एडिटोरियल

ताजमहल या तेजोमहालय ? ताजमहल में बंद 22 कमरों का खुल गया राज ?

रिपोर्ट- भारती बघेल

दुनिया का सातवां अजूबा प्यार की निशानी और अद्भुत कलाकारी लोगों के मन में ताजमहल की यही छाप बैठी हुई है। 1632 में मुगल शासक शाहजहां ने अपनी बेगम मुमताज के निधन के बाद इसे बनवाना शुरू किया था। हम तो बचपन से किताबों में यही पढ़ते आ रहे हैं। लेकिन अब जो बातें ताजमहल को लेकर की जा रही हैं वह सीधे -सीधे किताबों में लिखी हुई बातों को चुनौती देती है।

ताजमहल और उसके नीचे बने 22 कमरों से जुड़ा वो राज आखिर क्या है? जिसे जानने के लिए देशभर में फिर से बहस छिड़ गई है। चलिए आपको सबसे पहले बताते हैं कि यह पूरा विवाद है क्या? और यह शुरू कब हुआ? कई पत्रकारों का कहना है कि ताजमहल वाली जगह पर एक शिव मंदिर हुआ करता था,जिसे तेजो महल या तेजो महालय कहा जाता था। इतिहासकार दावा करते हैं कि शाहजहां ने महादेव के मंदिर को तोड़कर उसकी जगह ताज महल बनवा लिया। बस इसी को लेकर भाजपा नेता डॉ रजनीश सिंह ने इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच में एक याचिका दायर की।

इस याचिका में मांग की गई कि ताजमहल के ठीक नीचे बने 22 कमरों को खोला जाए, ताकि यह पता चल सके कि उन कमरों में देवी- देवताओं की मूर्तियां और शिवालय है या नहीं। 1960 से 70 के दशक में ताजमहल पर एक मराठी किताब लिखी गई जिसका नाम था ताजमहल द ट्रू स्टोरी। और इसे लिखा था पीएन ओक ने। उन्होंने अपनी किताब में कहा था कि ताजमहल वास्तव में तेजो महालय है, जिसका निर्माण 1155 में किया गया था। उनके मुताबिक तब वहां पर एक शिव मंदिर हुआ करता था।

ओक के मुताबिक मुगलों के भारत आने से पहले ही आगरा में एक भव्य स्मारक मौजूद था। इस किताब में राजा मान सिंह के पोते जय सिंह का भी जिक्र था। जिन के हवाले से ताजमहल में गणेश, कमल के फूल और सर्प के आकार की कई आकृतियां दिखाई देने का दावा किया गया। हालांकि पीएन ओक के तथ्यों और सवालों को कोर्ट से कभी मान्यता नहीं मिली।

साल 2000 में सुप्रीम कोर्ट ने पीएन ओक की उस मांग को खारिज कर दिया था जिसमें वह ताजमहल को एक हिंदू मंदिर घोषित करना चाहते थे। तो फिर सवाल यही है कि ताजमहल के 22 कमरों का राज क्या है। दावा किया जाता है कि ताजमहल में मुख्य मकबरे और चमेली फर्श के नीचे 22 कमरे बने हुए हैं। जिन्हें बंद कर दिया गया है। यह कमरे मुगल काल से बंद है। आखरी बार इन कमरों को 1934 में खोला गया था। तब यहां केवल निरीक्षण किया गया था। बस तभी से ही यह 22 कमरे एक पहेली बनकर ही रह गए हैं।

इसी विवाद के बीच भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग यानी एएसआई ने कमरों की तस्वीरों को सार्वजनिक कर दिया है। यह तस्वीर है जनवरी 2022 की, जिन्हें एएसआई ने अपनी साइट पर भी शेयर किया है। इन तस्वीरों को साझा करने का मक्सद कमरों को लेकर फैलाई जा रही अफवाहों को रोकना है। इन तस्वीरों में कहीं पर भी देवी देवताओं की मूर्तियां नजर नहीं आ रही है। उधर हाईकोर्ट ने भी कमरों को खोलने की मांग पर सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता को कड़ी फटकार लगाते हुए याचिका खारिज कर दी।

