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कम नहीं हो रही मणिपुर में हिंसा की चुनौती

मणिपुर में हो रही हिंसा के बीच स्थानीय स्तर पर चुनौती बढ़ती जा रही है। गृह मंत्रालय की तरफ से गठित शांति समिति ने जमीनी स्तर पर काम करना शुरू नहीं किया।
दोनों समूहों के नेता साथ बैठने को तैयार नहीं नजर आ रहे हैं। मुख्यमंत्री एन बिरेन सिंह को लेकर असंतोष की वजह से भी शांति की ठोस पहल जमीन पर नजर नहीं आ रही।
गृहमंत्री अमित शाह के दौरे के बाद शांति की ठोस जमीन बनाने की कोशिश की गयी थी, परंतु स्थानीय स्तर पर असंतोष और एक-दूसरे के प्रति भरोसा विखंडन होने के कारण से कुकी और मैतेई समूहों के बीच दरार कम होने का नाम नहीं ले रही है।


जानकारों का कहना है कि हालात बहुत जटिल हैं। उग्रवादी और हिंसा करने वालों के प्रति सख्ती के साथ दोनों समूहों के बीच खाई पाटने के लिए बातचीत ही रास्ता है। इसके लिए केंद्र और राज्य की सामूहिक भूमिका काफी महत्वपूर्ण है।
बीएसएफ के पूर्व एडीजी पीके मिश्रा ने कहा कि स्थानीय स्तर पर दोनों समूहों को भरोसा दिलाना होगा कि शासन-प्रशासन कोई भेदभाव या पक्षपात नहीं कर रहा। बिना बातचीत के हिंसा रुकने वाली नहीं है।

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