धर्म

मंगला गौरी व्रत कथा: संतान सुख पाने के लिए अवश्य सुनें ये पौराणिक कहानी

सावन के महीने में मंगला गौरी व्रत का अपना खास महत्व होता है। माना जाता है कि इस व्रत को रखने से भगवान शिव और माता पार्वती दोनों की कृपा प्राप्त होती है। इस बार सावन की शुरुआत 11 जुलाई से हो चुकी है और सावन का पहला मंगला गौरी व्रत आज के दिन रखा जा रहा है।

धर्म डेस्क | नेशनल खबर

साल 2025 में सावन महीने का पहला मंगला गौरी व्रत आज, यानी 15 जुलाई मंगलवार को पड़ रहा है। सावन के प्रत्येक मंगलवार को सुहागिन महिलाएं मंगला गौरी व्रत रखती हैं। इस व्रत को करने से भगवान शिव और माता पार्वती दोनों का आशीर्वाद प्राप्त होता है। यह व्रत खासतौर पर पति की लंबी उम्र और संतान प्राप्ति के लिए किया जाता है। आइए जानते हैं, इस व्रत से जुड़ी पौराणिक कथा।

साहूकार और उसकी पत्नी की कथा
कहा जाता है कि एक गांव में एक धनवान साहूकार अपनी पत्नी के साथ रहता था। उसके घर में किसी चीज की कमी नहीं थी, लेकिन उनके जीवन में संतान न होने का दुख हमेशा बना रहता था। एक दिन उनके घर एक साधु पधारे। साहूकार ने उनका सत्कार किया और अपनी व्यथा सुनाई। साधु ने साहूकार की पत्नी को सावन में हर मंगलवार मंगला गौरी व्रत करने की सलाह दी।

साहूकार की पत्नी ने पूरे विधि-विधान से सावन के पहले मंगलवार से ही व्रत शुरू कर दिया। कई महीनों तक श्रद्धा के साथ व्रत और पूजा करने के बाद माता पार्वती प्रसन्न हुईं और भगवान शिव से आग्रह किया कि वे साहूकार को संतान का सुख दें।

एक रात साहूकार को स्वप्न में दिव्य दर्शन हुए। एक शक्ति ने उससे कहा — “एक आम के पेड़ के नीचे भगवान गणेश की मूर्ति स्थापित है। वहां से आम तोड़कर अपनी पत्नी को खिलाओ, तुम्हें संतान का सुख मिलेगा।”

अगली सुबह साहूकार ने स्वप्न में बताए अनुसार आम का पेड़ ढूंढ़ निकाला। पेड़ पर आम तोड़ते समय उससे गलती से एक पत्थर भगवान गणेश की मूर्ति को लग गया। इससे भगवान गणेश क्रोधित हो गए और प्रकट होकर बोले — “तुम्हें माता पार्वती की कृपा से पुत्र तो होगा, लेकिन उसकी उम्र केवल 21 वर्ष होगी।”

यह सुनकर साहूकार घबरा गया, मगर आम लेकर पत्नी को खिला दिया। कुछ समय बाद उन्हें एक पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई।

पुत्र की अल्पायु और विवाह
साहूकार का पुत्र बड़ा होकर पिता के कारोबार में हाथ बंटाने लगा। जब वह 20 वर्ष का हुआ, तो साहूकार अब भी इस डर में था कि उसका बेटा अल्पायु है।

एक दिन पिता-पुत्र तालाब किनारे भोजन कर रहे थे, तभी दो कन्याएं, कमला और मंगला, वहां कपड़े धोने आईं। कमला मंगला से कह रही थी कि उसने सावन में मंगला गौरी व्रत करने का संकल्प लिया है ताकि उसे अखंड सौभाग्य प्राप्त हो। यह सुनकर साहूकार ने सोचा कि कमला इस व्रत के पुण्य से मेरे बेटे के लिए उत्तम वधू होगी।

साहूकार ने कमला के पिता से बात की और उसका विवाह अपने पुत्र से करवा दिया। विवाह के बाद भी कमला हर सावन में विधिपूर्वक मंगला गौरी व्रत रखती रही।

माता पार्वती की कृपा
एक दिन माता पार्वती ने स्वप्न में कमला को दर्शन देकर कहा — “तुम्हारी भक्ति से मैं प्रसन्न हूं। तुम्हें अखंड सौभाग्य का वरदान देती हूं। लेकिन अगले मंगलवार तुम्हारे पति की आयु समाप्त होने वाली है। एक प्याले में मीठा दूध और एक खाली मटका रख देना। जब सर्प आए, तो वह दूध पीकर मटके में चला जाएगा। फिर मटके को कपड़े से ढककर जंगल में छोड़ देना।”

कमला ने वैसा ही किया। मंगलवार को सर्प आया, दूध पिया और मटके में जा बैठा। कमला ने मटका ढककर जंगल में रख दिया। इस तरह मंगला गौरी व्रत के पुण्य से उसके पति की मृत्यु टल गई और वह श्रापमुक्त हो गया।

सुखी जीवन का आशीर्वाद
जब कमला ने यह पूरी घटना परिवार को बताई तो सभी आश्चर्यचकित रह गए। साहूकार और उसकी पत्नी ने बेटे और बहू को आशीर्वाद दिया और परिवार खुशी-खुशी रहने लगा। इस प्रकार मंगला गौरी व्रत के पुण्य से न केवल संतान सुख मिलता है, बल्कि अखंड सौभाग्य और दीर्घायु का आशीर्वाद भी प्राप्त होता है।

इस खबर में दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं और परंपराओं पर आधारित है। नेशनल ख़बर इसकी सत्यता की पुष्टि नहीं करता।

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