बार-बार कुंडली दिखाना सही या गलत? जानें इसका असर आपके भाग्य पर

हिंदू धर्म में कुंडली को विशेष महत्व दिया गया है। कई लोग जीवन के अलग-अलग पड़ाव पर अपनी कुंडली लेकर ज्योतिषाचार्य के पास पहुंच जाते हैं। लेकिन सवाल यह है कि बार-बार कुंडली दिखाना क्या वाकई सही है? क्या इससे आपके भाग्य या भविष्य पर कोई असर पड़ता है? आइए, जानते हैं इसका सच।
धर्म डेस्क | National Khabar
कुंडली के जरिए हम अपने भूत, भविष्य और वर्तमान के बारे में कई अहम जानकारियां प्राप्त कर सकते हैं। इसमें मौजूद 12 भाव व्यक्ति के पूरे जीवन का विस्तार से वर्णन करते हैं। लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या बार-बार कुंडली दिखाना उचित है?
अक्सर देखा जाता है कि लोग बार-बार अपनी कुंडली किसी ज्योतिषाचार्य को दिखाते रहते हैं। ऐसा करने से मन में भ्रम की स्थिति पैदा हो सकती है। बार-बार कुंडली का विश्लेषण कराने से व्यक्ति के भीतर बेचैनी और चिंता बढ़ने लगती है। हर समय यह डर सताता रहता है कि आगे क्या होने वाला है। इसलिए कुंडली का बार-बार परीक्षण कराने से बचना चाहिए।
कुंडली तभी दिखानी चाहिए जब कोई बड़ा और महत्वपूर्ण निर्णय लेना हो, जैसे घर बनवाना, शादी करना, नौकरी बदलना या किसी नए काम की शुरुआत करना।
कई बार लोग जीवन में मुश्किल दौर से गुजरते हुए अपनी कुंडली दिखाते हैं। ऐसे समय में कुंडली का अध्ययन आपकी समस्या का समाधान बताने में मददगार हो सकता है।
कुंडली में 12 भाव होते हैं, जिनमें 12 राशियों का स्थान तय होता है और इन भावों में 9 ग्रह स्थित होते हैं। इन्हीं ग्रहों और राशियों के आधार पर व्यक्ति के भाग्य और जीवन की दिशा का आंकलन किया जाता है।
इस खबर में दी गई जानकारियाँ धार्मिक मान्यताओं और परंपराओं पर आधारित हैं। नेशनल ख़बर इनकी पुष्टि नहीं करता।