Iran America Conflict: अमेरिका ने ईरान पर बोला सबसे बड़ा हमला, तीन परमाणु ठिकाने तबाह!

Iran America Conflict: अमेरिका ने ईरान के तीन परमाणु ठिकानों पर हमला कर दिया है, जिससे वह सीधे तौर पर इजरायल-ईरान युद्ध में शामिल हो गया है। अब बड़ा सवाल यह है कि क्या इस हमले के बाद युद्ध और भड़केगा और क्या चीन और रूस जैसी अन्य महाशक्तियाँ भी इसमें कूद सकती हैं?
Written by: Himanshi Prakash, National Khabar
अमेरिका ने ईरान के प्रमुख परमाणु स्थलों पर भारी हवाई हमले किए, मध्य पूर्व में तनाव चरम पर
अमेरिका ने ईरान के तीन प्रमुख परमाणु स्थलों – फोर्डो, नतांज और इस्फहान पर बड़े पैमाने पर हवाई हमले किए हैं, जिससे मध्य पूर्व में तनाव खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है। न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, ये हमले स्थानीय समयानुसार रात 2:30 बजे अमेरिकी बी-2 स्टील्थ बॉम्बर्स द्वारा किए गए, जिन्होंने 30,000 पाउंड के बंकर-बस्टर बमों का इस्तेमाल किया। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ट्रुथ सोशल पर दावा किया कि “हमने ईरान के परमाणु कार्यक्रम के दिल पर सीधा प्रहार किया है। सभी विमान सुरक्षित लौट आए हैं और अब शांति का समय है।”
ईरान ने धमकी भरे जवाबी कार्रवाई की चेतावनी दी
ईरान ने इन हमलों की तीखी निंदा करते हुए जवाबी कार्रवाई का ऐलान किया है। अंसारुल्लाह पॉलिटिकल ब्यूरो के सदस्य हाजेम अल-असद ने चेतावनी दी कि “अमेरिका को इसके गंभीर परिणाम भुगतने होंगे।” ईरानी विदेश मंत्रालय ने कहा कि यह हस्तक्षेप पूरे क्षेत्र के लिए खतरनाक साबित होगा। बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, तेहरान की जवाबी कार्रवाई से क्षेत्रीय युद्ध का खतरा और बढ़ गया है।
इजरायल-ईरान संघर्ष के नौवें दिन हुए हमले
यह हमला इजरायल-ईरान के बीच जारी संघर्ष के नौवें दिन हुआ है, जो 13 जून को इजरायली हमलों के साथ शुरू हुआ था। इससे पहले इजरायल ने ईरान के कई परमाणु और सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया था, जिसमें नौ परमाणु वैज्ञानिक और कई वरिष्ठ कमांडर मारे गए थे। इजरायली विदेश मंत्री गिदोन सार ने दावा किया कि इन हमलों ने ईरान के परमाणु हथियार विकास कार्यक्रम को कम से कम दो-तीन साल पीछे धकेल दिया है।
अमेरिका की रणनीति और अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रियाएं
अमेरिका का यह कदम ट्रंप प्रशासन की उस नीति का हिस्सा है, जिसका लक्ष्य ईरान के परमाणु कार्यक्रम को पूरी तरह समाप्त करना है। सीएनएन के अनुसार, ट्रंप ने पिछले दो महीनों में ईरान के साथ कूटनीतिक वार्ता की कोशिश की, लेकिन तेहरान ने इजरायली हमले रुकने तक बातचीत से इनकार कर दिया। हालांकि, अमेरिकी खुफिया एजेंसियां ट्रंप के इस दावे से सहमत नहीं हैं कि ईरान महीनों में परमाणु हथियार बना सकता है।
अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) ने फोर्डो स्थल पर हमले के बाद रेडियोलॉजिकल रिसाव की आशंका जताई है, हालांकि अभी तक जनता के लिए कोई बड़ा खतरा नहीं बताया गया है। फोर्डो में उच्च संवर्धित यूरेनियम का उत्पादन हो रहा था, जो परमाणु हथियार निर्माण के लिए महत्वपूर्ण है।
रूस-चीन का रुख और भारत की प्रतिक्रिया
ईरान के सहयोगी देशों रूस और चीन की प्रतिक्रिया पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय की नजरें टिकी हैं। हालांकि दोनों देशों ने अभी तक सैन्य हस्तक्षेप से इनकार किया है, लेकिन रूस ने कूटनीतिक रूप से ईरान का समर्थन किया है, जबकि चीन ने शांति की अपील की है। विश्लेषकों का मानना है कि यदि संघर्ष बढ़ता है तो ये महाशक्तियां अप्रत्यक्ष रूप से शामिल हो सकती हैं, जिससे वैश्विक संकट का खतरा बढ़ जाएगा।
भारत ने मामले पर गहरी चिंता जताते हुए सभी पक्षों से संयम बरतने का आग्रह किया है। विदेश मंत्रालय ने कहा है कि मध्य पूर्व में शांति और स्थिरता भारत के लिए अहम है। हमलों के बाद वैश्विक तेल बाजारों में उछाल देखा गया है, जबकि सऊदी अरब और अन्य खाड़ी देश तटस्थ रुख अपनाए हुए हैं। हालांकि, अमेरिकी सैन्य अड्डों पर हमले का खतरा अभी बना हुआ है।