स्वास्थ्य

मेनिनजाइटिस: कुछ घंटों में जान ले सकता है ये ‘दिमागी बुखार’

मेनिनजाइटिस एक खतरनाक और संभावित जानलेवा बीमारी है, जो बैक्टीरिया या वायरस के संक्रमण से होती है। यह मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी को ढकने वाली झिल्लियों में सूजन पैदा कर देती है। इसके लक्षणों की पहचान समय पर करना बेहद जरूरी होता है, क्योंकि यह न सिर्फ जान को खतरे में डाल सकती है, बल्कि इससे सुनने की क्षमता और याददाश्त पर भी स्थायी असर पड़ सकता है।

Written by: Himanshi Prakash, National Khabar

मेनिनजाइटिस एक गंभीर और जानलेवा बीमारी है, जिससे हर साल दुनियाभर में लाखों लोगों की मौत हो जाती है। इसे आमतौर पर “दिमागी बुखार” के नाम से भी जाना जाता है। यह बीमारी इतनी खतरनाक होती है कि इसके लक्षण सामने आने के कुछ ही घंटों में मरीज की जान भी जा सकती है। मेनिनजाइटिस मुख्य रूप से बैक्टीरियल संक्रमण के कारण होता है।

यह एक प्रकार का दिमागी बुखार है, जिसके वायरस या बैक्टीरिया आसानी से एक व्यक्ति से दूसरे में फैल सकते हैं। हालांकि, इससे बचाव के लिए बचपन में ही टीकाकरण करवा लेना जरूरी होता है। अगर किसी व्यक्ति को यह बीमारी हो जाती है, तो उसे तुरंत चिकित्सा सहायता की आवश्यकता होती है।

आज का हमारा लेख इसी विषय पर आधारित है। इसमें हम आपको मेनिनजाइटिस से जुड़ी पूरी जानकारी देंगे—इस बीमारी के कारण, लक्षण, उपचार और बचाव के उपायों के बारे में विस्तार से जानेंगे। आइए, शुरुआत करते हैं इस महत्वपूर्ण जानकारी के साथ।

मेनिनजाइटिस क्या है?
क्लीनिक क्लेवलैंड के अनुसार, मेनिनजाइटिस एक ऐसी स्थिति है जिसमें मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी को ढकने वाली सुरक्षा झिल्लियों (जिन्हें मेनिन्जेस कहा जाता है) में सूजन आ जाती है। इन झिल्लियों में रक्त वाहिकाएं और तरल पदार्थ मौजूद होते हैं, जो मस्तिष्क की रक्षा करते हैं। जब इनमें संक्रमण हो जाता है, तो इसे मेनिनजाइटिस कहा जाता है। इसे स्पाइनल मेनिनजाइटिस या ब्रेन फीवर के नाम से भी जाना जाता है।

क्यों खतरनाक है यह बीमारी?
मेनिनजाइटिस को गंभीर इसलिए माना जाता है क्योंकि यह शरीर पर कई गंभीर और स्थायी प्रभाव डाल सकता है। अगर इसका इलाज समय पर न हो, तो यह जानलेवा भी साबित हो सकता है। इससे पीड़ित व्यक्ति की सुनने की क्षमता पूरी तरह खत्म हो सकती है, याददाश्त कमजोर हो सकती है, और यहां तक कि किडनी फेल होने का भी खतरा रहता है। यही वजह है कि इस बीमारी को नजरअंदाज करना बेहद खतरनाक हो सकता है।

मेनिनजाइटिस के प्रकार
मेनिनजाइटिस कई प्रकार की हो सकती है, जो इसके कारण बनने वाले संक्रमण पर निर्भर करता है:
बैक्टीरियल मेनिनजाइटिस, वायरल मेनिनजाइटिस,फंगल मेनिनजाइटिस , परजीवी (पैरासाइटिक) मेनिनजाइटिस , प्राथमिक अमीबिक मेनिनजाइटिस , क्रोनिक मेनिनजाइटिस

कैसे होती है यह बीमारी?
यह बीमारी कई कारणों से हो सकती है। बाहर का दूषित या अस्वच्छ भोजन खाने से इसका खतरा बढ़ जाता है। इसके अलावा, किसी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से भी संक्रमण फैल सकता है। कान, नाक या गले में संक्रमण होने पर बैक्टीरिया या वायरस मस्तिष्क तक पहुंच सकते हैं, जिससे मेनिनजाइटिस हो सकता है। इसलिए साफ-सफाई और सतर्कता बेहद जरूरी है।


मेनिनजाइटिस के लक्षण क्या हैं?

मेनिनजाइटिस के लक्षण अचानक उभर सकते हैं और तेजी से गंभीर हो सकते हैं। इसके प्रमुख लक्षणों में शामिल हैं:
तेज बुखार , गर्दन में अकड़न , तीव्र सिरदर्द , मतली और उल्टी , ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई , बेचैनी या चिड़चिड़ापन , अत्यधिक नींद आना या सुस्ती , तेज रोशनी सहन न होना , भूख न लगना , त्वचा पर चकत्ते या रैशेज का उभरना

किसे होता है ज्यादा खतरा?
यह बीमारी विशेष रूप से छोटे बच्चों को अधिक प्रभावित करती है, खासकर 5 साल से कम उम्र के बच्चों को। इसकी वजह यह है कि इस उम्र में उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्युनिटी) कमजोर होती है, जिससे संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है।

कैसे करें मेनिनजाइटिस से बचाव?

  1. बच्चों सहित सभी को मेनिनजाइटिस की वैक्सीन समय पर लगवानी चाहिए।
  2. खांसते या छींकते समय हमेशा मुंह और नाक को रुमाल या टिशू से ढकें।
  3. व्यक्तिगत साफ-सफाई और आसपास के वातावरण को स्वच्छ बनाए रखें।
  4. संक्रमित व्यक्ति से संपर्क में आने से बचें और हाथों की नियमित सफाई करें।
  5. इन सावधानियों को अपनाकर इस खतरनाक बीमारी से बचाव संभव है।

मेनिनजाइटिस का इलाज (Meningitis ka Ilaaj):

मेनिनजाइटिस का इलाज उसके प्रकार पर निर्भर करता है। अगर यह बैक्टीरियल मेनिनजाइटिस है, तो यह बहुत गंभीर होता है और इसका इलाज तुरंत अस्पताल में करना पड़ता है। मरीज को तुरंत इंट्रावेनस एंटीबायोटिक्स (IV antibiotics) और कभी-कभी कोर्टिकोस्टेरॉइड्स दिए जाते हैं ताकि सूजन कम हो सके और जटिलताएं रोकी जा सकें। वायरल मेनिनजाइटिस आमतौर पर उतना खतरनाक नहीं होता और इसके लिए ज्यादातर मामलों में आराम, द्रव पदार्थ (fluids) और दर्द निवारक दवाओं से इलाज किया जाता है। फंगल या ट्यूबरकुलर मेनिनजाइटिस के लिए एंटी-फंगल या टीबी की दवाएं दी जाती हैं। साथ ही, मरीज को आइसोलेशन में रखकर विशेष निगरानी की जाती है। यदि समय पर पहचान और सही उपचार मिल जाए, तो मेनिनजाइटिस से पूरी तरह से ठीक हो पाना संभव है। टीकाकरण, साफ-सफाई और समय पर इलाज मेनिनजाइटिस से बचाव के प्रभावी उपाय हैं।

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