अश्विनीकुमार: वो जुड़वां देवता, जो देवताओं को भी देते थे आरोग्य
आज पूरे देश में नेशनल डॉक्टर्स डे धूमधाम से मनाया जा रहा है

आज पूरे देश में नेशनल डॉक्टर्स डे धूमधाम से मनाया जा रहा है। इस खास मौके पर हम आपको बताने जा रहे हैं उन दिव्य चिकित्सकों के बारे में, जिन्हें हिंदू धर्म में देवताओं के वैद्य कहा जाता है—अश्विन कुमार। इनका उल्लेख विभिन्न धर्मशास्त्रों और वेदों में मिलता है, जहां इन्हें रोगों के निवारक और चिकित्सा के देवता के रूप में पूजा जाता है।
Written by Himanshi Prakash , National Khabar
हिंदू धर्म के शास्त्रों और पुराणों में 33 कोटि देवी-देवताओं का वर्णन मिलता है, जिनमें अश्विन कुमार भी एक प्रमुख स्थान रखते हैं। आप इंसानों और जानवरों के डॉक्टरों के बारे में तो जानते ही होंगे, लेकिन क्या आप जानते हैं कि स्वयं देवताओं के भी वैद्य होते हैं? इस लेख में हम आपको बताएंगे उन दिव्य चिकित्सकों के बारे में—अश्विन कुमार, जो न केवल मनुष्यों बल्कि देवताओं को भी आरोग्य प्रदान करते हैं। माना जाता है कि उनकी कृपा से आयुर्वेद में हर रोग का उपचार संभव है।
देवताओं के वैद्य: कौन हैं अश्विनीकुमार?
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, अश्विनीकुमार एक नहीं बल्कि दो जुड़वां भाई हैं, जिन्हें अश्विनौ या अश्विनीकुमार कहा जाता है। ये दोनों देवता चिकित्सा, स्वास्थ्य, उपचार, विज्ञान और गोधूलि के देवता माने जाते हैं। इन्हें देवताओं के प्रमुख वैद्य कहा गया है, जो असाध्य रोगों को भी दूर करने की क्षमता रखते हैं।
अश्विनीकुमारों की उत्पत्ति
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, अश्विनीकुमार भगवान सूर्य और उनकी पत्नी संज्ञा के पुत्र हैं। इनका जन्म एक अश्व (घोड़ी) के रूप में परिवर्तित संज्ञा से हुआ था, इसलिए इन्हें अश्विनीकुमार कहा गया। इनके मूल नाम नासत्य और दस्त्र हैं, परंतु लोकप्रिय रूप से दोनों को सामूहिक रूप से अश्विनीकुमार कहा जाता है।
जुड़वां देवता और उनका स्वरूप
धर्मशास्त्रों में अश्विनीकुमारों को युवा, सुंदर और तेजस्वी घुड़सवारों के रूप में चित्रित किया गया है। वे सदा सेवा के लिए तत्पर रहते हैं और रोगों को दूर करने वाले माने जाते हैं।
चिकित्सा और आयुर्वेद में योगदान
ऐसा माना जाता है कि अश्विनीकुमारों को सबसे पहले चिकित्सा का ज्ञान प्राप्त हुआ था। उन्होंने यह दिव्य ज्ञान दक्ष प्रजापति से प्राप्त किया और बाद में अश्विनी संहिता की रचना की।
इसके अतिरिक्त, उन्होंने महर्षि दधीचि से ब्रह्मविद्या का उपदेश भी लिया, जिसके बाद उन्होंने आयुर्वेद में मंत्रों का समावेश किया। इसी कारण आज भी आयुर्वेद में मंत्रों के माध्यम से रोग निवारण को प्रभावी माना जाता है।
भगवान धन्वंतरि से संबंध
मान्यता है कि अश्विनीकुमारों ने चिकित्सा और आयुर्वेद से जुड़ी कई महत्वपूर्ण जानकारियाँ भगवान धन्वंतरि तक पहुँचाईं। इस कारण उन्हें आयुर्वेद के प्रारंभिक प्रचारक और रक्षक भी माना जाता है।
अश्विनीकुमार केवल देवताओं के वैद्य नहीं, बल्कि संपूर्ण चिकित्सा विज्ञान के आदि स्रोत माने जाते हैं। उनका योगदान आयुर्वेद, चिकित्सा पद्धति और आध्यात्मिक उपचार में अमूल्य है, जो आज भी श्रद्धा और विश्वास के साथ स्मरण किया जाता है।