धर्म

Khatu Shyam: किस राजा ने बनवाया खाटू श्याम मंदिर? जानिए बाबा के 10 प्रसिद्ध नाम

Khatu Shyam: ऐतिहासिक मान्यताओं के अनुसार, राजस्थान में स्थित बाबा खाटू श्याम का प्रसिद्ध मंदिर 11वीं शताब्दी में बना था। लेकिन इसका निर्माण सिर्फ एक मंदिर की कहानी नहीं, बल्कि आस्था, चमत्कार और भक्ति से जुड़ा एक बेहद रोचक अध्याय है।

क्या आप जानते हैं कि इस मंदिर को बनवाने के पीछे किसका योगदान था? बाबा के नाम के साथ “खाटू” शब्द क्यों जुड़ा? और उनके कौन-कौन से 10 पवित्र नाम हैं, जिनका स्मरण करने मात्र से भक्तों को मनचाहा फल मिल जाता है?

धर्म डेस्क | National Khabar

Khatu Shyam: राजस्थान के सीकर जिले में स्थित खाटू श्याम जी का मंदिर न सिर्फ श्रद्धा का केंद्र है, बल्कि इसकी पौराणिक कथा भी बेहद रोचक है।

मान्यता है कि खाटू श्याम कोई और नहीं, बल्कि महाभारत के महान योद्धा भीम के पोते और घटोत्कच के पुत्र बर्बरीक हैं। अद्वितीय वीरता और बलिदान के कारण भगवान श्रीकृष्ण ने उन्हें आशीर्वाद दिया था कि कलियुग में लोग उन्हें “श्याम” नाम से पूजेंगे।

इस कहानी के साथ-साथ लोग अक्सर जानना चाहते हैं कि

खाटू श्याम का मंदिर किसने बनवाया?

बाबा के नाम में “खाटू” शब्द क्यों जुड़ा?

और उनके 10 लोकप्रिय नाम कौन-कौन से हैं?

राजस्थान के सीकर ज़िले में स्थित खाटू श्याम जी का मंदिर 11वीं सदी में बनवाया गया था, जिसे राजा रूप सिंह चौहान और उनकी पत्नी रानी नर्मदा कंवर ने बनवाया था।

लोककथा के अनुसार, एक रात राजा रूप सिंह को स्वप्न में खाटू श्याम जी ने दर्शन दिए और बताया कि एक खास स्थान पर उनका शीश (सिर) दबा हुआ है। राजा ने जब उस स्थान की खुदाई करवाई, तो वास्तव में वहां से शीश प्राप्त हुआ। इसके बाद उसी स्थान पर भव्य मंदिर का निर्माण करवाया गया।

जमीन से निकला शीश…
मान्यता है कि राजा रूप सिंह चौहान को स्वप्न में खाटू श्याम जी ने दर्शन दिए और बताया कि एक विशेष स्थान पर उनका शीश (सिर) दबा हुआ है। राजा ने उस स्थान पर खुदाई करवाई, जहां से सचमुच एक पवित्र शीश प्राप्त हुआ। इसके बाद राजा ने वहीं पर भव्य श्याम मंदिर का निर्माण करवाया और बाबा की प्रतिमा की विधिपूर्वक प्रतिष्ठा कराई।

बाद में एक श्रद्धालु व्यापारी ने मंदिर का पुनर्निर्माण और विस्तार कराया, जिसमें प्रसिद्ध मकराना के सफेद संगमरमर का इस्तेमाल किया गया। आज यह मंदिर न सिर्फ भक्ति का केंद्र है, बल्कि वास्तु और आस्था का अद्भुत संगम भी है।

राजस्थान टूरिज्म की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार, बर्बरीक एक अत्यंत वीर योद्धा थे, जिनकी बहादुरी अद्वितीय मानी जाती है। जब महाभारत का युद्ध विनाशकारी रूप लेने वाला था, तब भगवान श्रीकृष्ण ने युद्ध की दिशा और संतुलन बनाए रखने के लिए बर्बरीक से उनके शीश का दान मांगा।

बर्बरीक ने निःसंकोच अपना सिर दान कर दिया। उनके इस अद्भुत त्याग और समर्पण से प्रसन्न होकर श्रीकृष्ण ने उन्हें आशीर्वाद दिया कि कलियुग में वे ‘श्याम’ नाम से पूजे जाएंगे और उनकी भक्ति विशेष फलदायी मानी जाएगी। यही कारण है कि आज लोग उन्हें खाटू श्याम बाबा के रूप में श्रद्धा से याद करते हैं।

बाबा श्याम के 10 प्रसिद्ध नाम
बाबा श्याम को श्रद्धा से पुकारे जाने वाले दस नाम इस प्रकार हैं:

  1. श्याम
  2. बर्बरीक
  3. तीन बाणधारी
  4. हारे का सहारा
  5. लखदातार
  6. श्याम बाबा
  7. घटोत्कच पुत्र
  8. नीलघोड़े वाला
  9. लीलण
  10. श्याम सरकार

हर नाम के पीछे एक आस्था, एक कथा और भक्तों की अटूट श्रद्धा छिपी हुई है, जो बाबा को विशेष बनाती है।

Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है। नेशनल ख़बर इसकी पुष्टि नहीं करता है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button