया गया है। मान्यता है कि अगर कोई भक्त श्रद्धा से शिवलिंग पर बेलपत्र अर्पित करता है, तो उसके सारे पाप मिट जाते हैं और उसे मानसिक शांति व आध्यात्मिक लाभ मिलता है।

बेलपत्र: फायदे से भरा प्राकृतिक वरदान

भोलेनाथ को अर्पित किया जाने वाला बेलपत्र सेहत के लिए भी बेहद लाभकारी होता है। आयुर्वेद में बेलपत्र और बेल फल को औषधीय गुणों का खजाना माना गया है। इसमें विटामिन C, विटामिन A, कैल्शियम, पोटैशियम और फाइबर जैसे जरूरी पोषक तत्व भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं, जो शरीर के वात, पित्त और कफ दोषों को संतुलित करने में मदद करते हैं।

आयुर्वेद विशेषज्ञों के अनुसार, बेलपत्र में एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-ऑक्सीडेंट गुण होते हैं, जो पाचन तंत्र को मजबूत बनाते हैं और कब्ज जैसी समस्याओं से राहत दिलाते हैं। मधुमेह के मरीजों के लिए बेल के पत्तों का रस फायदेमंद होता है, क्योंकि यह ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल करने में मदद करता है।

इसके अलावा, बेलपत्र त्वचा रोगों, सांस संबंधी समस्याओं और शरीर में सूजन को कम करने में भी उपयोगी है। गर्मी के मौसम में बेल का शरबत शरीर को ठंडक देता है और डिहाइड्रेशन से बचाता है। इस तरह बेलपत्र न सिर्फ धार्मिक दृष्टिकोण से खास है, बल्कि स्वास्थ्य के लिहाज से भी अनमोल है।

Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है। नेशनल ख़बर इसकी पुष्टि नहीं करता है।

Exit mobile version