
दिल्ली में मॉनसून की दस्तक का बेसब्री से इंतजार किया जा रहा है। मौसम विभाग का कहना है कि जल्द ही मॉनसून राजधानी में पहुंचेगा। इसी बीच, दिल्ली सरकार ने कृत्रिम वर्षा (आर्टिफिशियल रेन) के लिए भी तैयारियां शुरू कर दी हैं। जानिए इस पायलट प्रोजेक्ट की अहम बातें।
Written by: Himanshi Prakash, National Khabar
दिल्ली सरकार का पहला आर्टिफिशियल रेन (कृत्रिम वर्षा) पायलट प्रोजेक्ट अब पूरी तरह तैयार है। तकनीकी तैयारियों के साथ-साथ अधिकांश जरूरी एनओसी भी हासिल कर ली गई हैं। अब केवल मौसम की अनुकूलता और उपयुक्त बादलों के बनने का इंतजार है। जैसे ही अनुकूल बादल नजर आएंगे, यह अभियान शुरू कर दिया जाएगा। भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने इस परियोजना को मौसम संबंधी मंजूरी दे दी है और क्लाउड सीडिंग की संभावनाओं की पुष्टि भी कर दी है।
यह पायलट प्रोजेक्ट आईआईटी कानपुर के सहयोग से लागू किया जाएगा, जो वैज्ञानिक और तकनीकी संचालन की जिम्मेदारी निभाएगा। आईआईटी कानपुर इससे पहले भी अप्रैल से जुलाई के बीच सूखा प्रभावित क्षेत्रों में सात सफल क्लाउड सीडिंग परीक्षण कर चुका है। अब दिल्ली में इस प्रोजेक्ट को मुख्य रूप से वायु प्रदूषण को कम करने के उद्देश्य से लागू किया जा रहा है। इसका मकसद केवल कृत्रिम बारिश कराना नहीं, बल्कि यह जांचना भी है कि क्या इस प्रक्रिया से हवा में मौजूद PM2.5 और PM10 जैसे खतरनाक प्रदूषकों की मात्रा को घटाया जा सकता है।
पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने कहा कि प्रोजेक्ट की सभी तैयारियां पूरी हो चुकी हैं, अब बस उपयुक्त बादलों का इंतजार है। जैसे ही मौसम अनुकूल होगा, दिल्ली अपने पहले आर्टिफिशियल रेन प्रोजेक्ट की साक्षी बनेगी। यह सिर्फ एक प्रयोग नहीं, बल्कि भविष्य की दिशा तय करने वाला एक रोडमैप है।मंत्री सिरसा ने कहा कि स्वच्छ हवा हर नागरिक का मौलिक अधिकार है। उन्होंने बताया कि एंटी स्मॉग गन, स्प्रिंकलर और निर्माण स्थलों पर धूल नियंत्रण जैसे ज़मीनी उपायों के साथ-साथ अब आसमान से भी प्रयास किए जा रहे हैं ताकि दिल्ली की हवा को शुद्ध किया जा सके।
यह पायलट प्रोजेक्ट केवल बारिश लाने का जरिया नहीं है, बल्कि यह वैज्ञानिक नवाचार और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में उठाया गया एक साहसी कदम है।