देश

इतिहास रचने वाला टीकाकरण अभियान

रिपोर्ट- भारती बघेल

एक साल के भीतर- भीतर 150 करोड़ से अधिक टीके यानी अगर हिसाब लगाया जाए तो हर दिन में औसतन 42 लाख से ज्यादा टीके लगे हैं। ये टीम हेल्थ इंडिया की आसाधारण उपलब्धि मानी जा सकती है। आपको बता दें कि साल भर में पहले 16 जनवरी को दुनिया के सबसे बड़े कोविड टीकाकरण अभियान की तैयारी करते समय कुछ लोगों ने अनेक तरह की शंकाएं जाहिर की थीं, मसलन देश को जितनी जरुरत थी उसके मुताबिक टीके उपलब्ध नहीं हो पाएंगे और अगर हो भी गए तो इतनी ज्यादा मात्रा में टीके सुरक्षित रखने की क्षमता होनी चाहिए वो नहीं है।

यह भी कहा जा रहा था कि अब तक हमने कभी भी बालिग आबादी को टीका नहीं लगाया है। राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम के तहत केवल बच्चों और गर्भवती महिलाओं का टीकाकरण किया है, जो आबादी का बहुत ही छोटा सा हिस्सा है। इसके साथ ही किस बच्चे को कौन सा टीका और कब लगा, इसका भी डिजिटल रिकार्ड रखने की तो हमने अभी तक शुरुआत भी नहीं की है। इसी तरह एक ये सवाल भी था कि लोगों की जो टीके संबंधी शक है उसका समाधान कैसे होगा?

उपरोक्त सभी सवालों के बीच टीम हेल्थ इंडिया ने एक सुव्यवस्थित रणनीति और आत्मविश्वास के साथ एकजुट होकर काम करना शुरु किया।इस आत्मविश्वास की पृष्ठभूमि में था टीकाकरण कार्यक्रम चलाने का वर्षों का अनुभव। पाल्स पोलियो अभियान के तहत सीमित समय में लगभग दस करोड़ बच्चों को पोलियो की दो बूंद पिलाने का 25 वर्षों का अनुभव। 15 साल तक के जो बच्चे हैं उनमें 35 करोड़ से अधिक ऐसे बच्चे हैं जिनको मीजल्स और रुबेला वैक्सीन लगा पाने की क्षमता है।

मानकों के अनुरुप वैक्सीन के रखरखाव एवं वितरण की निगरानी करने वाली प्रणाली ई-विन का सफल क्रियान्वयन और छूटे हुए बच्चों एवं गर्भवती महिलाओं को केंद्रित कर टीकाकरण करने की मिशन इंद्रधनुष रुपी सटीक रणनीति को अमल में लाने का अनुभव। इस पृष्ठभूमि के साथ टीम हेल्थ इंडिया ने विषय विशेषज्ञों द्वारा जाहिर की गई अपेक्षाओं एवं शंकाओं का व्यवस्थित रुप से समाधान करने की रणनीति पर ध्यान केंद्रित किया।

भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय, राज्यों, एंव केंद्रशासित प्रदेशों के स्वास्थ्य विभाग, स्वास्थ्य के क्षेत्र में काम करने वाली स्वयंसेवी संस्थाओं आदि ने मिलकर न सिर्फ मैराथन बैठकों में भाग लेकर हर विषय पर गहन चिंतन किया, बल्कि इन बैठकों के निष्कर्षों को दिशा- निर्दशों का स्वरुप भी प्रदान किया। सबसे बड़े टीकाकरण अभियान की शुरुआत से पहले न सिर्फ सभी बुनियादी गाइडलाइंस को अंतिम रुप दिया जा चुका था, बल्कि इसके लिए आवश्यक प्रशिक्षण भी पूरे किए जा चुके थे। हालांकि अबी टीकाकरण कार्यक्रम का औपचारिक रुप से प्रारंभ होना शेष था, लेकिन टीम हेल्थ इंडिया आत्मविश्वास से सराबोर थी।

आखिरकार 16 जनवरी 2021 से पहले टीकाकरण की सभी आवश्यक तैयारियां पूरी हो चुकी थीं। टीकाकरण के लिए पर्याप्त संख्या में लोगों का प्रशिक्षण भी हो गया था। वैक्सीन को व्यवस्थित रुप से टीकाकरण केंद्रों तक सुरक्षित रुप से पहुंचाने और अतिरिक्त भंडारण क्षमता का निर्माण भी किया गया और टीकाकरण केंद्रों तक सुरक्षित रुप से पहुंचाने और अतिरिक्त भंडारण क्षमता का निर्माण भी किया गया और टीकाकरण से संबंधित आवश्यक रिकार्ड डिजिटल रुप से सुरक्षित रखने के लिए कोविन प्लेटफॉर्म बनाया गया। इन सभी तैयारियों को लेकर अभ्यास भी किया गया।

इससे संबंधित एक व्यक्तिगत अनुभव साझा करना प्रासंगिक है। सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के कोविड वैक्सीनेशन केंद्रों, राज्य मुख्यालयों एंव भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय में सक्रिय टीम को 15 जनवरी को सारी रात जागना पड़ा। कड़ाके की ठंड थी। सूर्योदय होने तक सभी के दिल उसी तरह धड़क रहे थे, जैसे किसी अंतरिक्ष यान का प्रक्षेपण करते समय कमांड सेंटर पर बैठे वैज्ञानिकों का दिल धड़कता होगा।

कोविड टीकाकरण अभियान का नोडल अधिकारी होने के नाते मैं भी टीम हेल्थ इंडिया के नैतिक संबल के लिए मंत्रालय में ही था। उस रात टीम की बैचेनी और अंततोगत्वा मिले सुखद परिणाम की अनुभूति को शब्दों में बयान करना कठिन है। आज हम सभी गवाह हैं, अनोखे भारतीय डिजिटल प्लेटफॉर्म की खूबियों के, जिसने लगातार कार्यक्रम की जरुरत के मुताबिक खुद को और बेहतर किया। प्रारंभ में वैक्सीन सीमित मात्रा में उपलब्ध थी। इसका कारण तर्कसंगत वितरण एक चुनौती थी- न केवल भारत सरकार के स्तर पर, अपितु राज्यों एवं जिलों के स्तर पर भी।

ऐसे में आलोचनाएं स्वभाविक थीं, लेकिन टीम हेल्थ इंडिया ने इस काम को बखूबी अंजाम दिया। इसके लिए हर रोज घंटो वर्चुअल बैठकें करनी पड़ती थीं। वैक्सीन निर्माताओं के साथ, वैक्सीन परिवहन करने वाली एजेंसियों के साथ और वैक्सीन लगाने वाले केंद्रों के साथ। इन बैठकों का मकसद सिर्फ एक होता था, उपलब्ध वैक्सीन का यथासंभव सर्वश्रेष्ठ सदुपयोग। टीम की अच्छी भावना के कारण ही आज देश के दूरदराज क्षेत्रों में भी वैक्सीन पहुंचाने में सफलता मिल सकी है।

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