कनाडा यात्रा से पहले बड़ी कूटनीतिक हलचल, G7 मंच से आतंकवाद पर पाकिस्तान को घेरेंगे PM मोदी!

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जून 2025 में G7 सम्मेलन में भाग लेने के लिए कनाडा जाएंगे, जहां उनका एजेंडा स्पष्ट है — आतंकवाद पर कड़ा संदेश देना।
Written by: Himanshi Prakash, National Khabar
G7 शिखर सम्मेलन 2025: आतंकवाद पर पाक को घेरने के लिए वैश्विक मंच पर तैयार पीएम मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस साल जून में होने वाले G7 शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए कनाडा के दौरे पर जाएंगे। यह सम्मेलन न केवल वैश्विक आर्थिक और राजनीतिक चर्चा का केंद्र बनेगा, बल्कि भारत के लिए भी एक रणनीतिक अवसर होगा। यह पहला बड़ा वैश्विक मंच होगा, जहां ऑपरेशन सिंदूर की सफलता के बाद पीएम मोदी आतंकवाद पर खुलकर बात करेंगे।
ऑपरेशन सिंदूर: आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई
6-7 मई की रात भारत ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को अंजाम दिया, जिसमें पाकिस्तान और POK (पाक अधिकृत कश्मीर) स्थित 9 आतंकी ठिकानों को पूरी तरह तबाह कर दिया गया। इस तेज़ और सटीक कार्रवाई में 100 से अधिक आतंकवादी मारे गए। इसके जवाब में जब पाकिस्तान ने उकसावे की कार्रवाई की, तो भारत ने उसके कई एयरबेस को भी निशाना बनाया, जिससे भारी नुकसान हुआ। भारत की इस निर्णायक कार्रवाई के बाद पाकिस्तान घुटनों पर आ गया और भारत से सीजफायर की अपील करनी पड़ी।
हालांकि भारत ने सीजफायर के लिए अस्थायी सहमति दे दी है, लेकिन स्पष्ट किया गया है कि ऑपरेशन सिंदूर अभी समाप्त नहीं हुआ है। यदि पाकिस्तान की ओर से भविष्य में कोई भी आतंकवादी हरकत होती है, तो उसका जवाब पहले से भी ज्यादा कड़ा और प्रभावशाली होगा।
G7 सम्मेलन 2025 और भारत की भूमिका
G7 यानी ‘Group of Seven’ दुनिया की सात सबसे विकसित अर्थव्यवस्थाओं का समूह है, जिसमें अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, जापान, इटली और कनाडा शामिल हैं। इस बार G7 की 50वीं वर्षगांठ है और सम्मेलन की मेज़बानी कनाडा कर रहा है। यह सम्मेलन 15 से 17 जून तक कनाडा के अल्बर्टा प्रांत के कानानास्किस शहर में आयोजित होगा। यूरोपीय आयोग और यूरोपीय परिषद के प्रतिनिधि भी हर साल इस मंच में हिस्सा लेते हैं।
G7 समिट में भारत को विशेष आमंत्रण दिया गया है। भले ही भारत G7 का औपचारिक सदस्य नहीं है, लेकिन उसकी वैश्विक स्थिति और लोकतांत्रिक मूल्य इसे इस मंच पर महत्वपूर्ण साझेदार बनाते हैं। भारत की आर्थिक वृद्धि, वैश्विक नेतृत्व क्षमता और आतंकवाद के खिलाफ उसकी सक्रिय भूमिका उसे G7 जैसे मंचों पर बेहद अहम बना देती है।
भारत की वैश्विक भूमिका और G7 की आवश्यकता
भारत आज दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है। अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत की भूमिका अब सिर्फ एक प्रतिभागी की नहीं, बल्कि एक निर्णायक शक्ति की बन गई है। वैश्विक शांति, सुरक्षा और सतत विकास के मुद्दों पर भारत की सोच और रणनीति को G7 देश गंभीरता से लेते हैं। यही वजह है कि भारत की मौजूदगी के बिना G7 जैसे मंच अधूरे माने जाते हैं।
