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यूक्रेन-पोलैंड सीमा पर बीएपीएस स्वामिनारायण संस्था के स्वयंसेवकों ने छात्रों की सेवा कर उनकी क्षुधा को शांत किया

दिल्ली के अक्षरधाम मंदिर सहित विश्वभर में अनेक प्रसिद्द मंदिरों की निर्मात्री बीएपीएस स्वामिनारायण संस्था आज उन भारतीय छात्रों की सेवा में है जो रूस के आक्रमण से त्रस्त यूक्रेन में से जान बचाने के लिए पोलैंड आए हैं। यूक्रेन के समीपस्थ सीमान्त देशों में स्वामिनारायण संस्था के स्वयंसेवक दिन-रात जुटे हैं। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्रभाई मोदी ने दो दिन पूर्व आधी रात को संस्था के पूज्य ब्रह्मविहारी स्वामी को फोन किया और बीएपीएस से यूक्रेन-पोलैंड सीमा पर फंसे भारतीय छात्रों की देखभाल करने को कहा। स्वामीजी ने बताया, “संगठन के आध्यात्मिक गुरु एवं प्रमुख परम पूज्य महंत स्वामी महाराज के आशीर्वाद से इस सेवा को तत्काल शुरू किया गया और कल बी.ए.पी.एस. संगठन के यूरोप स्थित स्वयंसेवक सीमा पर प्रभावित लोगों तक पहुंच गए हैं।” अग्रणी बीएपीएस स्वयंसेवक श्री चिरागभाई गोदीवाला, श्री शैलेशभाई भावसार और अन्य स्वयंसेवक पेरिस और स्विटजरलैंड से लगातार 22 घंटे की ड्राइव के बाद मोबाइल किचन वैन के साथ यूक्रेन-पोलैंड सीमा के पास रेसजो शहर पहुंचे। ये स्वयंसेवक औसतन 800 से 1000 लोगों को शाकाहारी गर्म भोजन देकर अपना कार्य दक्षता से  कर रहे हैं। कड़ाके की ठंड में माइनस तीन-चार डिग्री तापमान में कई दिनों से पैदल चल रहे भारतीय छात्रों को यहां गर्मागर्म भारतीय खाना मिलने से राहत मिली है। कुछ छात्र दिन में 40-50 किलोमीटर पैदल चलकर अपना सामान लेकर यहां पहुंचे हैं। उनकी दयनीय स्थिति को देखकर संगठन के स्वयंसेवक भी सहम गए हैं। बीएपीएस के स्वयंसेवक स्नेह एवं आत्मीयतापूर्वक  गर्मागर्म खाना और सांत्वना देकर उन्हें नई आशा दे रहे हैं। भारत सरकार की ओर से भारतीय दूतावास ने प्रभावित छात्रों के लिए रेसजो शहर के एक प्रसिद्ध होटल के सम्मेलन कक्ष में ठहरने की व्यवस्था की है। पूरे भारत में सभी समुदायों के छात्रों को समायोजित करने का प्रयास किया जा रहा है। बी.ए.पी.एस. संस्था के स्वयंसेवक आत्मीयता से उनकी मदद कर रहे हैं। गौरतलब है कि दुनिया में जब भी इस तरह की प्राकृतिक या मानव निर्मित आपदा आती है तो आपदा राहत में बीएपीएस परिवार सबसे आगे रहता है। स्वामिनारायण  संस्था को हमेशा लोगों का आशीर्वाद मिलता रहा है। आज भी, पोलैंड में भारतीय छात्र संस्थान की सेवा से राहत महसूस करते हुए, संस्थान के स्वयंसेवकों की दिल से सराहना कर रहे हैं।

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