Saturday, July 27, 2024
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भगवान शिव का वो मंदिर जहाँ पहुँचने के लिए देनी होती है मौत को चुनौती !

भगवान शिव को सृष्टि का पालनहार और संघार करने वाला भी मन जाता है। शम्भू की आराधना करना अतयंत कठिन माना जाता है लेकिन इस कठिन आराधना के बाद प्रभु का आशीर्वाद जरूर प्राप्त किया जा सकता है। चलिए आज हम आपको भगवान शिव के एक ऐसे मंदिर के बारे में बात करेंगे जहाँ तक पहुँच पाना बहुत कठिन माना जाता है।

Report by – ज्योति पटेल, नेशनल धर्म

किन्नौर कैलाश पर्वत?

किन्नौर कैलाश पर्वत का अर्थ है -आधा किन्नर और आधा ईश्वर, किन्नौर कैलाश पर्वत की बनावट त्रिशूल जैसी है और एक प्राकृतिक रूप से शानदार पर्वत है। जिसमें ऊंचे शिखर, बर्फीले पहाड़, गहरी घाटियां और सुंदर वन्य जीवन है | किन्नौर कैलाश पर्वत से कई मान्यता जुड़ी हुई है |14 किलोमीटर की चढ़ाई के बाद भोलेनाथ का दर्शन होता है |यह पर्वत समुद्र तल से 24000 m की ऊंचाई पर स्थित है, यह कैलाश पर्वत बर्फीली चादरों से घिरी हुई है |जहां प्राकृतिक सौंदर्य है जिसे पर्यटक दूर-दूर से आते हैं देखने किन्नौर कैलाश पर्वत को कई नाम से जाना जाता है जैसे की किन्नर और हिमाचल प्रदेश में बद्रीनाथ के नाम से भी जाना जाता है | यहां तक महाभारत में किन्नर कैलाश पर्वत को इन्द्रकीलपर्वत के नाम से जाना जाता है |यहां पर भगवान शिव और अर्जुन का युद्ध हुआ था और युद्ध के दौरान अर्जुन को पासुपातास्त्रकी की प्राप्ति हुई | यह भी कहा जाता है कि पांडवों ने वनवास के बाद अंतिम समय यहां पर बिताया था |

क्या मान्यता जुड़ी हुई है किन्नौर कैलाश से

किन्नौर कैलाश पर्वत से कई मान्यता जुड़ी हुई है | कहा जाता है यहां पर देवी पार्वती ने कुंड बनाया था |जहाँ भगवान शिव और देवी पार्वती का मिलन हुआ | जो कुंड स्थान के नाम से प्रचलित है | यहां की मान्यता यह भी है की सर्दियों में ही यहां पर जाना चाहिए क्योंकि सर्दियों के समय सारे देवी देवताओं का वास यहाँ होता है इसीलिए अक्टूबर के महीने में किन्नौर कैलाश पर्वत नहीं जाते हैं | किन्नौर कैलाश पर्वत की मान्यता सिर्फ हिंदू धर्म से नहीं बल्कि बौद्ध धर्म से भी गहरी आस्था रखती है |

चढ़ाई करना क्यों मुश्किल है

किन्नौर कैलाश पर्वत जो की कठिनाइयों से भरा हुआ रास्ता है | जो जंगल से लेकर कटीली पत्थरों से गुजरना पड़ता है और चढ़ाई करते समय अगर आपका पैर 1 इंच भी इधर से उधर हुआ तो जान भी जा सकती है |कहा जाता है कि यहां पर वही भक्त जा सकते हैं जो भगवान शिव जी के भरोसे है और अगर किसी ने यहां के चढ़ाई कर भी ली तो दोबारा जाने की हिम्मत नहीं रखते है | यहां पर जाने के लिए जून और जुलाई का महीना काफी बेहतर होता है क्योंकि वहां पर हमेशा बर्फबारी होती है सर्दियों में जाना ज्यादा मुश्किल और जोखिम से भरा रहता है |

किन्नौर कैलाश पर्वत का रहस्य

किन्नौर कैलाश पर्वत का रहस्य यह है की ये पर्वत धार्मिक और सांस्कृतिक महत्त्व को धारण करता है, जिसे कुछ लोग कैलाश के हमारे जाने माने कैलाश पर्वत से जोड़ते हैं। किन्नौर कैलाश पर्वत यह एक ऐसा पर्वत है जो दिन में तीन बार अपना रंग बदलता है | सूर्योदय के समय पीला दिखाई देता है, संध्या समय लाल रंग,नारंगी रंग में बदल जाता है और रात्रि में काला रंग ढल जाता है |कुछ लोग इसे भगवान शिव के ध्यान का स्थल मानते हैं और इसे पवित्र मानते हैं। कुछ तांत्रिक संस्कृति के साथ जुड़ी मान्यताओं में भी यह पर्वत विशेष महत्त्व रखता है। इसके रहस्यमयी और आकर्षक स्वरूप ने इसे एक प्रसिद्ध स्थल बना दिया है।

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