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मुस्लिम महिलाओं पर भारी इस्लामिक कट्टरवाद ! हिजाब के खिलाफ प्रदर्शनकारी को फांसी की सजा

नेशनल खबर,डेस्क रिपोर्ट

मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों को लेकर दमनचक्र जारी है..शरिया कानून की आड़ में मुस्लिम महिलाओं पर अत्याचार बहुत पुराना है..ईरान हो, पाकिस्तान हो या अफगानिस्तान..यहां महिलाओं पर तरह-तरह के प्रतिबंधों ने उनकी जिंदगी नरक से भी बदतर कर दी है. ईरान में हिजाब विवाद पर महसा अमिनी की पुलिस हिरासत में मौत के बाद अब वहां प्रदर्शनकारियों पर सख्त कानूनी कार्रवाई की जा रही है. लोगों को फांसी और उम्र कैद की सजा भी सुनाई जा रही है लेकिन बिडंबना ये है कि इन महिलाओं के समर्थन में वे लोग भी सामने नहीं आ रहे, जो खुद को लिबरल कहते हैं और जिनकी दुकानें महिला अधिकारों के संरक्षण के नाम पर चल रही हैं..


ईरान में 16 सितंबर को शुरू हुआ हिजाब विरोधी प्रदर्शन अब भी जारी है। इस बीच मीडिया रिपोर्ट्स ने दावा किया है कि पहली बार विरोध प्रदर्शन में शामिल एक व्यक्ति को फांसी और 5 लोगों को 10 साल की सजा सुनाई गई है।


तेहरान कोर्ट ने जिस व्यक्ति को सजा देने का फैसला किया है उस पर सरकारी इमारतों में आग लगाने, दंगे भड़काने और राष्ट्रीय सुरक्षा के खिलाफ साजिश करने के आरोप हैं।


बता दें कि ये पूरा विवाद 16 सितंबर को पुलिस कस्टडी में 22 साल की महसा अमिनी की मौत के बाद शुरु हुआ था। दरअसल, 13 सितंबर को महसा अपने परिवार से मिलने तेहरान आईं थी। उन्होंने हिजाब नहीं पहना था। पुलिस ने तुरंत महसा को गिरफ्तार कर लिया। गिरफ्तारी के 3 दिन बाद उनकी मौत हो गई।


यहां पर यह भी जानना जरूरी है कि हमारे देश के वाम- बुद्धिजीवी, फेमिनिस्ट, सोशल मीडिया सेलिब्रिटीज और फ़िल्म एवं राजनीति जगत के वो लोग जो भारत में मुस्लिम महिलाओं से जुड़ी हर छोटी-छोटी घटना को गला फाड़-फाड़कर बताते हैं, ट्विट्स की झड़ी लगा देते हैं। आज इस घटना के बाद उनके मुंह में दही जम गया है और उनके दोगले चरित्र को समझने का यही सबसे अच्छा मौका है..

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