शिमला समझौता खत्म? पाकिस्तान के अंदर बयानबाज़ी और भ्रम की स्थिति जारी

भारत-पाकिस्तान के बीच 1972 में हुआ शिमला समझौता अब पूरी तरह खत्म हो चुका है। एक पाकिस्तानी न्यूज़ चैनल को दिए इंटरव्यू में पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ने कहा कि यह समझौता अब केवल एक “Dead Document” रह गया है।
Written by: Himanshi Prakash, National Khabar
ख्वाजा आसिफ ने यह भी कहा कि भारत और पाकिस्तान के बीच अब हालात पहले जैसे नहीं रहे और अब लाइन ऑफ कंट्रोल (LoC) को सीजफायर लाइन माना जाना चाहिए। साथ ही उन्होंने यह भी संकेत दिया कि पाकिस्तान अब भारत के साथ विवादों को द्विपक्षीय नहीं बल्कि बहुपक्षीय और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उठाने की दिशा में बढ़ेगा।
1971 में हुए भारत – पाकिस्तान युद्ध हुआ इस युद्ध में भारत ने पाकिस्तान को बुरी तरीके से हराया। उस युद्ध में भारत ने पाकिस्तान के 93,000 सैनिको को बंधी बना लिया था , शिमला समझौता भारत और पाकिस्तान के बीच 2 जुलाई 1972 को शिमला (हिमाचल प्रदेश) में हुआ एक ऐतिहासिक द्विपक्षीय समझौता था। यह समझौता 1971 के भारत-पाक युद्ध के बाद शांति और स्थिरता बहाल करने के उद्देश्य से भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी और पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति जुल्फिकार अली भुट्टो के बीच संपन्न हुआ। इस समझौते के तहत दोनों देश आपसी विवादों को शांतिपूर्ण ढंग से और द्विपक्षीय बातचीत के माध्यम से सुलझाने पर सहमत हुए। 1971 में भारत द्वारा कैद किये गए पाकिस्तानी सैनिको को बाद में भारत ने रिहा कर दिया और कब्जा की गयी जमीन को मुक्त कर दिया था। साथ ही, युद्ध के बाद बनी नियंत्रण रेखा को “लाइन ऑफ कंट्रोल” (LoC) के रूप में मान्यता दी गई। इस समझौते में यह भी तय हुआ कि दोनों देश एक-दूसरे की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करेंगे। शिमला समझौता कश्मीर सहित कई मुद्दों पर पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मंचों से दूर रखने में भारत के लिए एक मजबूत आधार रहा है। हालांकि हाल के घटनाक्रमों में पाकिस्तान द्वारा इसे “Dead Document” बताने से दोनों देशों सहित अमेरिका तक तनाव फिर बढ़ गया है। फ़िलहाल पाकिस्तान को अपने ही रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ द्वारा 1972 के शिमला समझौते और भारत के साथ अन्य द्विपक्षीय समझौतों के भविष्य को लेकर किए गए गलत दावों का खंडन करना पड़ा। पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने गुरुवार को स्पष्ट किया कि शिमला समझौता सहित भारत के साथ किसी भी समझौते को रद्द करने का कोई औपचारिक निर्णय नहीं लिया गया है।
अब सवाल ये है की ऐसे बयानों के चलते पाकिस्तान पर भरोसा करना चाहिए ? और भरोसा किया किसपर जाए पाकिस्तान की मीलिटरी पर , पाकिस्तान के रक्षा मंत्री पर ? जो खुद ही बहुत कन्फ्यूज्ड हैं इनकी बयान ये साफ़ जाहिर होता है की इन्हें यह ही नहीं पता शिमला समझौता आखिर है क्या और इसे क्यों लागू किया गया था।
22 अप्रैल के पहलगाम हमले के बाद भारत ने सिंधु जल संधि रोकी, जिसके जवाब में पाकिस्तान ने पहले शिमला समझौता स्थगित किया और अब उसे खत्म करने का ऐलान किया है। लेकिन यह फैसला पाकिस्तान के लिए भारी पड़ सकता है, क्योंकि 1971 युद्ध में कब्जाए गए कश्मीर के चुंब सेक्टर पर अब भारत फिर से दावा कर सकता है, जिसे शिमला समझौते के तहत पाकिस्तान के पास छोड़ा गया था।