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अमित शाह ने किए काल भैरव के दर्शन | जानिए भैरव कृपा से मिलने वाले 5 अद्भुत लाभ

अमित शाह सोमवार को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ वाराणसी के काल भैरव मंदिर पहुंचे। वहाँ उन्होंने करीब 15 मिनट तक श्रद्धा से पूजा और आरती की। मान्यता है कि काल भैरव की आराधना से न केवल जीवन की कठिनाइयों और परेशानियों से छुटकारा मिलता है, बल्कि व्यक्ति तंत्र-मंत्र, नजर दोष और टोने-टोटके जैसी नकारात्मक तांत्रिक शक्तियों से भी सुरक्षित रहता है। कहा जाता है कि काशी के कोतवाल कहे जाने वाले काल भैरव की कृपा से जीवन में सुरक्षा, बल और मानसिक शांति का संचार होता है।

धर्म डेस्क | National Khabar

गृहमंत्री अमित शाह सोमवार को भगवान शिव की नगरी काशी पहुंचे, जहां मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उनका भव्य स्वागत किया।

काशी आगमन के बाद अमित शाह ने सबसे पहले मुख्यमंत्री योगी के साथ काशी के कोतवाल माने जाने वाले काल भैरव मंदिर में जाकर दर्शन व आशीर्वाद लिया।

पूजा-अर्चना के उपरांत, मंदिर के पुजारी ने धार्मिक परंपरा के अनुसार दंड से उनकी नजर उतारी, जो बुरी शक्तियों से सुरक्षा के लिए किया जाता है।

मान्यता है कि काल भैरव मंदिर में श्रद्धा से पूजा करने से तंत्र-मंत्र, टोने-टोटके, नजर दोष और अन्य नकारात्मक शक्तियों का प्रभाव समाप्त हो जाता है।

साथ ही, जीवन में जो भी समस्याएं, बाधाएं या मानसिक अशांति चल रही होती है, वो भी काल भैरव की कृपा से दूर हो जाती हैं।

आइए जानते हैं कि काल भैरव के दर्शन और पूजा करने से कौन-कौन से 5 बड़े लाभ मिलते हैं…

अमित शाह ने की काल भैरव की पूजा

गृहमंत्री अमित शाह ने सोमवार को काशी के काल भैरव मंदिर में पूरी विधि-विधान से पूजा-अर्चना की और आरती में भाग लिया।

मंदिर के पुजारी के अनुसार, पूजा के दौरान किसी भी प्रकार की बाधा, आपदा या विपत्ति से रक्षा के लिए अमित शाह की तेल से नजर उतारी गई। इसके पश्चात, श्री शाह के हाथों से मंदिर की ज्योत प्रज्वलित कराई गई, जिसे देश के कल्याण और सुरक्षा के प्रतीक रूप में देखा गया।

मंदिर की ओर से उन्हें एक स्मृति चिह्न (मोमेंटो) और रुद्राक्ष की माला प्रसादस्वरूप भेंट की गई। साथ ही, बाबा काल भैरव के दंड से झाड़ा देकर उन्हें आशीर्वाद दिया गया।

अंत में, उनके दाहिने हाथ में काले रंग का कलावा बांधा गया, जो बुरी शक्तियों से रक्षा और शुभता का प्रतीक माना जाता है।

तांत्रिक शक्तियों से मिलती है मुक्ति

काल भैरव को भगवान शिव के प्रमुख गणों में से एक माना जाता है और साथ ही वे मां दुर्गा के अनुचर भी माने जाते हैं।

धार्मिक ग्रंथों और शास्त्रों के अनुसार, केवल ‘काल भैरव’ के नाम का जप करने से ही जीवन की अनेक परेशानियों से मुक्ति मिलने लगती है।

विशेष रूप से भूत-प्रेत बाधा, नकारात्मक ऊर्जा और तांत्रिक प्रभावों से बचाव के लिए, सप्ताह में मंगलवार और शनिवार को घर में भैरव पाठ करना अत्यंत फलदायी माना गया है।

