जगन्नाथ रथ यात्रा 2025: इन दो चीजों को लाने से मां लक्ष्मी और अन्नपूर्णा होंगी प्रसन्न

Jagannath Rath Yatra 2025: 27 जून 2025 को उज्जैन में भव्य जगन्नाथ रथ यात्रा निकाली जाएगी। मान्यता है कि इस पवित्र यात्रा में भाग लेकर और भगवान जगन्नाथ का रथ खींचने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है। यह परंपरा घर में सुख-समृद्धि, अन्न-वृद्धि और सौभाग्य का प्रतीक मानी जाती है।
धर्म डेस्क | National Khabar
उज्जैन: सनातन धर्म के बड़े त्योहारों में से एक है जगन्नाथ रथ यात्रा। यह यात्रा भारत ही नहीं, बल्कि दुनिया भर में आस्था और भव्यता के लिए जानी जाती है। इस साल रथ यात्रा 27 जून 2025 को शुरू होगी, जिसमें लाखों श्रद्धालु भाग लेंगे। माना जाता है कि भगवान जगन्नाथ का रथ खींचने से बहुत बड़ा पुण्य मिलता है और जीवन के दुख-दर्द दूर हो जाते हैं। इस यात्रा में भगवान जगन्नाथ अपने भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ ‘गुंडिचा मंदिर’ (जिसे मौसी का घर भी कहा जाता है) की ओर जाते हैं।
अगर आप इस बार जगन्नाथ रथ यात्रा में भाग लेने जा रहे हैं, तो वापसी में मंदिर से कुछ खास चीजें जरूर साथ लेकर आएं। ऐसा माना जाता है कि इन वस्तुओं को घर लाने से मां लक्ष्मी और अन्नपूर्णा माता की कृपा सदा बनी रहती है। आइए जानते हैं वे दो पवित्र चीजें कौन-सी हैं, जिन्हें जगन्नाथ मंदिर से लाना शुभ माना जाता है।
जरूर लाएं यह दो चीजें
छड़ी – भगवान की अनेक पवित्र यात्राओं में से एक प्रमुख यात्रा है जगन्नाथ रथ यात्रा। इस यात्रा के दौरान जगन्नाथ मंदिर से बेंत (छड़ी) लाने की एक खास परंपरा है। धार्मिक मान्यता है कि इस पवित्र बेंत को घर लाने से मां लक्ष्मी का वास होता है और जीवन से दुख-दरिद्रता दूर होती है। पूजा-पाठ के समय इसे भक्तों को स्पर्श कराया जाता है, जिससे बल, बुद्धि और यश की प्राप्ति होती है। यदि आप इस यात्रा में शामिल हो रहे हैं, तो इस शुभ वस्तु को अवश्य अपने घर ले जाएं।
निर्माल्य (सूखा चावल) – चावल के बारे में तो सभी जानते हैं, लेकिन ‘निर्माल्य’ एक विशेष प्रकार का सूखा चावल होता है, जिसे पहले मंदिर में पकाया जाता है, फिर सुखाकर भगवान जगन्नाथ को भोग के रूप में अर्पित किया जाता है। यह चावल लाल रंग की पोटली में बांधकर भक्तों को दिया जाता है। माना जाता है कि इस निर्माल्य को घर में किसी साफ-सुथरे स्थान पर रखना बेहद शुभ होता है।
शुभ कार्यों में इसका एक-एक दाना डालना सौभाग्यदायक माना गया है, और यदि इसे अपने अन्न भंडार (भोजन रखने की जगह) में रखा जाए, तो घर में कभी अन्न की कमी नहीं होती। कहा जाता है कि जिस घर में जगन्नाथ मंदिर का यह पवित्र निर्माल्य होता है, वहां सुख-समृद्धि और मां अन्नपूर्णा की कृपा बनी रहती है। पुरी स्थित जगन्नाथ मंदिर को धरती का बैकुंठ कहा गया है, और वहां से लाई गई वस्तुएं घर में सौभाग्य और खुशहाली का प्रतीक मानी जाती हैं।
कब निकलेगी उज्जैन में रथ यात्रा
उज्जैन, जो महाकाल की नगरी के नाम से जानी जाती है, वहां 27 जून को भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा निकाली जाएगी। यह पवित्र यात्रा दोपहर 2 बजे मंडी चौराहा से शुरू होगी। रथ यात्रा का रास्ता चामुंडा माता चौराहा, ओवरब्रिज, घंटाघर, तीन बत्ती चौराहा और देवास रोड से होते हुए कालिदास अकादमी के पास स्थित गुंडिचा मंदिर तक जाएगा। वहां भगवान जगन्नाथ का सात दिन तक विश्राम उत्सव भक्तिभाव से मनाया जाएगा।
Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है। नेशनल खबर इसकी पुष्टि नहीं करता है।