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दिल्ली हाईकोर्ट: बच्चे को बिजली के झटके देना समाज को झकझोरता है

दिल्ली हाईकोर्ट ने नाबालिग के साथ क्रूरता के मामले में प्राथमिकी रद्द करने की याचिका खारिज कर दी। अदालत ने कहा कि ऐसे अपराध सिर्फ व्यक्तिगत नहीं होते, बल्कि समाज की अंतरात्मा को झकझोर देते हैं।
समझौते के बावजूद कोर्ट ने सार्वजनिक हित और बच्चों की सुरक्षा को प्राथमिकता दी। आरोपियों पर बच्चे की पिटाई करने और उसे बिजली के झटके देने का आरोप है।

Written by Himanshi Prakash, National Khabar

दिल्ली में नाबालिग के साथ क्रूरता के मामले में प्राथमिकी रद्द करने से इनकार करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि ऐसे मामलों को केवल निजी विवाद नहीं माना जा सकता।

अदालत ने टिप्पणी की कि बच्चों के खिलाफ इस तरह के अपराध समाज की अंतरात्मा को झकझोर देते हैं। भले ही बच्चे की मां और आरोपियों के बीच आपसी समझौता हो गया हो, लेकिन इस तरह के कृत्य न केवल पीड़ित को प्रभावित करते हैं, बल्कि सार्वजनिक हित, सुरक्षा और बच्चों के संरक्षण से जुड़ी गंभीर चिंताओं को भी जन्म देते हैं।

कोर्ट ने यह भी कहा कि इस स्तर पर प्राथमिकी रद्द करना एक खतरनाक मिसाल बनेगा और आपराधिक न्याय व्यवस्था को कमजोर करेगा। पीठ ने बताया कि दोनों पक्ष पहले भी समझौते का प्रयास कर चुके थे, लेकिन अदालत में पेश होकर शिकायतकर्ता ने आरोपियों के साथ समझौते से इनकार कर दिया। इन टिप्पणियों के साथ अदालत ने याचिका खारिज कर दी।

जून 2023 में नाबालिग की मां ने शिकायत दर्ज कराते हुए आरोप लगाया था कि उसके पड़ोसी अमित और उसकी पत्नी सुरेश ने उसके बच्चे के साथ शारीरिक दुर्व्यवहार किया। उसने यह भी आरोप लगाया कि आरोपितों ने बच्चे को पीटने के साथ-साथ उसे बिजली के झटके भी दिए।

आरोपितों ने गोविंदपुरी पुलिस स्टेशन में दर्ज क्रूरता के मामले में प्राथमिकी रद्द करने के लिए अदालत से निर्देश देने की मांग की थी। उन्होंने याचिका में कहा कि दोनों पक्षों के बीच समझौता हो चुका है।

बच्चे की मां ने अदालत में कहा कि उसने बिना दबाव के समझौता किया, लेकिन अभियोजन ने विरोध करते हुए कहा कि पीड़ित उस समय सिर्फ सात साल का था और आरोप बेहद गंभीर हैं।

इन तथ्यों पर गौर करते हुए पीठ ने कहा कि घटना के वक्त पीड़ित की उम्र मात्र सात वर्ष थी और इतनी कम उम्र में उसे जो मानसिक आघात पहुंचा, उसे दोनों पक्षों के बीच हुए समझौते के आधार पर न तो नजरअंदाज किया जा सकता है और न ही महत्वहीन माना जा सकता है।

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