
मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता की सख्ती के बाद दिल्ली नगर निगम ने अवैध होर्डिंग्स और पोस्टरों के खिलाफ बड़ा अभियान चलाया। पिछले दो महीनों में 16 हजार से ज्यादा होर्डिंग्स और एक लाख से अधिक पोस्टर हटाए गए। अवैध होर्डिंग्स की वजह से निगम को करोड़ों रुपये का नुकसान हो रहा था। अब निगम ने क्षेत्रीय अधिकारियों को नियमित निरीक्षण करने के निर्देश दिए हैं, ताकि ऐसी गतिविधियों पर लगाम लगाई जा सके।
Written by Himanshi Prakash, National Khabar
मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता के सख्त निर्देशों के बाद एमसीडी ने शहर की सुंदरता बिगाड़ने और नगर निगम के राजस्व को हानि पहुँचाने वाले अवैध होर्डिंग्स व पोस्टरों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की है। पिछले 60 दिनों में निगम की टीमों ने 16,000 से अधिक अवैध होर्डिंग्स और एक लाख से ज्यादा पोस्टरों को हटाकर शहर को साफ-सुथरा बनाने की दिशा में ठोस कदम उठाया है।
पहले ऐसी कार्रवाई आमतौर पर दिल्ली में चुनावी आचार संहिता के दौरान ही होती थी। अब निगम ने यह तय किया है कि क्षेत्रीय उपायुक्त रोजाना अपने-अपने क्षेत्रों का जमीनी निरीक्षण करेंगे और यह सुनिश्चित करेंगे कि शहर की दीवारों और सार्वजनिक स्थलों पर अवैध होर्डिंग्स और पोस्टर न लगाए जाएं और केवल निगम की अधिकृत विज्ञापन साइटों का ही इस्तेमाल हो।
निगम के मुताबिक, मई और जून में 1,00,370 पोस्टर हटाए गए हैं। इसी अवधि में 39,075 बैनर और 16,642 होर्डिंग्स भी हटाए गए। गौरतलब है कि एमसीडी इस समय 14 हजार करोड़ रुपये के घाटे में चल रही है। ऐसे में निगम का नेतृत्व राजस्व के स्रोतों को मजबूत करना चाहता है, लेकिन विज्ञापन और पर्यावरण प्रबंधन सेवाएं विभाग (DEMS) की लापरवाही के चलते निगम को करोड़ों रुपये का नुकसान उठाना पड़ रहा था।
यही कारण है कि दिल्ली की सड़कों, दीवारों और सार्वजनिक स्थलों पर आसानी से अवैध होर्डिंग्स और पोस्टर दिखाई देते थे। लेकिन सरकार बदलने के बाद मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता के निर्देश पर निगम ने सख्ती दिखाई और शहर को गंदा करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने पर मजबूर हुआ।
करोड़ों रुपये के राजस्व का नुकसान
नियमों के मुताबिक, केवल अधिकृत साइटों पर ही आउटडोर विज्ञापन लगाए जाने चाहिए। इसके बावजूद रिहायशी से लेकर व्यावसायिक इलाकों तक अवैध होर्डिंग्स और वाल रैप की भरमार रही। अवैध विज्ञापन आसानी से लग जाने के कारण अधिकृत साइटों पर विज्ञापन नहीं आते, जिससे निगम को करोड़ों रुपये का राजस्व नुकसान होता है।
मेट्रो से सिर्फ 7 करोड़ की कमाई
नगर निगम की मेट्रो संपत्तियों पर लगाए गए विज्ञापनों से होने वाली आय में निगम की 35% हिस्सेदारी है।हालांकि, वित्त वर्ष 2024-25 में नगर निगम को मेट्रो से केवल 7.15 करोड़ रुपये का ही राजस्व प्राप्त हुआ। इस मामले पर पीतमपुरा के पार्षद अमित नागपाल ने सवाल उठाया है। उन्होंने कहा कि मेट्रो के पास प्रमुख स्थान हैं जहां बड़ी संख्या में विज्ञापन लगते हैं, फिर भी निगम को अपेक्षाकृत कम राजस्व मिल रहा है।
उन्होंने कहा कि मेट्रो से राजस्व बढ़ाने की अपार संभावनाएं हैं। इसके लिए विज्ञापन विभाग को गंभीरता से काम करना होगा और रणनीति बनाकर कार्रवाई करनी चाहिए।