गुलाम हुए आजाद,आजाद ने दिया इस्तीफा
रिपोर्ट : प्रज्ञा झा
गुलाम हुए आजाद,आजाद ने दिया इस्तीफा
यूं तो राजनीतिक गलियारों से हमेशा अलग-अलग खबरें आती रहती हैं ,कभी किसी अपोजिशन पार्टी ने केंद्र सरकार पर निशाना साधा ,तो कभी केंद्र सरकार ने किसी अपोजिशन पार्टी पर ,लेकिन एक बहुत बड़ी खबर आई है कि गुलाम नबी आजाद ने कांग्रेस के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया है। यह कोई छोटी बात नहीं है ,गुलाम नबी आजाद ने कांग्रेस को अपने 49 साल की सेवा दी है। हर मोड़ को देखा है ,उतार-चढ़ाव को देखा ,हर पद पर काम किया इंदिरा गांधी से लेकर राहुल गांधी तक का सफर कैसा रहा क्या, कब, कैसे उनके साथ हुआ, इन सभी बातों को कांग्रेस के सभी नेता बहुत अच्छे से जानते हैं। कांग्रेस पार्टी में रहते हुए वह जेल भी जा चुके थे, लेकिन पार्टी के कुछ कारणों से उन्होंने आज इस्तीफा दे दिया।
- कांग्रेस पार्टी से गुलाम नबी आजाद के इस्तीफा देने के बाद पांच और कांग्रेस नेताओं ने इस्तीफा दे दिया
- गुलाम नबी आजाद के इस्तीफा देने के बाद कांग्रेस के अजय माकन ने और जयराम रमेश ने काफी कड़वे शब्दों में उनकी निंदा की।
- कांग्रेस पार्टी में राहुल गांधी के व्यवहार से नवी थक चुके थे।
- पूरा इस्तीफा उन्होंने करीबन 5 पन्नों में लिख कर दिया।
विस्तार
कांग्रेस मे नेताओं के जाने का समा थम नहीं रहा है । धीरे-धीरे करके कांग्रेस के सभी दिग्गज नेता इस्तीफा देते जा रहे हैं । चाहे वह जतिन प्रसाद हो, ज्योतिरादित्य सिंधिया हो , हेमंत विश्वा हो , कपिल सिब्बल हो या कैप्टन अमरेंद्र सिंह हो इसके कई कारण सामने है
- सोनिया गांधी का मुखिया होते हुए ,पार्टी की कमान राहुल गांधी को सौंपना।
- कांग्रेस में जवान चेहरों को ज्यादा तवज्जो दिया जा रहा है ,और दिग्गज और अनुभवी लोगों को दरकिनार किया जा रहा है।
- पार्टी में ज्यादातर फैसले राहुल गांधी के पीए और उनके रक्षा कर्मी ले रहे हैं।
- लगातार सत्ता में कांग्रेस अपनी पकड़ खोती जा रही है।
- पिछले 2 साल में सोनिया गांधी ने आजाद को साधने की कोशिश की थी।
गुलाम नबी आजाद ने इस्तीफा देने का समय ऐसा चुनाव जब उनकी कांग्रेस से नाराजगी के पूरे 2 साल पूरे होने वाले हैं। कांग्रेस की नीतियों से वो दिन ब दिन परेशान होते चले गए। सबसे ज्यादा नाराजगी राहुल गांधी से जताई है, गुलाम नबी आजाद राहुल गांधी की बचकानी हरकतों और उनके फैसले लेने की क्षमता पर काफी ज्यादा नाराज है ,उन्होंने अपने इस्तीफे में लिखा है कि किस तरीके से राहुल गांधी के द्वारा लिए गए फैसले उनके पीए और उनके बॉडीगार्ड द्वारा लिए जाते हैं उन्हें सजेस्ट किया जाता है, की आखिर फैसला लेना क्या है।
जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री और पूर्व केंद्रीय मंत्री रह चुके गुलाम नबी आजाद ने इसी नाराजगी में G-23 के गुट में शामिल भी हुए थे और कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व के खिलाफ सार्वजनिक रूप से चिट्ठी लिखकर नाराजगी भी जताई थी।
