वृंदावन का वो मंदिर जिसे भूतों ने एक ही रात में बना दिया!

वृंदावन: गोविंद देव मंदिर से जुड़ी मान्यता के अनुसार, इसे भूत रात में बना रहे थे। लेकिन एक रात किसी ने आटा चक्की चला दी। उसकी आवाज सुनकर भूत डर गए और काम अधूरा छोड़कर भाग गए। तभी से मंदिर की ऊपरी मंजिलें अधूरी रह गईं।
धर्म डेस्क | National Khabar
वृंदावन की पावन धरती, जहां हर कण में भगवान कृष्ण की लीलाओं की गूंज सुनाई देती है, रहस्यमयी मंदिरों से भी भरी हुई है। इन्हीं में एक है – गोविंद देव मंदिर, जिसे लेकर एक अद्भुत कथा प्रचलित है।
कहते हैं कि इस मंदिर का निर्माण भूतों द्वारा रातों-रात किया गया था। उन्होंने एक ही रात में कई मंजिला ढांचा खड़ा कर दिया था। लेकिन मंदिर पूरा होने से पहले ही एक विचित्र घटना घट गई – जैसे ही किसी ने आटा चक्की चलानी शुरू की, उसकी आवाज सुनते ही भूत डरकर भाग निकले।
मान्यता है कि सुबह होने से पहले ही भूतों को काम छोड़ना पड़ा, और तभी से यह मंदिर अधूरा ही रह गया। आज भी जो संरचना दिखाई देती है, वह उतनी ही है जितनी भूत बना पाए थे।
इतिहासकारों के अनुसार, एक समय था जब इस मंदिर की भव्यता इतनी थी कि इसकी रोशनी आगरा तक दिखाई देती थी। हालांकि मुगल काल में इस मंदिर को नुकसान पहुंचाया गया और यहां स्थापित भगवान श्रीकृष्ण की प्राचीन मूर्ति की सुरक्षा के लिए पुजारी उसे जयपुर ले गए। आज वही विग्रह जयपुर के गोविंद देव जी मंदिर में विराजमान है।
पुरातत्व विभाग के कर्मचारियों का भी मानना है कि यह मंदिर अपने अधूरे निर्माण और रहस्यमय इतिहास के कारण “गोविंद देव (भूत) मंदिर” के नाम से भी जाना जाता है। यह मंदिर आज भी आस्था, रहस्य और इतिहास का जीवंत संगम बना हुआ है।
गोविंद देव मंदिर, वृंदावन का एक ऐतिहासिक और आध्यात्मिक स्थल है, जिसका इतिहास बेहद गौरवशाली है। इस मंदिर का निर्माण श्री रूप गोस्वामी द्वारा 1525 में खोजी गई भगवान श्रीकृष्ण की दिव्य मूर्ति की स्मृति में किया गया था।
इस भव्य मंदिर को लाल बलुआ पत्थर से निर्मित किया गया था और इसका स्थापत्य इतना शानदार था कि दूर-दूर से इसकी भव्यता नजर आती थी। लेकिन समय के साथ इस मंदिर को भी मुगलों के अत्याचार का सामना करना पड़ा। मुगल शासक औरंगजेब ने इस मंदिर को नष्ट करवा दिया था।
भगवान गोविंद देव जी की मूल मूर्ति को सवाई जय सिंह द्वितीय ने वृंदावन से जयपुर लाकर सिटी पैलेस परिसर के गोविंद देव जी मंदिर में स्थापित किया था, ताकि उसकी रक्षा की जा सके।
हालांकि वृंदावन के गोविंद देव मंदिर में आज भी पूजा-अर्चना और अनुष्ठान होते हैं। यहां हर दिन सूर्योदय से पहले मंगला दर्शन की परंपरा निभाई जाती है, जो भक्तों के लिए एक अत्यंत पवित्र अनुभव होता है।
यह मंदिर आज भी भक्ति, इतिहास और रहस्य का अनमोल संगम बना हुआ है।