मनीष सिसोदिया पर सीबीआई जांच होने के क्या कारण ?
रिपोर्ट: प्रज्ञा झा
जहां एक तरफ दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल यह बता रहे हैं दिल्ली में स्वास्थ्य और शिक्षा व्यवस्था कितनी ज्यादा अच्छी हो रही है इस चीज को लेकर न्यूयॉर्क टाइम्स में फ्रंट पेज पर खबर छापी गई वहीं दूसरी तरफ दिल्ली के उपमुखमंत्री मनीष सिसोदिया पर आबकारी नीति में कथित तौर पर भ्रष्टाचार के मामले में सीबीआई का शिकंजा कस चुका है और सीबीआई अधिकारी इस मामले को लेकर उनके घर और 21 अन्य जगहों पर भी छापेमारी की थी। वही अब यह सारा मामला ईडी के पास जा चुका है और मनीष सिसोदिया पर लुकआउट नोटिस भी जारी कर दिया गया है इसका मतलब यह है कि अब मनीष सिसोदिया भारत को छोड़कर और कहीं नहीं जा सकेंगे।
प्रेस कॉन्फ्रेंस कर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया ने इन सभी आरोपों को खारिज कर दिया था। लेकिन बावजूद इसके सिसोदिया और अन्य लोगों पर एफआईआर दर्ज की गई और आईपीसी की धारा 120-बी (आपराधिक साजिश), 477-ए (अनुचित लाभ लेने के लिए अकाउंट्स के साथ फ़र्ज़ीवाड़ा) और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के कुछ प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया था।
आखिर क्या कारण थे सीबीआई जांच होने के?
आबकारी नीति में कथित तौर पर भ्रष्टाचार के मामले एफआईआर दर्ज की गई और इस पूरे मामले में सबसे पहले निशाने पर मनीष सिसोदिया को निशाने पर रखा गया और दूसरे निशाने पर ए गोपी कृष्णा और अन्य लोगों को रखा गया। पर सवाल ये उठता है की सीबीआई की जांच होने का कारण क्या था ? कौनसी वो गलतियां थी जो मनीष सिसोदिया द्वारा की गई जिस कारण सीबीआई ने शिकंजा कसा। ये सारी सूचना दर्ज कराई गई फिर ने सामिल की गई है।
मनीष सिसोदिया और तत्कालीन आबकारी आयुक्त ए गोपी कृष्णा द्वारा लाइसेंस धारकों को अनियमित तरीके से फायदा पहुंचाने और उन्हे फायदा पूछने के लिया सक्षम प्राधिकरण से मंजूरी लिए बीमा आबकारी नीति 2021-22 में बदलाव किए ।
आरोप ये भी लगाया गया था की आबकारी नीति में गेरकानुनी तरीके से बदलाव किए गए है, और लाइसेंस धारकों को फायदा पहुंचाने के लिए नियमों का पालन नहीं किया गया और लाइसेंस फीस और बिना अनुमति के लाइसेंस विस्तार किए गए है।
ये भी पता चला था की कुछ लाइसेंस धारक सरकारी कर्मचारियों तक पैसे पहुंचाने के लिए रिटेल विक्रेताओं को क्रेडिट नोट जारी कर रहे थे।
पूरी नीति को समझने के बाद मंत्रिपरिषद ने कुछ छोटे बड़े बदलाव करने की इजाज़त उपमुख्यमंत्री को दे दी थी। लेकिन तत्कालीन उपराज्यपाल की कहने पर 21 मई 2021 को ये फैसला मंत्रिपरिषद द्वारा वापस ले लिया गया था लेकिन बावजूद इसके आबकारी नीति में बदलाव किए गए थे।
ये भी कहा गया की सीबीआई जांच सुनते ही मनीष सिसोदिया ने आबकारी नीति को वापस ले लिया जिसके चलते ये भी शक की गुंजाइश बनी की इस नीति में कुछ न कुछ गड़बड़ी थी।
कहा ये गया की सबसे बड़ी बात थी की इस नीति के चलते सरकारी खजाने में बहुत ज्यादा प्रभाव पड़ा ।
इन सभी गलतियों के चलते ये सारा मामला सीबीआई के पास चला गया और अब मनीष सिसोदिया और आठ अन्य लोगों पर लुकआउट सर्कुलर जारी कर दिया गया।
यहीं पर अटकलें ये भी लगाई जा रही है की अब कुछ दिनों में ही मनीष सिसोदिया और अन्य लोगों कोहिरासत में लिया जा सकता है।