रथ यात्रा का दूसरा दिन: मौसी के घर पहुंचेंगे भगवान जगन्नाथ, मां लक्ष्मी क्यों निकलती हैं चुपचाप?

रथ यात्रा का दूसरा दिन: आज पुरी में भगवान जगन्नाथ रथ यात्रा का दूसरा दिन है। 27 जून को भगवान जगन्नाथ अपने भाई बलराम और बहन सुभद्रा के साथ मौसी के घर गुंडिचा मंदिर के लिए रवाना हुए थे। इस पावन अवसर पर देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु पुरी पहुंचे और भक्ति के इस महासागर का हिस्सा बने। अब रथ यात्रा के विशेष दिन हेरा पंचमी पर माता लक्ष्मी भगवान जगन्नाथ से मिलने के लिए गुंडिचा मंदिर पहुंचेंगी — यह दृश्य भी भक्तों के लिए बेहद भावनात्मक और अद्भुत होता है।
धर्म डेस्क | National Khabar
विश्वप्रसिद्ध धार्मिक नगरी पुरी में जगन्नाथ रथ यात्रा का आज दूसरा दिन है। शुक्रवार, 27 जून को शाम 4 बजे इस पावन महोत्सव की शुरुआत हुई थी, जिसमें भगवान बलभद्र, देवी सुभद्रा और भगवान जगन्नाथ के रथ क्रमशः खींचे गए। परंपरा के अनुसार, सबसे पहले बलभद्र का रथ खींचा गया, फिर सुभद्रा और अंत में भगवान जगन्नाथ का रथ।
श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी और अपार आस्था के बीच कुछ लोगों की तबीयत बिगड़ने के कारण शुक्रवार को यात्रा को बीच में ही विराम देना पड़ा। आज शनिवार सुबह 9:30 बजे से रथयात्रा दोबारा शुरू की गई और भगवान के रथों को अगली मंज़िल की ओर खींचा गया। आस्था, परंपरा और भक्ति का यह उत्सव अब गुंडिचा मंदिर की ओर आगे बढ़ रहा है।
रथ यात्रा का आज दूसरा दिन
पुरी की जगन्नाथ रथ यात्रा केवल एक धार्मिक उत्सव नहीं, बल्कि आस्था और भक्ति का विशाल उत्सव है, जिसमें हर साल करोड़ों दिलों की आस्था उमड़ पड़ती है। लोग सालभर इस पावन क्षण का इंतज़ार करते हैं, जब भगवान जगन्नाथ स्वयं अपने भक्तों के बीच नगर भ्रमण पर निकलते हैं।
इस वर्ष श्रद्धालुओं की संख्या में अभूतपूर्व वृद्धि देखी गई है। पूरा पुरी शहर भक्ति, श्रद्धा और “जय जगन्नाथ” के नारों से गूंज रहा है। रथ खींचने के दूसरे दिन भी हजारों भक्त सुबह से ही पुरी पहुंच चुके हैं, ताकि वे इस ऐतिहासिक पल के साक्षी बन सकें।
यात्रा को सुरक्षित और व्यवस्थित बनाए रखने के लिए प्रशासन ने सुरक्षा और भीड़ नियंत्रण के व्यापक इंतज़ाम किए हैं। भक्तों का उत्साह सातवें आसमान पर है, और हर ओर एक ही भाव है — भगवान जगन्नाथ के दर्शन मात्र से जीवन धन्य हो गया।
एक हफ्ते ठहरेंगे भगवान जगन्नाथ
पुरी में भगवान जगन्नाथ की भव्य रथ यात्रा अब गुंडिचा मंदिर की ओर अग्रसर है, जिसे परंपरागत रूप से भगवान की मौसी का घर माना जाता है। हर वर्ष इस शुभ अवसर पर भगवान जगन्नाथ, उनके भ्राता बलभद्र और बहन सुभद्रा अपने विशाल रथों पर सवार होकर जगन्नाथ मंदिर से लगभग 2.5 किलोमीटर दूर स्थित गुंडिचा मंदिर तक पहुंचते हैं।
यहां भगवान की मूर्तियां सात दिनों तक विश्राम करती हैं और भक्तों को दर्शन का विशेष अवसर प्राप्त होता है। इस एक सप्ताह की अवधि के बाद, उसी श्रद्धा और उल्लास के साथ भगवान का पुनः मंदिर वापसी का उत्सव मनाया जाता है, जिसे ‘बहुदा यात्रा’ कहा जाता है। यह संपूर्ण यात्रा न केवल परंपरा की एक मिसाल है, बल्कि भगवान और उनके भक्तों के बीच के प्रेम का जीवंत उदाहरण भी।
हेरा पंचमी 2025
जगन्नाथ रथ यात्रा की शुरुआत 27 जून से हो चुकी है और इसका समापन 8 जुलाई को होगा। हर साल की तरह इस बार भी भगवान जगन्नाथ के दर्शन करने के लिए न केवल देशभर से, बल्कि विदेशों से भी लाखों श्रद्धालु पुरी पहुंच रहे हैं।
आज भगवान जगन्नाथ अपने भाई बलराम और बहन सुभद्रा के साथ गुंडिचा मंदिर, यानी मौसी के घर, विराजमान होंगे। वहीं रथ यात्रा का एक विशेष दिन आता है — हेरा पंचमी, जिसे देवी लक्ष्मी की नाराज़गी और प्रेम की अनोखी लीला के रूप में जाना जाता है।
इस बार हेरा पंचमी 1 जुलाई को मनाई जाएगी। इस दिन माता लक्ष्मी भगवान जगन्नाथ से मिलने के लिए गुप्त रूप से गुंडिचा मंदिर जाती हैं। यह रस्म बड़ी गोपनीयता से निभाई जाती है, जिसमें भक्ति, स्नेह और नाराज़गी की झलक देखने को मिलती है। यह परंपरा भगवान और देवी के मधुर संबंध का अनोखा प्रतीक मानी जाती है, जो भक्तों को भी प्रेम, धैर्य और समर्पण का संदेश देती है।
Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है। नेशनल ख़बर इसकी पुष्टि नहीं करता है।