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G20 में शामिल नहीं होंगे पुतिन,वेस्टर्न लीडर्स के तानों से बचने के लिए लिया फैसला

नेशनल खबर, डेस्क रिपोर्ट

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन ने G20 को लेकर बड़ा ऐलान किया है। उन्होंने कहा कि वो इस बार G20 में शामिल नहीं होगें। न्यूज एजेंसी AFP के अनुसार, पुतिन इंडोनेशिया के बाली शहर में 15-16 नवंबर को होने वाले G20 समिट में नहीं जाएंगे।


उनकी जगह अब रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव इस सम्मेलन में वर्चुअली शामिल होंगे। हालांकि अभी इंडोनेशिया में रूसी एंबेसी के चीफ ऑफ प्रोटोकॉल यूलिया टॉम्स्काया ने भी साफ शब्दों में कहा है कि हम कोशिश कर रहें है कि पुतिन भी वर्चुअली शामिल हो सकें।


पुतिन ने न जाने का ये फैसला ऐसे समय पर लिया है जब रूसी सेना यूक्रेन के साथ हो रही जंग में लगातार पिछड़ती जा रही है। क्रेमलिन भी पश्चिमी देशों की निंदा से बचने के लिए लगातार रास्ता ढूंढने की कोशिश कर रहे हैं।


G20 सम्मेलन में इस बार भारत, अमेरिका समेत कई पश्चिमी देशों के नेता शामिल होने वाले हैं, और ये वो देश हैं जो शुरुआत से ही जंग के विरोध में रहे हैं लेकिन 9 महीने बीत जाने के बाद भी जंग जारी है। इसे लेकर रूस की निंदा होती आई है।


बता दें कि 9 नवंबर को पुतिन ने यूक्रेन के खेरसॉन से अपनी सेना को वापस बुला लिया था। 5 दिन पहले जंग के बाद की सबसे खतरनाक कार्रवाई करते हुए यहां क्फ्र्यू भी लगा दिया गया था। यहां लड़ाई काफी तेज हो रही थी क्योंकि ये शहर रूस के लिए बहुत खास है।


मिली जानकारी के मुताबिक रूस ब्लैक सी के बंदरगाहों पर अपना कब्जा जमाना चाहता है। खेरसॉन के पोर्ट रणनीतिक रूप से तो अहम हैं ही, साथ ही साथ भूमध्य सागर को जोड़ने का व्यापारिक रास्ता भी यहीं से होकर जाता है।


इसके अलावा रुस खेरसॉन को एक बड़े शिप मैन्युफैक्चरर के रुप में देखता आ रहा है। क्योंकि यहां मर्चेंट शिप, टैंकर, कंटेनर शिप, आइसब्रेकर, आर्किट सप्लाई जैसी तमाम शिप बनाई जाती हैं। इस हिस्से को रूस में शामिल करके रूस अपनी समुद्री ताकत को और बढ़ा सकता है। लिहाजा व्यापार के लिए भी इन पर नियंत्रण होना बहुत जरूरी है। यहां से रूसी सैनिकों की वापसी को एक तरह से रूस की हार के तौर पर देखा जा रहा है।

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