यहां कई सवाल खड़े हो रहे हैं। ताज महल या तेजोमहालय? क्या सच में यह भगवान शिव का मंदिर था? ताजमहल के कारीगरों के वंशज क्या कहते हैं? क्या वाकई में ताजमहल के बंद कमरों में बंद है कई राज? जबसे ताजमहल के बंद कमरों को खोलने के लिए याचिका डाली दी गई है तबसे फिर इससे जुड़े तथ्य भी सामने आने लगे हैं। इस प्यार के प्रतीक को बनाने वाले कारीगर तो अब जिंदा नहीं है, लेकिन उनके वंशज जरूर मौजूद है। जो बता सकते हैं कि ताजमहल का सच क्या हो सकता है?

ताजमहल को बनाने वाले कारीगरों के जेनरेशन के लोग जो आज भी आगरा में ही रहते हैं, उनमें से एक है हाजी ताहिरुद्दीन। कहा जाता है कि इनका नाता ताजमहल के कारीगरों से ही है। अब यह पत्थर पर हाथ के काम की नकाशी करते हैं। 80 साल के ताहिरुद्दीन ने मीडिया चैनल से बात करते हुए कई बड़े खुलासे किए हैं। वह ताजमहल के कई साल तक गाइड भी रहे हैं।

ताहिरुद्दीन कहते हैं इन दिनों चर्चा में रहने वाले ताजमहल के 22 कमरे कब्र के नीचे बने हैं। अभी एएसआई इन कमरों को स्टोरेज की तरह इस्तेमाल करता है। पहले तो यह कमरे जूते चप्पल रखने के काम आते थे। लेकिन फिर भीड़ बढ़ने लगी तो इन्हें बंद कर दिया गया। एएसआई बीच-बीच में कमरों को खोल कर इनकी साफ सफाई कराती रहती है।

ताहिरुद्दीन ने बताया कि यह सच है कि ताजमहल कुओं पर बना है। कुएं के पानी से संगमरमर ठंडा रहता है। और उसे जोड़ने के लिए जो चुना इस्तेमाल किया गया वह भी मजबूत होता है। कुए आपस में जुड़े हुए हैं। कुओं का पानी ओवरफ्लो भी नहीं होता है। पास की यमुना से कुओं के पानी का कनेक्शन है।

वही इस पर जर्नलिस्ट और आर्केलॉजी एक्सपर्ट डॉ. भानु प्रताप सिंह ने अलग दावा किया है। सबसे पहले तो उनका दावा है कि उन्होंने ताजमहल को पूरा देखा है। कभी उन 22 कमरों को खोला नहीं गया। डॉक्टर भानु प्रताप सिंह के मुताबिक 1931 में कुछ अंग्रेजों ने वह कमरे देखे ऐसा मैंने सुना है। एएसआई कोई खतरा मोल नहीं लेना चाहता। इसलिए इन कमरों को नहीं खोलता। ताजमहल पहले खोला गया था तब वहां कमरे और टॉयलेट बने थे।

डॉक्टर भानु प्रताप सिंह का दावा है कि ताजमहल में हिंदू चिन्ह मिलते हैं। कहते हैं चारों ओर परिक्रमा पथ बना है जो केवल मंदिरों में होता है। ऐसा लगता है कि दीवारों से कमरों को बंद किया गया है। एसआई वहां उत्खनन कर सकता है। ताजमहल में राम मोहन जैसे नाम खुदे हुए मिलते हैं। कोर्ट कमिश्नर की देखरेख में सर्वे होना चाहिए।

मतलब ताजमहल से जुड़ा अभी बहुत कुछ ऐसा है जिससे दुनिया अनजान है। सोचिए दुनिया का सातवां अजूबा है तब भी लोग अभी तक इसके बारे में नहीं जानते हैं। और जितना जानते हैं वह भी सच है या सिर्फ एक कहानी भर है, इसको लेकर भी कुछ नहीं कहा जा सकता। वैसे आप का ताजमहल से जुड़े हुए विवाद को लेकर क्या कुछ कहना है हमें कमेंट करके जरूर बताएं। और नेशनल खबर की इस वेबसाइट पर जानकारी से भरे ऐसे तमाम आर्टिकल पढ़ते रहें।

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