स्वास्थ्य

Diabetes Cure 2.0 अब डायबिटीज़ को जड़ से खत्म करना होगा मुमकिन

अब तक डायबिटीज़ को लेकर फैली इन शंकाओं का जवाब है – हां, यह संभव है, लेकिन इसके लिए आपको अपनी बीमारी को नई दृष्टि से समझना होगा ।

क्या डायबिटीज़ का इलाज संभव है? क्या दवाइयों और इंसुलिन के बिना भी डायबिटीज़ को कंट्रोल या रिवर्स किया जा सकता है? अब तक डायबिटीज़ को लेकर फैली इन शंकाओं का जवाब है – हां, यह संभव है, लेकिन इसके लिए आपको अपनी बीमारी को नई दृष्टि से समझना होगा ।

Written By Pragya Jha, National Khabar

डायबिटीज़ एक मेटाबॉलिक डिसऑर्डर डायबिटीज़ केवल शुगर का बढ़ना नहीं है, यह एक मेटाबॉलिक असंतुलन है जिसमें शरीर में बनने वाली या इस्तेमाल होने वाली इंसुलिन की प्रक्रिया गड़बड़ा जाती है । जब ग्लूकोज़ सेल्स तक नहीं पहुँच पाता, तब ब्लड शुगर लेवल बढ़ता है । वर्षों तक चलने वाला इलाज, डाइट प्लान्स और इंसुलिन के बाद भी अगर सुधार नहीं हो रहा है तो आपको कुछ ऐसे टेस्ट्स कराने चाहिए जिनकी जानकारी आज भी अधिकांश मरीजों को नहीं है । डॉ. एस. कुमार की खोज और सुझाव 45 वर्षों से अधिक समय से डायबिटीज़ पर काम कर रहे शोधकर्ता डॉ. एस. कुमार का दावा है कि यदि मरीज कुछ बेहद जरूरी टेस्ट्स कराएं और साथ में एक विशेष डाइट प्रोटोकॉल को फॉलो करें, तो डायबिटीज़ का रीवर्सल संभव है । कौन- कौन से टेस्ट हैं ज़रूरी? HOMA- IR – यह जांच बताती है कि शरीर में इंसुलिन रेसिस्टेंस कितना है । C- Peptide – यह दर्शाता है कि आपकी बॉडी अभी भी कितनी इंसुलिन बना रही है । Beta Cells Function Test – बीटा सेल्स की कार्यक्षमता की जांच ।

Fasting Blood Sugar Post Meal Sugar( PPBS) HbA1c – पिछले 3 महीनों की औसत ब्लड शुगर का पता चलता है । इनमें से HOMA- IR, C- Peptide और Beta Cells Function टेस्ट्स को बहुत ही कम लोग कराते हैं क्योंकि मरीजों को इसकी जानकारी ही नहीं होती — और अक्सर डॉक्टर भी इसे जरूरी नहीं मानते । लेकिन इन्हीं जांचों से ये तय होता है कि डायबिटीज़ वाकई में है या सिर्फ उसके लक्षण हैं । डाइट में क्या बदलाव जरूरी है? डॉ. कुमार के अनुसार, डायबिटीज़ के मरीजों को कुछ चीज़ें तुरंत बंद कर देनी चाहिए दूध और डेयरी प्रोडक्ट्स फ्रूट्स( मीठे फल) व्हीट और आलू जैसे हाई कार्ब फूड्स तेल, खासतौर पर ऐसा तेल जो गर्म करने पर धुआं छोड़ता हो ऐसे तेलों का धुआं आपकी बॉडी की सेल्स पर परत चढ़ा देता है, जिससे ग्लूकोज़ सेल्स तक नहीं पहुँच पाता और डायबिटीज़ की शुरुआत हो जाती है ।

डॉ. कुमार का कहना है कि इस स्पेशल डाइट प्रोटोकॉल को कम से कम 365 दिनों तक फॉलो करना होता है ताकि शरीर खुद से इंसुलिन प्रोड्यूस कर सके और मरीज की हालत सुधर सके । क्यों नहीं मिलती मरीजों को पूरी जानकारी? ये गलती सिर्फ मरीजों की नहीं है । अधिकतर डॉक्टर भी सिर्फ बेसिक जांचों तक ही सीमित रहते हैं । जबकि C- Peptide, HOMA- IR, और Beta Cell Function जैसी रिपोर्ट्स आपको आपकी जड़ से जुड़ी समस्या बताती हैं । अधिक जानकारी के लिए नीचे दिए हुए लिंक पर क्लिक करें ।


आइए जानते हैं एस कुमार के बारे में
डॉ. एस कुमार Appropriate Diet Therapy Centre के संस्थापक हैं।। डॉ. एस कुमार पीएचडी होल्डर होने के साथ-साथ “डॉक्ट्रेट ऑफ लिटरेचर” की डिग्री रसियन यूनिवर्सिटी से प्राप्त कर चुके हैं, साथ ही 3 बार गोल्ड मेडलिस्ट भी रहे हैं।। डायबिटीज की दुनिया में शोध करने के लिए उन्हें फ्रांस की सीनेट में भारत गौरव अवार्ड से सम्मानित किया जा चुका है। इतना ही नहीं, डॉ. एस कुमार को लंदन की 200 साल पुरानी पार्लियामेंट में डायबिटीज पर शोध के लिए बेस्ट साइंटिस्ट के अवार्ड से भी नवाजा गया है।

डॉ. एस कुमार अभी तक कई किताबें भी लिख चुके हैं, जिनमें से एक पुस्तक को राष्ट्रपति भवन के पुस्तकालय में स्थान भी दिया गया है। भारत में Appropriate Diet Therapy Centre की 56 से अधिक शाखाएं संचालित हैं। यदि आप भी संपर्क करना चाहते हैं, तो दिए गए नंबर पर कॉल करें:: ‪+91 9372166486‬

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