अस्थि विसर्जन की परंपरा: जानिए शास्त्रों में इसका क्या महत्व बताया गया है

अस्थि विसर्जन: हिंदू धर्म में मृत्यु के बाद कई विधियां और परंपराएं सदियों से चली आ रही हैं। इन्हीं में एक अत्यंत महत्वपूर्ण परंपरा है — मृतक की अस्थियों का पवित्र नदियों या जलाशयों में विसर्जन करना। अक्सर लोगों के मन में यह सवाल उठता है कि अस्थियों को जल में प्रवाहित करना क्यों जरूरी माना गया है और इसके पीछे शास्त्रों में क्या कारण बताए गए हैं?
धर्म डेस्क | नेशनल खबर
भारत में मृत्यु के बाद किए जाने वाले अंतिम संस्कार केवल धार्मिक परंपराएं भर नहीं हैं, बल्कि इनमें गहरी आध्यात्मिकता और सांस्कृतिक समझ भी समाई हुई है। इन्हीं विधियों में एक महत्वपूर्ण संस्कार है — अस्थि विसर्जन, यानी मृतक की अस्थियों को किसी पवित्र नदी या जल में प्रवाहित करना। यह परंपरा हजारों वर्षों से चली आ रही है और इसके पीछे शास्त्रों में स्पष्ट आधार बताए गए हैं। आइए जानते हैं कि हमारे धार्मिक ग्रंथ इस बारे में क्या कहते हैं।
अस्थि विसर्जन का महत्व
शास्त्रों के अनुसार, मृत्यु के बाद शरीर के पांच तत्व — अग्नि, जल, वायु, पृथ्वी और आकाश — में विलीन हो जाते हैं। अस्थियों का जल में विसर्जन भी इसी पंचतत्व विलय का एक भाग माना जाता है। यह न केवल मृतक की आत्मा की शांति के लिए अहम है, बल्कि परिवार के लिए भी यह एक भावनात्मक और आध्यात्मिक प्रक्रिया होती है, जिससे उन्हें संतोष और पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
क्या कहते हैं शास्त्र?
- गरुड़ पुराण — अस्थियां पवित्र नदी में प्रवाहित करने से आत्मा को शांति और मोक्ष मिलता है, पूर्वज संतुष्ट होते हैं।
- पद्म पुराण — गंगा जैसी नदियों में विसर्जन से पापों से मुक्ति और स्वर्ग की प्राप्ति होती है, पुनर्जन्म के चक्र से छुटकारा मिलता है।
- ब्रह्म पुराण — अस्थि विसर्जन पुण्यकारी है, आत्मा को सद्गति और परिवार में सुख-शांति लाता है।
धार्मिक दृष्टि से इसका महत्व
मान्यता है कि मानव शरीर जिन पंचतत्वों से बना है, मृत्यु के बाद उसका दाह-संस्कार करके चार तत्व — अग्नि, वायु, पृथ्वी और आकाश — को लौटा दिया जाता है। पांचवां तत्व जल, अस्थियों के जल में विसर्जन से प्रकृति को समर्पित किया जाता है। गरुड़ पुराण और विष्णु पुराण में उल्लेख मिलता है कि यह क्रिया आत्मा को अगले जन्म की यात्रा के लिए तैयार करती है और पितृलोक का मार्ग प्रशस्त करती है।
पवित्र नदियों का महत्व
गंगा, यमुना, नर्मदा, गोदावरी और ब्रह्मपुत्र जैसी नदियों को हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र माना गया है। इन नदियों में अस्थियों का विसर्जन करने से आत्मा को मोक्ष की प्राप्ति होती है, ऐसा विश्वास किया जाता है। इसलिए लोग दूर-दूर से इन नदियों के किनारे आकर इस पवित्र संस्कार को संपन्न करते हैं।
इस खबर में दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं और परंपराओं पर आधारित है। नेशनल ख़बर इसकी सत्यता की पुष्टि नहीं करता।