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Axiom Mission 4: भारत का नाम अंतरिक्ष में रोशन – शुभांशु शुक्ला का ऐतिहासिक मिशन शुरू

भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला ने अंतरिक्ष में भारत का गौरव बढ़ाने के लिए ऐतिहासिक सफर शुरू कर दिया है। वे Axiom Mission 4 के तहत अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) के लिए स्पेसएक्स के फाल्कन-9 रॉकेट से सफलतापूर्वक रवाना हो गए हैं। भारतीय समयानुसार 12:01 बजे दोपहर, फ्लोरिडा स्थित नासा के केनेडी स्पेस सेंटर से यह ऐतिहासिक प्रक्षेपण किया गया। यह मिशन भारत की अंतरिक्ष महत्वाकांक्षाओं की दिशा में एक नया मील का पत्थर साबित होगा।

Written by Himanshi Prakash , National Khabar

अंतरिक्ष में पहुंचते ही शुभांशु ने पहला संदेश भेजा, जिसमें उन्होंने कहा –
अंतरिक्ष से ‘नमस्कार’ करते हुए शुभांशु शुक्ला ने कहा कि उन्हें अब शून्य गुरुत्वाकर्षण की आदत बनने लगी है। उन्होंने मुस्कराते हुए बताया, “मैं अभी भी ज़ीरो ग्रैविटी में खुद को ढालने की कोशिश कर रहा हूं। जैसे कोई बच्चा चलना सीखता है और यह समझता है कि कैसे आगे बढ़ना है और संतुलन बनाए रखना है — वैसे ही मैं भी हर पल को महसूस कर रहा हूं। सच में, यह अनुभव रोमांचक है और मैं इसका भरपूर आनंद ले रहा हूं।”

ISS पर कब पहुंचेंगे?
NASA के अनुसार, Axiom-4 मिशन भारतीय समयानुसार करीब 28 घंटे की यात्रा के बाद चारों अंतरिक्ष यात्री भारतीय समयानुसार शाम 4:30 बजे अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर पहुंचेंगे

कितने दिन रहेंगे अंतरिक्ष में?
शुभांशु और उनकी टीम के अन्य तीन सदस्य 14 दिन ISS पर बिताएंगे। इस दौरान वे विज्ञान, तकनीक, शिक्षा और व्यावसायिक गतिविधियों से जुड़े कई महत्वपूर्ण प्रयोगों में हिस्सा लेंगे।

मिशन में कौन-कौन शामिल?

पैगी व्हिटसन (NASA की अनुभवी अंतरिक्ष यात्री): मिशन कमांडर

शुभांशु शुक्ला (ISRO): मिशन पायलट

स्लावोश उजनांस्की (ESA): मिशन स्पेशलिस्ट

तिबोर कापू (हंगरी): मिशन स्पेशलिस्ट

ISS पर क्या करेंगे शुभांशु शुक्ला?

शुभांशु ISS पर रहते हुए 5 वैज्ञानिक प्रयोग और 2 STEM डेमो करेंगे। इनमें से कई प्रयोग भारत-अमेरिका के संयुक्त प्रयासों का हिस्सा हैं, जिनकी घोषणा प्रधानमंत्री मोदी और पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मिलकर की थी। इन प्रयोगों का मकसद विज्ञान और शिक्षा के क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय सहयोग को मजबूत करना है।

लॉन्चिंग में क्यों हुई देरी?

Axiom-4 मिशन को कई बार टालना पड़ा, जिसकी प्रमुख वजहें रही:

29 मई 2025: क्रू ड्रैगन मॉड्यूल में खराबी

08 जून: फाल्कन-9 रॉकेट तैयार नहीं था

09 जून: इंजन में ऑक्सीजन लीक

10 जून: खराब मौसम

11 जून: फिर से ऑक्सीजन लीक

19 जून: ISS में प्रेशर लीक

22 जून: NASA की जांच अधूरी

NASA की कार्यकारी प्रशासक जेनेट पेत्रो ने कहा कि NASA और रूसी एजेंसी Roscosmos के लंबे समय से चले आ रहे सहयोग ने इस मिशन को सफल बनाने में अहम भूमिका निभाई।

क्यों ऐतिहासिक है यह मिशन?

शुभांशु शुक्ला अंतरिक्ष में जाने वाले दूसरे भारतीय, लेकिन ISS पर कदम रखने वाले पहले भारतीय बने हैं।

यह मिशन भारत की उस तेजी से बढ़ती अंतरिक्ष महत्वाकांक्षा का प्रतीक है जो वैश्विक साझेदारी की ओर अग्रसर है।

Axiom-4 न केवल विज्ञान और शिक्षा, बल्कि व्यावसायिक अंतरिक्ष उड़ानों के भविष्य की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है – और इस अध्याय में शुभांशु की भूमिका बेहद खास है।

यह मिशन भारत के लिए गौरव और विज्ञान की दुनिया में एक नया युग साबित हो सकता है।

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