Health Tips: कांच की बोतलें क्या वाकई सुरक्षित हैं? नए शोध ने खोल दी चौंकाने वाली सच्चाई

Health Tips: जब भी हम पानी या किसी भी ड्रिंक को स्टोर करने की बात करते हैं, तो ज़्यादातर लोग कांच की बोतलों को प्लास्टिक से बेहतर और सुरक्षित विकल्प मानते हैं। इन्हें ईको-फ्रेंडली, सेहतमंद और टिकाऊ समझा जाता है। लेकिन फ्रांस की फूड सेफ्टी एजेंसी ANSES (Agence nationale de sécurité sanitaire de l’alimentation, de l’environnement et du travail) द्वारा किए गए ताज़ा अध्ययन ने इस सोच को पूरी तरह झकझोर कर रख दिया है।
Written by Himanshi Prakash , National Khabar
कांच की बोतलें: माइक्रोप्लास्टिक का नया स्रोत?
ANSES की स्टडी बताती है कि जिन कांच की बोतलों को हम प्लास्टिक से ज़्यादा सुरक्षित मानते हैं, उनमें माइक्रोप्लास्टिक की मात्रा कहीं ज्यादा हो सकती है। वैज्ञानिकों को भी इस अध्ययन के शुरुआती नतीजों पर यकीन नहीं हुआ क्योंकि उम्मीद इसके ठीक उलट थी।
स्टडी में क्या मिला?
शोध के दौरान पता चला कि कोल्ड ड्रिंक, नींबू पानी, आइस टी और बीयर जैसी पेय पदार्थों की कांच की बोतलों में प्रति लीटर औसतन 100 माइक्रोप्लास्टिक कण पाए गए। ये आंकड़ा प्लास्टिक और मेटल के डिब्बों की तुलना में 50 गुना अधिक था।
असली गुनहगार: ढक्कन या उसका पेंट?
शोधकर्ताओं ने पाया कि इन प्लास्टिक कणों की बनावट और रंग अक्सर बोतलों के धातु के ढक्कनों के बाहरी पेंट से मिलते-जुलते थे। यानी, पेय पदार्थों में मिलने वाले अधिकांश माइक्रोप्लास्टिक, ढक्कन के पेंट से आ रहे हैं — न कि खुद कांच से।
कौन-सी ड्रिंक सबसे ज्यादा दूषित?
- बीयर की बोतलों में सबसे अधिक कण मिले – औसतन 60 प्रति लीटर
- नींबू पानी में लगभग 40% कण पाए गए
- शोध में पाया गया कि सोडा पानी कांच की बोतलों में अधिक सुरक्षित रहता है – इनमें प्रति लीटर केवल 4.5 माइक्रोप्लास्टिक कण पाए गए, जबकि प्लास्टिक की बोतलों में यह संख्या 1.6 कण प्रति लीटर थी।
दिलचस्प बात यह रही कि वाइन की बोतलों में माइक्रोप्लास्टिक कम पाया गया क्योंकि उनमें कॉर्क स्टॉपर होते हैं, मेटल कैप नहीं। क्या है समाधान?
ANSES के शोध निदेशक गुइलौम डुफ्लोस के अनुसार, ढक्कनों को इथेनॉल-पानी के घोल से साफ करने या अच्छी तरह धोने से माइक्रोप्लास्टिक की मात्रा को कम किया जा सकता है।
Microplastic का बढ़ता खतरा
पिछले कुछ सालों में प्लास्टिक उत्पादन ने विस्फोटक रूप से बढ़ते हुए 1950 में 1.5 Million टन से 2022 में 400 Million टन का आंकड़ा पार कर लिया है। Microplastic समुद्रों से लेकर हवा, मिट्टी और हमारे शरीर तक पहुंच चुका है — यह इंसानों के दिमाग, प्लेसेंटा और समुद्री जीवों के पेट में भी मिल चुका है।
अब यह सोचना जरूरी हो गया है कि सिर्फ “कांच” का लेबल किसी चीज़ को सुरक्षित नहीं बनाता। हमें यह समझने की ज़रूरत है कि पैकेजिंग का हर हिस्सा खासकर ढक्कन और उसका पेंट हमारी सेहत को प्रभावित कर सकता है। आने वाले समय में सिर्फ “कांच की बोतल” कह देना काफी नहीं होगा, बल्कि उसके निर्माण की हर परत को ध्यान में रखना पड़ेगा।
तो अगली बार जब आप एक कांच की बोतल उठाएं, तो उससे पहले दो बार सोचिए — क्या वह वाकई सुरक्षित है?