बच्चों को चांदी के गहने पहनाने के फायदे: शरीर, मन और किस्मत पर असर

भारत में अक्सर देखा जाता है कि बच्चों के जन्म के कुछ ही दिनों बाद उन्हें चांदी की पायल, कड़े, चेन या अन्य गहने पहनाए जाते हैं। बच्चों को चांदी के ये गहने पहनाने के पीछे न केवल परंपरा और आस्था जुड़ी है, बल्कि इसके कई फायदे भी बताए गए हैं — चाहे वो ज्योतिषीय दृष्टि से हों या वैज्ञानिक दृष्टिकोण से।
धर्म डेस्क | नेशनल खबर
Silver Ornaments: क्यों बच्चों को जन्म के बाद पहनाए जाते हैं चांदी के गहने? जानें फायदे और महत्व
हिंदू परंपरा में बच्चे के जन्म के कुछ दिनों बाद उसे गहने पहनाने की परंपरा निभाई जाती है। ददिहाल और ननिहाल समेत परिवार के कई सदस्य बच्चे को तोहफे में सोने-चांदी के गहने देते हैं। खासतौर पर बच्चों के पैरों में पायल, हाथों में कंगन, गले में चेन और कभी-कभी कमर में कमरबंध पहनाया जाता है।
ज्योतिषीय दृष्टि से चांदी का महत्व
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, चांदी का संबंध चंद्रमा ग्रह से माना जाता है, जिसे मन का कारक और शीतलता प्रदान करने वाला ग्रह कहा गया है। बच्चों के लिए चांदी के गहने पहनना मन को शांत और प्रसन्न बनाए रखता है। इससे बच्चों के व्यवहार में सकारात्मकता आती है, वे कम रोते हैं और अधिक खुश रहते हैं।
मानसिक और शारीरिक विकास में मददगार
मान्यता है कि चांदी के कंगन, पायल, चेन या कमरबंध पहनाने से बच्चों का मानसिक विकास तेज़ होता है। चांदी उनके मन पर अच्छा असर डालती है और शरीर का तापमान संतुलित रखती है। साथ ही, यह उन्हें सौभाग्य और समृद्धि भी दिलाती है।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण से फायदे
विज्ञान के अनुसार, चांदी एक प्रतिक्रियाशील धातु है, जो शरीर से निकलने वाली ऊर्जा को वापस शरीर में लौटा देती है। यह एंटी-बैक्टीरियल गुणों से भरपूर होती है और रोगाणुओं को नष्ट करने की क्षमता रखती है। कमजोर इम्युनिटी वाले बच्चों के लिए यह फायदेमंद मानी जाती है क्योंकि यह शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में मदद करती है।
नकारात्मक ऊर्जा से बचाव
ऐसी भी मान्यता है कि चांदी के गहने बच्चों को नकारात्मक शक्तियों और नजर दोष से बचाते हैं। इसके लिए विशेष तरह के गहने बनवाए जाते हैं, जो बुरी नज़र से रक्षा करते हैं।
यह रखें ध्यान
बच्चों के लिए हमेशा सर्टिफाइड स्टर्लिंग सिल्वर (Sterling Silver) के गहने ही चुनें ताकि उनकी त्वचा पर किसी तरह की एलर्जी या रिएक्शन न हो।
इस खबर में दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं और परंपराओं पर आधारित है। नेशनल ख़बर इसकी सत्यता की पुष्टि नहीं करता।