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तिलक क्यों लगाते हैं? जानें इसके धार्मिक, मानसिक और शारीरिक लाभ

तिलक लगाना केवल एक धार्मिक परंपरा नहीं है, बल्कि यह मन और शरीर को ऊर्जा देने का भी एक प्रभावी उपाय है। माना जाता है कि इससे ग्रह दोषों का असर कम होता है और नकारात्मक ऊर्जा दूर रहती है। चंदन, कुमकुम, भस्म और केसर जैसे तिलक के अलग-अलग प्रकार होते हैं, जिनके अपने-अपने खास लाभ होते हैं।

धर्म डेस्क | National Khabar

Tilak Lagane Ke Fayde: तिलक लगाना केवल एक धार्मिक रिवाज नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति की एक गहरी और सार्थक परंपरा है। यह न केवल जीवन में सकारात्मकता और आत्मविश्वास भरता है, बल्कि मन और शरीर को ऊर्जा से भी संपन्न करता है। आजकल लोग तिलक को सिर्फ पूजा-पाठ या मंदिर तक ही सीमित मानते हैं, जबकि इसका संबंध हमारे मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य दोनों से होता है। तिलक लगाने से मस्तिष्क को ठंडक मिलती है, मन शांत रहता है और विचारों में सकारात्मकता बनी रहती है। हमारे पूर्वजों ने तिलक को अपनी दिनचर्या में शामिल कर यह साबित कर दिया था कि भक्ति के साथ-साथ स्वास्थ्य का ध्यान रखना भी उतना ही महत्वपूर्ण है। चाहे कोई शुभ कार्य हो, घर में पूजा हो या रोजमर्रा की शुरुआत—तिलक लगाकर ही कार्य शुरू किया जाता है। यहां तक कि कई लोग स्नान के बाद भी नियमित रूप से तिलक लगाते हैं ताकि दिन भर ऊर्जा बनी रहे और नकारात्मक शक्तियां पास न आ सकें।

तिलक लगाने का धार्मिक और ज्योतिषीय महत्व

हिंदू धर्म में तिलक को शुभ और पवित्र माना जाता है। किसी भी पूजा, व्रत, यज्ञ या हवन के समय तिलक लगाना अनिवार्य समझा जाता है। ऐसा माना जाता है कि तिलक लगाने से भगवान की विशेष कृपा प्राप्त होती है। हमारे माथे का मध्य भाग, जिसे भृकुटि या आज्ञा चक्र कहते हैं, वहां तिलक लगाने से ग्रह दोष कम होते हैं और नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव भी दूर रहता है।

तिलक लगाने के वैज्ञानिक कारण

अगर इसे वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखें, तो तिलक लगाने का एक स्पष्ट लाभ यह है कि यह माथे की नसों को शीतलता प्रदान करता है। इससे तनाव कम होता है और मन को शांति मिलती है। आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में यह एक छोटा लेकिन असरदार उपाय है। जहां आज दुनिया भर में मेडिटेशन और माइंडफुलनेस पर शोध किए जा रहे हैं, वहीं हमारे यहां तिलक लगाने की यह परंपरा हजारों साल पुराना, प्राकृतिक माइंडफुलनेस का तरीका है, जो मन और शरीर को संतुलन देता है।

तिलक के प्रकार:

भारत के अलग-अलग हिस्सों में तिलक लगाने के कई तरीके और प्रकार प्रचलित हैं। हर तिलक का अपना महत्व और प्रतीकात्मक अर्थ होता है। जैसे—

  • चंदन का तिलक – यह मस्तिष्क को ठंडक देने वाला होता है। इसे माथे पर ऊर्ध्व रेखा या त्रिपुंड के रूप में लगाया जाता है।
  • कुमकुम या रोली तिलक – खासतौर पर माता की पूजा में लगाया जाता है। यह सुहाग और मंगल का प्रतीक माना जाता है।
  • भस्म तिलक – शिवभक्त इसे भस्म या राख से लगाते हैं। यह वैराग्य और भक्ति का प्रतीक होता है।
  • केसर तिलक – इसे त्योहारों और विशेष अवसरों पर लगाया जाता है। इसकी सुगंध भी वातावरण को पवित्र कर देती है।
  • हल्दी तिलक – विवाह और मांगलिक कार्यों में लगाया जाता है। यह समृद्धि और शुभता का प्रतीक है।

तिलक कब लगाना चाहिए?

तिलक लगाने का समय और अवसर भी खास होते हैं। इन्हें ध्यान में रखकर तिलक लगाने से अधिक शुभ फल मिलता है। उदाहरण के लिए—

  1. जब आप किसी पूजा, यज्ञ या हवन में शामिल हों।
  2. मंदिर जाने से पहले।
  3. किसी शुभ कार्य, जैसे गृह प्रवेश या विवाह के समय।
  4. व्रत या त्योहार के दिन।
  5. घर पर रोजाना पूजा करते समय।

तिलक लगाना आस्था ही नहीं, स्वास्थ्य और ज्योतिष के लिहाज से भी फायदेमंद है। इसे रोज़ की आदत बनाएं और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा, आत्मविश्वास और शांति पाएं।

Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है। नेशनल ख़बर इसकी पुष्टि नहीं करता है।

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