शहादत के बाद क्या सच में मिलती हैं 72 हूरें ?
रिपोर्ट :- प्रज्ञा झा
आतंकवाद पूरे विश्व के लिए एक बहुत बड़े खतरे के तौर पर उभर रहा है और हर देश इससे निपटने में नाकाम हो चुका है। चाहे वो विश्व का सबसे ताकतवर देश माना जाने वाला अमेरिका हो या किसी भी चुनौती का मुंह तोड़ जवाब देने वाला भारत हो। लेकिन आतंवाद को बढ़ावा एक ही चीज से मिलता है वो है 72 हूरें। 72 हूरों का कांसेप्ट हम इस्लाम धर्म में ज्यादा सुनते है। इसको लेकर एक फिल्म भी बनी है 72 हूरें, ये फिल्म बड़े पर्दे पर आने से पहले ही चर्चा का केंद्र बन चुकी है। तो चलिए आपको बताते हैं की क्या सच में 72 हूरें होती हैं भी या नहीं। ज़ाहिर सी बात है हम इसका जवाब नहीं दे सकते इसके लिए कुछ मीडिया चैनल्स द्वारा इस्लामिक स्कॉलर्स से ही इसका जवाब लिए गया है। सबसे पहले स्कॉलर हैं।
1- डॉ. मुहिउद्दीन गाज़ी
डॉ मुहिउद्दीन गाज़ी इस्लामिक स्कॉलर हैं जब इनसे 72 हूरों के कांसेप्ट के बारे में पूछा गया तो उन्होंने बताया की प्रोफेट मोहम्मद ने कहा है की जो जिहाद करेगा और जिहाद करते हुए जिसकी मृत्यु होगी उसे 22 हूरें इनाम के तौर पर मिलेंगी। लेकिन लोगों ने जिहाद और आतंवाद को एक समझ लिया है। या दोनों ही अलग बातें हैं उन्होंने आगे बताया की प्रोफेट मोहम्मद कहते हैं की जो गलत काम करते हुए या लोगों को तकलीफ देते हुए मृत्यु को प्रति हुआ तो उसे सिर्फ नर्क मिलेगी।
डॉ मुहीउद्दीन की बातों से साफ़ होता हैं की 72 हूरों जैसी चीज तो है लेकिन सिर्फ उनके लिए जो कुछ अच्छा करते हैं न की उनके लिए जो बुरा करते हैं या आतंकवाद को फैलते हैं। लोगों को दुःख देते हैं।
2- अबुल आला सुब्हानी
अबुल आला सुब्हानी एक इस्लामिक स्कॉलर हैं इनके मुताबिक जब सवाल आया हूरों को लेकर तो इन्होने कहा ये सब ढकोसले हैं कुछ लोग बस अपनी दुकान चलने के लिए ये सब करते हैं। ये तो साफ सी बात है की अगर आप अच्छा काम करोगे तो आपको जन्नत ही नसीब होगी और अगर बुरा काम करोगे तो उसकी सजा बुरी होगी।
उन्होंने आगे बोला की अगर आप धरती पर लोगो के सुकून से खिलवाड़ करोगे तो बाद की दुनियां में आपका सुकून चला जाएगा।
ये बात यहाँ साफ़ होती है की हूरों का कांसेप्ट इस्लाम में है। बात करें 72 हूरें फिल्म की तो जब से टीज़र आया तो सुर्खियां बटोर चुका है और कंट्रोवर्सी का भी शिकार हो चुका है अब देखना बाकी है की बड़े पर्दे पर आने के बाद इसका हश्र क्या होता है।