राष्ट्रीय

Emergency: ‘परिवार बचाने के लिए कुचला गया लोकतंत्र’ – जयशंकर का कांग्रेस पर निशाना

विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने आपातकाल की 50वीं वर्षगांठ के मौके पर गांधी परिवार और कांग्रेस पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि आपातकाल देश के हित में नहीं, बल्कि एक परिवार की सत्ता बचाने के लिए थोपा गया था। उस दौर में लोकतंत्र को कुचल दिया गया, संविधान के साथ खिलवाड़ हुआ और हजारों लोगों को जेल में डाल दिया गया। जयशंकर ने आज की राजनीतिक एकजुटता और राष्ट्रहित को लोकतंत्र की सच्ची पहचान बताया।

Written by Himanshi Prakash , National Khabar

विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने आपातकाल की 50वीं वर्षगांठ पर कांग्रेस और गांधी परिवार पर तीखा प्रहार किया। उन्होंने कहा कि 1975 में देश पर आपातकाल इसलिए थोपा गया क्योंकि एक परिवार ने अपने हितों को राष्ट्रहित से ऊपर रख दिया। उस दौर में न लोकतंत्र बचा था, न जनता की आवाज सुनी जा रही थी। लोग डर के साए में जी रहे थे, हजारों लोगों को जेलों में बंद कर दिया गया था और सत्ता का सुख एक परिवार भोग रहा था।

जयशंकर ने कहा कि आज कुछ लोग संविधान की किताब हाथ में लेकर घूमते हैं, लेकिन उनके दिल में उसके लिए कोई सम्मान नहीं है। उन्होंने कटाक्ष करते हुए कहा कि जो लोग आज लोकतंत्र की बात करते हैं, वे अब तक आपातकाल थोपने के लिए माफी नहीं मांग पाए हैं।

विदेशों में भी गिर गई थी भारत की साख
जयशंकर ने बताया कि जब वह विदेश सेवा में नए थे, तब उनके वरिष्ठ अधिकारियों ने उन्हें बताया कि आपातकाल के चलते भारत की ‘मदर ऑफ डेमोक्रेसी’ की छवि को गहरा धक्का लगा था। दुनियाभर में आलोचना हुई और भारतीय राजनयिकों को बड़ी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा।

दो साल में संविधान से हुआ खिलवाड़
उन्होंने बताया कि आपातकाल के दौरान केवल दो वर्षों में पांच बार संविधान में संशोधन किया गया और 48 अध्यादेश लाए गए। 38वें संशोधन द्वारा अदालत में आपातकाल को चुनौती देने का अधिकार छीन लिया गया, जबकि 42वें संशोधन में मौलिक अधिकारों को कमजोर किया गया और न्यायपालिका की शक्तियों को सीमित कर दिया गया।

जयशंकर ने कहा कि 1971 की चुनावी जीत के बाद भ्रष्टाचार, महंगाई और जनता के बढ़ते असंतोष के चलते सरकार की लोकप्रियता तेजी से गिरने लगी थी। गुजरात और बिहार में छात्र आंदोलन शुरू हो गए थे और उस वक्त ‘युवराज’ के बिजनेस को लेकर भी सवाल उठ रहे थे। इन हालातों से घबराकर सरकार ने लोकतंत्र को कुचलते हुए सत्ता बचाने के लिए आपातकाल लागू कर दिया।

‘किस्सा कुर्सी का’ फिल्म से दी चेतावनी
उन्होंने ‘किस्सा कुर्सी का’ फिल्म का जिक्र करते हुए कहा कि उस दौर की सच्चाई इसी नाम में छिपी है। तब राजनीति में यह डर बना रहता था कि किसे कब गिरफ्तार कर लिया जाएगा। लोग जेल जाते थे और उन्हें यह तक नहीं पता होता था कि रिहाई कब होगी। यह दौर डर और अन्याय से भरा हुआ था।

आज देश सर्वोपरि है, न कि परिवार
जयशंकर ने कहा कि आज का भारत बदला हुआ है। अब देश को परिवार से ऊपर रखा जाता है। उन्होंने कहा कि जब शशि थरूर, सुप्रिया सुले, कनिमोझी, संजय झा, जय पांडा, रविशंकर प्रसाद और श्रीकांत शिंदे जैसे नेता विदेशों में एकजुट होकर भारत का पक्ष मजबूती से रखते हैं और आतंकवाद के खिलाफ आवाज उठाते हैं, तब दुनियाभर में भारत की सराहना होती है। यही है सच्चा लोकतंत्र और असली देशभक्ति।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button