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पटना में उद्योगपति गोपाल खेमका की हत्या: जानिए उनका सफर और संघर्ष

बिहार के मशहूर उद्योगपति गोपाल खेमका की हत्या पटना के गांधी मैदान के पास कर दी गई। बड़े बेटे की हत्या से पहले गोपाल खेमका भारतीय जनता पार्टी से जुड़े हुए थे और सक्रिय भूमिका निभाते थे। आइए, जानते हैं उनके जीवन और सफर के बारे में…

Written by Himanshi Prakash, National Khabar

बिहार के जाने-माने उद्योगपतियों में शुमार गोपाल खेमका अब हमारे बीच नहीं रहे। शुक्रवार देर रात वह बांकीपुर क्लब से अपनी कार से लौट रहे थे, जब पटना के गांधी मैदान इलाके के रामगुलाम चौक पर, अपने घर के सामने ही, अपराधियों ने उन्हें गोली मार दी। इस दिल दहला देने वाली घटना की खबर तेजी से सोशल मीडिया पर वायरल हो गई और ट्रेंड करने लगी। लोग गूगल पर उनके बारे में जानकारी खोजने लगे। किसी ने पूछा — गोपाल खेमका कौन थे? तो किसी ने उनके कारोबार के बारे में जानना चाहा। आइए, इन सभी सवालों के जवाब जानते हैं।

मारवाड़ी परिवार से ताल्लुक रखने वाले गोपाल खेमका ने एसबीबीएस से पढ़ाई पूरी कर डॉक्टर की डिग्री हासिल की। पढ़ाई के बाद उन्होंने स्वास्थ्य क्षेत्र में अपने कारोबारी सफर की शुरुआत की। सबसे पहले पटना में मगध हॉस्पिटल की स्थापना की, जो जल्दी ही न सिर्फ पटना बल्कि पूरे बिहार के प्रमुख अस्पतालों में गिना जाने लगा। हॉस्पिटल के सफल होने के बाद उन्होंने कारोबार को और विस्तार दिया।

फ्रेजर रोड, पटना में उन्होंने एक पेट्रोल पंप खोला। इसके बाद हाजीपुर में कार्टन फैक्ट्री शुरू की, जो कुछ ही समय में खूब चल निकली। धीरे-धीरे उन्होंने और भी फैक्ट्रियों में निवेश किया और फिर पटना में एक राइस मिल की भी शुरुआत की।

हालांकि दिसंबर 2018 में बड़े बेटे गुंजन खेमका की हत्या से वह अंदर तक टूट गए। इसके बाद उन्होंने अपने कारोबार को धीरे-धीरे सीमित करना शुरू कर दिया। बताया जा रहा है कि हाल के दिनों में वह फतुहा में एक बड़े प्रोजेक्ट पर काम कर रहे थे।

पटना के व्यवसायियों के मुताबिक, गोपाल खेमका बांकीपुर क्लब के 11 डायरेक्टर्स में से एक थे। इसके अलावा, वह रोटरी क्लब इंटरनेशनल में भी एक अहम पद पर रहे। वह रोज़ाना बांकीपुर क्लब जाया करते थे और शुक्रवार देर रात भी वहीं से लौट रहे थे, जब अपराधियों ने उन्हें निशाना बना लिया। व्यवसायी वर्ग में उनका काफी रसूख था और उनकी गिनती प्रतिष्ठित और प्रभावशाली कारोबारियों में होती थी। उनके निधन से आज बिहार का कारोबारी समाज गहरे सदमे में है।

राजनीतिक दल से भी था जुड़ाव
बिहार में कारोबारी और खासकर मारवाड़ी समाज का स्वाभाविक झुकाव भारतीय जनता पार्टी की ओर माना जाता है। गोपाल खेमका भी इस पार्टी से सक्रिय रूप से जुड़े हुए थे। वह भाजपा के लघु उद्योग प्रकोष्ठ के बिहार प्रदेश संयोजक के पद पर भी रह चुके थे।
हालांकि, जवान बेटे की निर्मम हत्या के बाद वह लंबे समय तक राजनीति और समाज से दूर हो गए। बेटे की हत्या के ग़म और गुस्से में उन्होंने पार्टी से भी दूरी बना ली और कारोबार पर भी पहले जैसा ध्यान नहीं दे पाए। करीब साढ़े छह साल बाद, जब ज़िंदगी पटरी पर लौटने लगी थी, तभी अब उनकी भी हत्या कर दी गई।

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