Saturday, July 27, 2024
DEVOTIONAL

अक्षरधाम में फूलों की होली

National Khabar Report-Delhi

  • अक्षरधाम में “श्री स्वामिनारायण होली मंगल मिलन” की भक्तिमय बहार
  • अक्षरधाम में फूलदोलोत्सव की धूम

नई दिल्ली, 17 मार्च, 2024 

दिल्ली स्थित अक्षरधाम  मंदिर परिसर के विशाल उद्यान में कल संध्या “श्री स्वामिनारायण होली मंगल मिलन”  उत्सव भव्यतापूर्वक मनाया गया । इस उत्सव हेतु प्रांगण की सजावट में रंग-बिरंगे पुष्पों, इंद्रधनुषी वन्दनवारों तथा रंगीन प्रकाशदीपों का प्रयोग किया गया था इस अवसर पर भगवान स्वामिनारायण तथा अक्षरब्रह्म  गुणातीतानंद स्वामी जी महाराज की मूर्तियों को अलंकृत झूले (हिंडोले) में विराजमान किया गया था । 8000 भक्तों ने इस उत्सव में भाग लिया ।  

बी.ए.पी.एस. अक्षरधाम संस्थान द्वारा इस प्रकार का भव्य आयोजन प्रत्येक वर्ष किया जाता है परंतु इस वर्ष यह समारोह अति विशेष था   आज हजारों श्रद्धालुओं से प्रांगण भरा हुआ था ।  जिसमें सभी वर्ग,आयु, जाति और व्यवसाय के लोग शामिल थे गणमान्य अतिथियों में राजनीति, कला, साहित्य, चिकित्सा, विधि तथा आध्यात्मिक क्षेत्र के अग्रणी थे संतों और धार्मिक अग्रणियों की उपस्थिति ने इस सुअवसर को शोभायमान किया

कार्यक्रम का प्रारंभ शाम पाँच बजे धुन, प्रार्थना एवं कीर्तन-गान से हुआ । आज की  आधुनिक जीवन शैली में संस्कृति और संस्कार के अकाल  से उत्पन्न होने वाली उपाधियों पर युवकों ने मंच पर शिक्षाप्रद संवाद प्रस्तुत किया । रंग, नाटिका और संगीत की त्रिवेणी में जन-समुदाय मंत्रमुग्ध था । हमारे पर्व हिन्दू संस्कृति का गौरव  है । अक्षरधाम के प्रभारी संत पूज्य मुनिवत्सलदास स्वामी जी ने युगों से चले आ रहे होली पर्व के इतिहास पर प्रकाश डाला । साथ ही, उन्होंने भारतीय संस्कारों और मूल्यों के संरक्षण के लिए सत्संग को एकमात्र आधार बताया । संतों ने भारतीय इतिहास से सुमित्रा तथा सुनीति जैसी माताओं का उदाहरण देते हुए बताया की शिशुओं को सभी प्रकार के कुसंग से बचाने हेतु आध्यात्मिकता और सत्संग से जोड़ने की आवश्यकता है। यदि संस्कार नहीं होंगे तो संतति और सम्पत्ति दोनों गवाने का समय आएगा। बी.ए.पी.एस. के वरिष्ठ संत पूज्य धर्मवत्सल स्वामी जी  ने भगवान स्वामिनारायण तथा उनके अनुगामी गुरुओं के समय के फूलदोलोत्सवों के रोचक प्रसंगों को साझा किया । 200 वर्षों से मनाया जा रहा यह परंपरागत उत्सव इस संप्रदाय के लिए अत्यंत महत्त्वपूर्ण है ।

 उत्सव में उपस्थित सभी ने भगवान स्वामिनारायण  की प्रतिमा पर रंगों तथा फूलों से अपना भक्तिभाव  समर्पित किया समारोह का समापन भव्य आरती से हुआ जिसमें दीपकों की रोशनी ने सभा को दीप्त किया तत्पश्चात, महकते फूलों की प्रासादिक पंखुड़ियों से सभी प्लावित हुए। संतो ने  भक्तों पर प्रासादिक आशीर्वाद के पुष्पों का प्रोक्षण किया अंत में सभी ने स्वादिष्ट और पारंपरिक व्यंजनों का महाप्रसाद ग्रहण किया

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