
गोपाल खेमका हत्याकांड में बिहार पुलिस की विशेष टीम और अपराधियों के बीच मुठभेड़ हो गई। इस दौरान एक आरोपी ने पुलिस पर गोलियां चलाईं। जवाबी कार्रवाई में पुलिस ने उसे ढेर कर दिया। इससे पहले पुलिस ने शूटर उमेश उर्फ विजय को गिरफ्तार कर लिया था।
Written by Himanshi Prakash, National Khabar
बिहार के बड़े उद्योगपति गोपाल खेमका की हत्या के दूसरे आरोपी को पुलिस ने मुठभेड़ में ढेर कर दिया। पूछताछ के लिए पहुंची पुलिस टीम पर आरोपी ने अचानक फायरिंग शुरू कर दी, जिसके बाद पुलिस की जवाबी गोलीबारी में वह मारा गया। इस घटना के बाद पटना में हड़कंप मच गया। पुलिस मामले की जांच और आगे की कार्रवाई में जुटी है। बताया जा रहा है कि घटना के समय आरोपी उमेश के साथ विकास भी मौजूद था। सूत्रों के मुताबिक, पटना पुलिस ने मौके से एक दोपहिया वाहन, हथियार और सुपारी के तौर पर दिए गए करीब तीन लाख रुपये भी बरामद किए हैं।
शूटर विजय की गिरफ्तारी से मिली बड़ी जानकारी
पटना पुलिस ने सोमवार शाम गोपाल खेमका हत्याकांड के शूटर उमेश उर्फ विजय को मालसलामी से गिरफ्तार किया। उससे मिली जानकारी पर पुलिस विकास के ठिकाने पर पहुंची। हिरासत में लेने की कोशिश पर विकास ने फायरिंग की, जवाब में पुलिस ने भी गोली चलाई।
विकास पर शूटर को हथियार देने का आरोप
पटना पुलिस के मुताबिक, सोमवार देर रात करीब ढाई बजे उनकी विशेष टीम दमड़िया घाट पहुंची। पुलिस को देखते ही विकास फायरिंग करते हुए भागने लगा। जवाबी कार्रवाई में पुलिस ने भी गोली चलाई, जिसमें उसकी मौत हो गई। इस मुठभेड़ में कोई भी पुलिसकर्मी घायल नहीं हुआ। पुलिस के अनुसार, 29 वर्षीय विकास उर्फ राजा के खिलाफ पहले से कई आपराधिक मामले दर्ज हैं और वह लंबे समय से पुलिस को चकमा दे रहा था। घटनास्थल से एक पिस्टल और कारतूस बरामद किए गए हैं। पुलिस को आशंका है कि गोपाल खेमका की हत्या के लिए हथियार विकास ने ही शूटर को उपलब्ध कराए थे।
नालंदा के अशोक साव पर हत्या की सुपारी देने का आरोप
शूटर विजय से हुई पूछताछ में खुलासा हुआ कि गोपाल खेमका की हत्या की सुपारी नालंदा निवासी अशोक साव ने दी थी, जो फिलहाल फरार है। पुलिस उसकी गिरफ्तारी के लिए उसके कई ठिकानों पर छापेमारी कर रही है। इस बीच पुलिस उमेश कुमार उर्फ विजय सहनी से लगातार पूछताछ कर रही है। 4 जुलाई की रात उद्योगपति को बांकीपुर क्लब से घर लौटते वक्त रामगुलाम चौक पर गोली मार दी गई।
इस सनसनीखेज वारदात के बाद पटना पुलिस की भारी आलोचना हुई थी और विपक्ष ने भी नीतीश कुमार सरकार को जमकर घेरा था। इस घटना से बिहार सरकार की काफी किरकिरी हुई थी।