केरल की नर्स निमिषा प्रिया की फांसी रोकने में नाकाम रही सरकार, अब उम्मीद सिर्फ मुआवजे पर

केरल की नर्स निमिषा प्रिया को यमन की अदालत ने फांसी की सजा सुनाई है, जिसकी तारीख अब करीब आ गई है। केंद्र सरकार ने उसे बचाने के लिए हर संभव प्रयास किए, लेकिन अब तक कोई सफलता नहीं मिल सकी। सरकार का कहना है कि निमिषा को बचाने का एकमात्र तरीका यही है कि मृतक के परिजन मुआवजे की पेशकश स्वीकार कर लें। सरकार ने यह भी स्पष्ट किया कि उसने अपनी ओर से पूरी कोशिश की है।
Written by Himanshi Prakash, National Prakash
केरल की नर्स निमिषा प्रिया को यमन की अदालत ने फांसी की सजा सुनाई है, और अब से ठीक दो दिन बाद उसकी फांसी की तारीख तय है। केंद्र सरकार ने उसकी फांसी रोकने के लिए हरसंभव कोशिश की, लेकिन सफलता नहीं मिली।
अब केंद्र सरकार ने भी अपने हाथ खड़े कर दिए हैं। सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सरकार ने कहा कि यह स्थिति बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है, लेकिन हमने अपनी ओर से जितना संभव था, किया।
क्या है निमिषा को बचाने का रास्ता?
केंद्र सरकार के मुताबिक, उनकी कोशिशों की भी एक सीमा है। अब निमिषा की जान बचाने का सिर्फ एक ही तरीका बचा है—अगर मृतक के परिजन मुआवजा स्वीकार कर लें, तभी उसकी फांसी टल सकती है।
8.5 करोड़ रुपये का मुआवजा ठुकराया
केंद्र सरकार की ओर से अटॉर्नी जनरल आर. वेंकटरमणी ने सुप्रीम कोर्ट में बताया कि मृतक के परिवार को 1 मिलियन डॉलर (करीब 8.5 करोड़ रुपये) का मुआवजा देने की पेशकश की गई थी, लेकिन उन्होंने इसे स्वीकार करने से इनकार कर दिया।
हमने हर संभव कोशिश की: केंद्र सरकार
गौरतलब है कि निमिषा प्रिया को 16 जुलाई को यमन में फांसी दी जानी है। सुनवाई के दौरान जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ के सामने अटॉर्नी जनरल ने कहा कि मामला बेहद जटिल है और सरकार ने जितना कर सकती थी, उतना किया। उन्होंने कहा, “यह दुर्भाग्यपूर्ण है, लेकिन सरकार की भी एक सीमा है। इससे ज्यादा कुछ करना हमारे लिए संभव नहीं है।”