ऐसा करने से व्यक्ति को मानसिक शांति, सुरक्षा और जीवन में आने वाली बाधाओं से राहत मिलती है।

राहु-केतु के असर से मिलती है मुक्ति

यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में मंगल ग्रह अशुभ स्थिति में हो, तो उससे उत्पन्न दोषों के निवारण के लिए काल भैरव की पूजा अत्यंत प्रभावी मानी जाती है।

साथ ही, राहु और केतु के दुष्प्रभाव से मुक्ति पाने के लिए भी काल भैरव की उपासना को श्रेष्ठ उपाय माना गया है।

ऐसा कहा जाता है कि काल भैरव की कृपा से टोने-टोटके, बुरी नजर, और शत्रुओं की नकारात्मक योजनाएं स्वतः ही निष्फल हो जाती हैं।

उनकी भक्ति व्यक्ति के जीवन में रक्षा-कवच का काम करती है और उसे आत्मिक बल व निर्भयता प्रदान करती है।

कोर्ट कचहरी से मिलती है मुक्ति

काल भैरव को देवताओं के दंडाधिकारी के रूप में जाना जाता है। माना जाता है कि जो व्यक्ति न्यायिक मामलों, कोर्ट-कचहरी के झंझट या कानूनी विवादों में उलझा हो, उसे काल भैरव की उपासना से सही मार्गदर्शन और समाधान प्राप्त हो सकता है।

जिन लोगों को पुलिस, शत्रुओं या अन्य बाहरी बाधाओं का सामना करना पड़ता है, उनके लिए काल भैरव की आराधना विशेष रूप से रक्षक और परिणामदायक मानी जाती है।

विशेषकर भैरव अष्टमी या रविवार के दिन भैरव मंदिर में सरसों के तेल का चढ़ाव करने से शत्रु भय शांत होता है और जीवन में न्याय और सुरक्षा की प्राप्ति होती है।

मृत्यु के भय से मिलती है मुक्ति

काल भैरव की उपासना व्यक्ति को मृत्यु के भय से मुक्त कर जीवन की नश्वरता को स्वीकारने की शक्ति देती है। इससे उसका मन धर्म और अध्यात्म की ओर सहज रूप से अग्रसर होता है।

प्राचीन ज्योतिष ग्रंथों जैसे फलदीपिका और सरावली में उल्लेख है कि जो व्यक्ति नियमित रूप से भैरव की आराधना करता है, उसे कभी-कभी मृत्यु की पूर्व सूचना (पूर्वाभास) भी मिल सकती है।

भैरव उपासना से मन में भय समाप्त होता है और उसकी जगह आता है निर्भयता, मानसिक शक्ति और आत्मविश्वास।
यह साधना व्यक्ति को आंतरिक रूप से इतना मजबूत बना देती है कि वह जीवन की हर परिस्थिति का सामना शांत चित्त से कर सके।

रात्रिकालीन देवता हैं काल भैरव

काल भैरव को तंत्र, मंत्र और गूढ़ विद्याओं के अधिपति देवता माना जाता है। जो व्यक्ति तांत्रिक साधना, ज्योतिष, मंत्रों की सिद्धि या गूढ़ आध्यात्मिक ज्ञान की खोज में होता है, उसके लिए भैरव की कृपा अत्यंत आवश्यक मानी गई है।

उन्हें रात्रिकालीन देवता कहा जाता है, और मान्यता है कि रात में यात्रा करने वाले यात्रियों को यदि वे काल भैरव की शरण लेते हैं, तो उन्हें एक अदृश्य सुरक्षा का अनुभव होता है।

तांत्रिक परंपराओं में काल भैरव को भूत-प्रेत बाधाओं और अघोरी शक्तियों को नियंत्रित करने वाले सबसे शक्तिशाली रक्षक देवता माना गया है। उनकी उपासना से नकारात्मक ऊर्जा स्वतः नष्ट हो जाती है और साधक को भयमुक्त स्थिति प्राप्त होती है।

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