G7 की शुरुआत: एक संक्षिप्त इतिहास
G7 की नींव 1970 में जर्मनी और फ्रांस के विदेश मंत्रियों की अनौपचारिक बैठक से पड़ी थी। औपचारिक रूप से यह समूह 1975 में ‘G6’ के रूप में बना, जिसमें फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, अमेरिका और ब्रिटेन शामिल थे। इसका उद्देश्य वैश्विक आर्थिक संकटों का समाधान ढूंढ़ना था। 1976 में कनाडा के शामिल होने के बाद यह G7 बन गया। तब से यह मंच वैश्विक आर्थिक और राजनीतिक दिशा तय करने वाला महत्वपूर्ण केंद्र बना हुआ है।
PM मोदी का एजेंडा: पाकिस्तान को बेनकाब करना
इस सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आतंकवाद के खिलाफ भारत के मजबूत रुख को वैश्विक नेताओं के सामने पेश करेंगे। खासतौर पर ऑपरेशन सिंदूर की सफलता और पाकिस्तान द्वारा फैलाए जा रहे आतंकवाद को लेकर पीएम मोदी विस्तार से बात करेंगे। अमेरिका के राष्ट्रपति, फ्रांस के राष्ट्रपति, जर्मनी के चांसलर, ब्रिटेन, जापान, इटली और कनाडा के प्रधानमंत्री जब इस मंच पर मौजूद होंगे, तब पीएम मोदी की आवाज वैश्विक असर पैदा करेगी।
G7 सम्मेलन से ठीक पहले पाकिस्तान की बेचैनी बढ़ना स्वाभाविक है, क्योंकि दुनिया अब उसकी आतंकवादी गतिविधियों से आंख मूंदकर नहीं चल सकती। इस मंच से पीएम मोदी ‘आतंकिस्तान’ की असलियत दुनिया के सामने उजागर करने जा रहे हैं।
भारत-कनाडा संबंधों में नई शुरुआत
भारत और कनाडा के बीच संबंधों में गतिरोध उस वक्त आया था जब पूर्व प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने भारत पर बेबुनियाद आरोप लगाए थे। उनके कार्यकाल के अंतिम समय में दोनों देशों के बीच संवाद लगभग ठप हो गया था। लेकिन अब कनाडा के नए प्रधानमंत्री मार्क कार्नी के सत्ता में आने के बाद रिश्तों में सुधार की पहल हो रही है।
हाल ही में प्रधानमंत्री मोदी और प्रधानमंत्री कार्नी के बीच फोन पर बातचीत हुई, जिसमें मोदी ने उन्हें जीत की बधाई दी और G7 सम्मेलन के लिए भारत को निमंत्रण देने के लिए धन्यवाद किया। इसके साथ ही यह भी स्पष्ट हो गया कि भारत सम्मेलन में भाग लेगा।
इससे पहले भारत और कनाडा के विदेश मंत्रियों के बीच भी बैठक हुई थी, जो रिश्तों में पुनर्निर्माण की दिशा में एक अहम कदम मानी जा रही है।
कांग्रेस का सवाल और स्पष्टता
कांग्रेस पार्टी ने जब यह सवाल उठाया कि क्या भारत को G7 का निमंत्रण मिला है या नहीं, तब इस पर खूब बहस हुई। लेकिन पीएम मोदी और मार्क कार्नी की बातचीत के बाद स्थिति पूरी तरह स्पष्ट हो गई। पीएम मोदी ने खुद सोशल मीडिया पर इसकी पुष्टि की कि वे सम्मेलन में भाग लेने जा रहे हैं।
निष्कर्ष:
G7 का यह मंच इस बार न केवल वैश्विक आर्थिक मामलों पर चर्चा का केंद्र बनेगा, बल्कि भारत के लिए आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक समर्थन जुटाने का भी महत्वपूर्ण अवसर साबित होगा। पीएम मोदी की इस यात्रा से भारत की वैश्विक छवि और अधिक मजबूत होगी और पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कठघरे में खड़ा किया जा सकेगा।