एयर इंडिया विमान हादसा: मलबे से ब्लैक बॉक्स और DVR बरामद

गुजरात के आतंकवाद निरोधक दस्ते (ATS) ने 13 जून अहमदाबाद हवाई अड्डे के पास हुए एयर इंडिया विमान हादसे के मलबे से डिजिटल वीडियो रिकॉर्डर (DVR) बरामद किया है। यह हादसा गुरुवार को हुआ था। सूत्रों के अनुसार, दुर्घटनाग्रस्त विमान का ब्लैक बॉक्स भी खोज लिया गया है। ये दोनों उपकरण किसी भी विमान दुर्घटना की जांच में बेहद अहम साक्ष्य होते हैं, जो हादसे के कारणों का पता लगाने में मदद करते हैं।
Written by: Himanshi Prakash, National Khabar
DVR एयर इंडिया के ‘बोइंग 787 ड्रीमलाइनर’ विमान के मलबे से बरामद हुआ, उड़ान भरने के तुरंत बाद दुर्घटनाग्रस्त हो गया था और एक रिहायशी इलाके से टकरा गया था।
विमान का पिछला हिस्सा मेघानी नगर स्थित बी.जे. मेडिकल कॉलेज के यूजी हॉस्टल की मेस पर आ गिरा, जिससे इमारत को गंभीर क्षति पहुंची। इस हादसे में 24 मेडिकल छात्रों की मौत हो गई, जबकि कई अन्य मेडिकल और नर्सिंग छात्र घायल हुए हैं और उनका अस्पताल में इलाज जारी है।
घटनास्थल पर मौजूद एटीएस के एक अधिकारी ने बताया, “यह DVR मलबे से बरामद किया गया है। फोरेंसिक साइंस लेबोरेटरी (FSL) की टीम जल्द ही इसकी जांच करेगी। यह डिवाइस हादसे से पहले की घटनाओं की कड़ी को समझने में मदद कर सकता है।”
DVR और ब्लैक बॉक्स की बरामदगी इस त्रासदी के अंतिम क्षणों में क्या हुआ था, इसकी जानकारी जुटाने में सहायक होगी। गुरुवार को हुए इस भयावह हादसे में कुल 265 लोगों की जान चली गई। एयर इंडिया की फ्लाइट AI-171 लंदन के गैटविक एयरपोर्ट के लिए रवाना हुई थी। विमान में कुल 242 यात्री और 12 क्रू सदस्य सवार थे।
DVR (डिजिटल वीडियो रिकॉर्डर) और ब्लैक बॉक्स दोनों ही डेटा रिकॉर्डिंग के लिए बनाए जाते हैं, लेकिन इनका कार्य और उद्देश्य अलग होता है। DVR आमतौर पर विमान में लगे सिक्योरिटी कैमरों से विजुअल फुटेज रिकॉर्ड करता है और इसे हार्ड ड्राइव या क्लाउड स्टोरेज में सेव किया जाता है। इसका उपयोग मुख्य रूप से निगरानी (surveillance) के लिए किया जाता है।
वहीं, ब्लैक बॉक्स, जिसे फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर भी कहा जाता है, विमान की तकनीकी जानकारी जैसे गति, ऊंचाई, इंजन थ्रस्ट आदि के साथ-साथ कॉकपिट में पायलटों की बातचीत भी रिकॉर्ड करता है। यह उपकरण खास तकनीक से बनाया जाता है ताकि वह दुर्घटना की स्थिति में भी सुरक्षित रहे और जांच में उपयोग किया जा सके।
इन दोनों उपकरणों से प्राप्त डेटा से विमान दुर्घटना के कारणों की गहराई से जांच की जा सकेगी, जो भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचाव के उपायों को मजबूत करने में मदद करेगा।