इंदिरा गांधी के साथ भी काम कर चुके थे आजाद।
गुलाम नबी आजाद गांधी परिवार के तीन पीढ़ियों का साथ दे चुके हैं। वह साल 1973 में कांग्रेस में शामिल हुए थे। यह साथ 2022 तक चलता रहा। 1980 में महाराष्ट्र के वाशिम से चुनाव लड़े थे और पहली बार सांसद बने थे। वो इंदिरा गांधी, राजीव गांधी और राहुल गांधी की टीम का हिस्सा रहे हैं। लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की करारी हार के बाद उनकी नाराजगी काफी ज्यादा बढ़ने लगी क्योंकि उस वक्त में सत्ता राहुल गांधी के हाथ में थमा दी गई थी ।और राहुल गांधी के नेतृत्व में जवान नेताओं को ज्यादा तवज्जो दिया जा रहा था और अनुभवी नेताओं को दरकिनार किया जा रहा है।
सोनिया गांधी ने आजाद को रोकने की भी काफी कोशिश कि।
ऐसा नहीं था कि गुलाम नबी आजाद की नाराजगी को दूर करने के लिए कुछ भी नहीं किया गया। सोनिया गांधी ने खुद उनकी नाराजगी दूर करने के लिए काफी कोशिशें की। सितंबर 2021 में आजाद के 75 साल पूरे होने पर देश भर में पार्टी ने पर देश में समारोह का आयोजन करवाया और दूसरी गतिविधियों के लिए कमेटी का अध्यक्ष पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को बना दिया गया। और इसी कमेटी में गुलाम नबी आजाद को भी शामिल कर लिया गया था। जम्मू कश्मीर में कांग्रेस पार्टी के प्रचार समिति के प्रमुख की जिम्मेदारी भी उन्हें सौंप दी गई थी लेकिन आजाद ने इस एलान के कुछ घंटे बाद ही समिति पद से इस्तीफा दे दिया।
पार्टी के दूसरे नेता क्या कदम उठाएंगे
आजाद कांग्रेस में G -23 नाम का एक संगठन भी शामिल था। जिसमें 23 वह नेता थे जो पार्टी के कार्यों से खुश नहीं थे। जिन्होंने कई बार पार्टी के प्रमुख को पत्र लिखकर यह भी साफ कर दिया था कि उनकी मंशा आखिर है क्या लेकिन उन सभी की बातों को दरकिनार किया गया ।इसी नाराजगी में कपिल सिब्बल ने भी कांग्रेस को इस्तीफा दे दिया था। और अब गुलाम नबी आजाद ने भी कांग्रेस को अलविदा कह दिया। यह अटकलें लगाई जा रही है कि हो सकता है और भी नेता पार्टी को छोड़ दें। सबसे ऊपर नाम आनंद शर्मा और मनीष तिवारी का लिया जा रहा है ।क्योंकि हाल ही में आनंद शर्मा ने हिमाचल चुनाव के लिए बनी कांग्रेस की संचालन समिति के अध्यक्ष पद से इस्तीफा भी दे दिया था।
आजाद को पद्म पुरुष्कार देने पर दो गुट दिखे।
गुलाम नबी आजाद का 2021 में राज्यसभा का कार्यकाल खत्म हो गया था। सभा में प्रधानमंत्री उस वक्त काफी भावुक नजर आए थे ।इस साल भारत सरकार ने गुलाम नबी आजाद को पद्म पुरस्कार देने का निर्णय लिया था ।राहुल के करीबी गुट में नाराजगी दिखाई थी। कांग्रेस के नेता जय राम रमेश ने इस बात को लेकर ट्वीट भी किया था। हालाकि उन्होंने ये बात सीधी तौर पर न कहते हुए पश्चिम बंगाल के नेता बुद्धदेव भट्टाचार्य के पद्म पुरस्कार को न लेने के फैसले पर उन्होंने ट्वीट किया की ये सही रास्ता है वो आजाद रहना चाहते है न की गुलाम।