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जानिए कैसे थे देश के पहले राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद, आप भी हो जाएंगे उनके जबरा फैन!

डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद देश के पहले राष्ट्रपति बने थे। उन्हें 24 जनवरी 1950 को संविधान सभा की तरफ से यानी सर्वसम्मति से आज़ाद भारत के पहले राष्ट्रपति चुना गया था। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि 24 जनवरी 1950 को ही ‘जन गण मन’ को राष्ट्रगान के रूप में अपनाया गया था।


लेकिन 25 जनवरी की रात राजेंद्र प्रसाद के लिए कठिनाई बनकर सामने आई। उनकी बहन भगवती देवी का निधन हो गया। राजेंद्र प्रसाद 1952 और 1957 में लगातार 2 बार राष्ट्रपति चुने गए, और यह उपलब्धि हासिल करने वाले वे भारत के इकलौते राष्ट्रपति बने।


राजेंद्र प्रसाद ने अपने दौर में कई मिसालें देश के सामने पेश की थीं। उन्हें राष्ट्रपति के रूप में जितना वेतन मिलता था, वे उसका आधा राष्ट्रीय कोष में दान कर देते थे। ये कौतूहल स्वाभाविक है कि आजादी के बड़े नेताओं में एक राजेंद्र प्रसाद के निधन के बाद उनके परिवार का क्या हुआ। उनके बेटे कभी सियासत में आए भी या नहीं।


गांधीजी के अनुरोध करने पर आजादी की लड़ाई में कूंद पड़े और फिर ताजिंदगी साधारण तरीके से जीते हुए निकाल दी। यहां तक कि राष्ट्रपति भवन में जाने के बाद भी उन्होंने हमेशा सादगी को सर्वोपरी रखा। वह पहले ऐसे राष्ट्रपति थे, जो जमीन पर आसन बिछाकर भोजन करते थे। उन्होंने राष्ट्रपति भवन में भी अंग्रेजी तौर-तरीकों को अपनाने से साफ मना कर दिया था।
आखिरी दिन उनके जिस तरह से बीते वो काफी दुखी करने वाले थे। वह पटना के सदाकत आश्रम में रहा करते थे। वहां उनके सही इलाज की भी व्यवस्था नहीं थी। एक राष्ट्रपति की आखिरी दिनों में ये हालत होगी, कोई कल्पना भी नहीं कर सकता। उन्होंने अपना सबकुछ वापस देश को दे दिया।


अगर वह चाहते तो एक वकील के रूप में अच्छी खासी कमाई कर सकते थे। वह वर्ष 1910 के आसपास तक पटना के जाने माने वकील बन चुके थे। अपनी सत्यनिष्ठा, कर्तव्यपरायणता और वकालत के अपने अकूत ज्ञान के लिए उन्हें जाना जाने लगा था। वहीं 1963 में राजेंद्र बाबू की पटना में मृत्यु हो गई।

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