नज़र कमजोर हो रही है? इन संकेतों को न करें नजरअंदाज

आंखें हमारे जीवन का एक बहुत ही नाज़ुक और अहम हिस्सा हैं। जब तक इनमें कोई दिक्कत नहीं आती, हम अक्सर इनकी देखभाल को नजरअंदाज कर देते हैं। लेकिन छोटी-छोटी परेशानियां भी कभी-कभी बड़ी समस्या की शुरुआत हो सकती हैं। इसलिए यह जानना जरूरी है कि आंखों की रोशनी कमजोर होने के पीछे क्या कारण हो सकते हैं, इसके कौन-कौन से संकेत होते हैं, और कब हमें अपनी आंखों की समस्या को गंभीरता से लेते हुए डॉक्टर से जांच करानी चाहिए।
Written by: Himanshi Prakash, National Khabar
आँखों की रोशनी कमजोर होने के पीछे कई कारण हो सकते हैं, जिनमें मोतियाबिंद, ग्लूकोमा, डायबिटिक रेटिनोपैथी, मैक्युलर डिजनरेशन और गलत जीवनशैली प्रमुख हैं। मोतियाबिंद में आँख के लेंस में धुंधलापन आ जाता है, जिससे नजर धुंधली हो जाती है। ग्लूकोमा में ऑप्टिक नर्व को नुकसान पहुंचता है, जिससे दृष्टि कमजोर हो सकती है। इसके अलावा, अधिक स्क्रीन देखने का समय, पोषण की कमी और धूम्रपान भी आँखों की रोशनी घटाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
अगर किसी व्यक्ति को लगातार धुंधला दिखाई देने लगे—चाहे पास की वस्तुएं हों या दूर की—तो यह आंखों में किसी दृष्टिदोष का संकेत हो सकता है। ऐसी स्थिति में तुरंत नेत्र विशेषज्ञ से संपर्क करना जरूरी है, क्योंकि समय रहते चश्मे का इस्तेमाल या अन्य उपचार से दृष्टि को सुरक्षित रखा जा सकता है। इसी तरह, अगर अचानक आंखों के सामने अंधेरा छा जाए या देखने में तेज गिरावट आए, तो यह एक गंभीर चेतावनी हो सकती है। ऐसी हालत में देर करना नुकसानदायक साबित हो सकता है।
नज़र कमजोर होने पर दिखाई देते हैं ये संकेत:
अगर किसी व्यक्ति को लगातार पास या दूर की चीज़ें धुंधली दिखाई देने लगें, तो यह दृष्टिदोष का संकेत हो सकता है। ऐसी स्थिति में तुरंत नेत्र विशेषज्ञ से सलाह लेनी चाहिए, क्योंकि समय रहते चश्मे का उपयोग या अन्य उपचार से दृष्टि को सुरक्षित रखा जा सकता है। वहीं, अगर अचानक देखने की क्षमता कम हो जाए या कुछ समय के लिए आंखों के आगे अंधेरा छा जाए, तो यह एक गंभीर संकेत हो सकता है, जिसमें देर करना जोखिम भरा हो सकता है।
आँखों में लगातार जलन, खुजली या लाली होना इस बात का संकेत हो सकता है कि आपकी आँखों को खास देखभाल की ज़रूरत है। ये लक्षण एलर्जी, संक्रमण या ड्राय आई सिंड्रोम की ओर इशारा कर सकते हैं। ऐसी स्थिति में खुद से इलाज करने के बजाय नेत्र चिकित्सक से परामर्श लेना ज़्यादा सुरक्षित होता है। अगर आँखों से लगातार पानी आए या आंसू बहते रहें, तो यह भी किसी आंतरिक समस्या का संकेत हो सकता है।
अक्सर लोग सिरदर्द को सामान्य तनाव समझकर नजरअंदाज कर देते हैं, लेकिन अगर सिरदर्द के साथ-साथ आँखों में भारीपन या दर्द भी महसूस हो रहा हो, तो यह किसी नेत्र रोग का संकेत हो सकता है, जिसे नज़रअंदाज़ नहीं किया जाना चाहिए।
नज़र कमजोर होने से बचने के आसान तरीके
अगर बच्चों में पढ़ाई के दौरान आँखें मिचमिचाना, बार-बार आँखें मलना या बहुत पास से टीवी देखना जैसी आदतें नज़र आएं, तो यह संकेत हो सकता है कि उनकी दृष्टि कमजोर हो रही है। ऐसे में तुरंत नेत्र परीक्षण कराना जरूरी होता है।
इसके अलावा, डायबिटीज़ और हाई ब्लड प्रेशर से पीड़ित लोगों को भी नियमित अंतराल पर आँखों की जांच करानी चाहिए, क्योंकि ये बीमारियाँ आँखों की नसों को नुकसान पहुँचा सकती हैं। वहीं, बुज़ुर्गों को साल में कम से कम एक बार नेत्र परीक्षण अवश्य कराना चाहिए, ताकि मोतियाबिंद जैसी उम्र संबंधी समस्याओं का समय रहते पता चल सके और उनका उपचार हो सके।
इसके अलावा, जीवनशैली को संतुलित और स्वस्थ बनाना बेहद ज़रूरी है। आँखों की रोशनी बनाए रखने के लिए संतुलित और पौष्टिक आहार लें, नियमित रूप से आंखों के व्यायाम करें, और टीवी या मोबाइल स्क्रीन के अत्यधिक इस्तेमाल से बचें।
डिस्क्लेमर: यह लेख केवल सामान्य जानकारी प्रदान करने के उद्देश्य से लिखा गया है। स्वास्थ्य संबंधी किसी भी समस्या या उपचार से पहले कृपया अपने चिकित्सक या योग्य स्वास्थ्य विशेषज्ञ से सलाह अवश्य लें। नेशनल खबर इस जानकारी की पूर्ण सत्यता, सटीकता या प्रभाव के लिए कोई जिम्मेदारी नहीं लेता है।