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1206: जो कभी विजय रुपाणी का लकी नंबर था, अब बना उनकी आखिरी तारीख!

Vijay Rupani Lucky Number 1206: गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपाणी का लकी नंबर 1206 माना जाता था। हैरानी की बात यह है कि 12 जून यानी 12/06 को हुए एयर इंडिया प्लेन हादसे में उनकी जान चली गई। अब लोगों के मन में सवाल उठ रहे हैं — क्या जो नंबर उनके लिए हमेशा शुभ रहा, वही उनकी जिंदगी का आखिरी पड़ाव बन गया? क्या उनका ‘लकी नंबर’ ही बन गया ‘अनलकी’?

धर्म डेस्क | National Khabar

Vijay Rupani Lucky Number 1206: Air India Plane हादसे में गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपाणी का भी निधन हो गया। इस दुखद दुर्घटना में विमान में सवार 242 में से 241 लोगों की मौत हो गई, केवल एक यात्री ही जीवित बच पाया। यह हादसा 12 जून, गुरुवार को अहमदाबाद में हुआ।

दिलचस्प बात यह है कि विजय रूपाणी का ‘लकी नंबर’ 1206 माना जाता था। उनकी पहली कार और स्कूटर का नंबर भी यही था – 1206। लेकिन अब सोशल मीडिया पर चर्चा तेज हो गई है कि जिस नंबर को वह अपने लिए सौभाग्यशाली मानते थे, वही दिन (12/06) उनके जीवन का अंतिम दिन क्यों बन गया? लोगों के मन में सवाल उठ रहा है – क्या उनका लकी नंबर आखिरकार उनके लिए अशुभ साबित हो गया?

रुपाणी के लिए मंगल ही बन गया अमंगल

विजय रूपाणी के लिए नंबर 1206 हमेशा से लकी माना जाता रहा है। अगर इस संख्या को जोड़ें—1+2+0+6—तो कुल योग आता है 9, जो अंक ज्योतिष में मंगल ग्रह से जुड़ा हुआ है। मंगल को ऊर्जा, साहस और अग्नि तत्व का प्रतीक माना जाता है।

हालांकि, 12 जून 2025 यानी 12|06|2025 का दिन उनके लिए अशुभ साबित हुआ। संयोग देखिए कि इस तारीख का भी योग 9 आता है (1+2+0+6+2+0+2+5 = 18, और 1+8 = 9)। इतना ही नहीं, साल 2025 का कुल अंक भी 9 ही है। ऐसे में साल और तारीख – दोनों मंगल प्रभाव में थे।

इस दौरान गुरु ग्रह अस्त चल रहा था, जिसे शुभ कार्यों और निर्णयों के लिए प्रतिकूल माना जाता है। ऐसे में ज्योतिष के जानकारों का मानना है कि यही ‘मंगल प्रभाव’ इस दिन को रूपाणी के लिए अशुभ बना गया – और उनका लकी नंबर भी एक त्रासदी में बदल गया।

ज्योतिषीय मान्यताओं के अनुसार, 12 जून को गुरुवार का दिन था, और 12 का अंक जोड़ने पर कुल योग 3 आता है, जिसका स्वामी ग्रह गुरु (बृहस्पति) होता है। लेकिन दुर्भाग्यवश, उस समय गुरु अस्त चल रहा था।

ऐसे में कहा जा रहा है कि गुरु की शक्ति क्षीण हो गई थी, और यही वजह रही कि मंगल ग्रह की उग्रता पर नियंत्रण नहीं रह पाया। सामान्य स्थिति में गुरु, मंगल की ऊर्जा को संतुलित करता है और घटनाओं को सकारात्मक दिशा देता है।

विशेषज्ञ मानते हैं कि अगर गुरु अस्त न होते, तो मंगल की उग्रता इतनी प्रभावशाली नहीं होती — और शायद यह भीषण विमान दुर्घटना भी टल सकती थी। इस तरह 12 जून का दिन, जो ज्योतिषीय रूप से गुरु के प्रभाव वाला माना जाता है, गुरु की अनुपस्थिति के कारण एक त्रासदी का दिन बन गया।

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