राष्ट्रीय

11 साल मोदी सरकार: एक विचारधारा, एक यात्रा, एक नया भारत

नोटबंदी से लेकर कृषि कानून तक, सरकार को भारी विरोध और चुनौती मिली, लेकिन नेतृत्व अडिग रहा।

Written by: Himanshi Prakash, National khabar

26 मई 2014 को जब नरेंद्र मोदी ने देश के 15वें प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली थी, तब बहुत से लोगों की निगाहें इस ‘गुजरात मॉडल’ पर टिकी थीं। आज जब ‘मोदी सरकार’ ने अपने 11 साल पूरे कर लिए हैं, तो यह कहना गलत नहीं होगा कि इन वर्षों में भारतीय राजनीति, शासन की शैली और जन-अपेक्षाओं का स्वरूप ही बदल गया है।

जनता से जुड़ाव और बड़े फैसले
नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री बनने के बाद खुद को सिर्फ एक प्रशासक नहीं, बल्कि एक जननेता के रूप में पेश किया। ‘मन की बात’ जैसे संवाद कार्यक्रमों से लेकर ‘स्वच्छ भारत मिशन’, ‘जन धन योजना’, ‘उज्ज्वला योजना’, ‘हर घर जल’, ‘डिजिटल इंडिया’ और ‘आयुष्मान भारत’ जैसी योजनाएं आम जनजीवन में परिवर्तन लाने का दावा करती हैं। इनके पीछे मोदी की सोच साफ थी – गांव, गरीब, किसान और महिलाओं को सशक्त करना।

राष्ट्रवाद और सुरक्षा पर जोर
मोदी सरकार की दूसरी बड़ी पहचान है – राष्ट्रवाद। सर्जिकल स्ट्राइक (2016), एयर स्ट्राइक (2019), और जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाना – ये ऐसे फैसले थे जिन्होंने नरेंद्र मोदी को एक ‘निर्णायक नेता’ की छवि दी। इसके साथ ही ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’, ‘वोकल फॉर लोकल’, और ‘आत्मनिर्भर भारत’ जैसे नारों ने जनता को मानसिक रूप से स्वदेशी की ओर मोड़ा।

अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत की भूमिका
मोदी के कार्यकाल में भारत की वैश्विक छवि में भी बड़ा बदलाव आया। अमेरिका से लेकर जापान और ऑस्ट्रेलिया तक, उन्होंने व्यक्तिगत संबंधों और ‘नेशन फर्स्ट’ की रणनीति के जरिए भारत की वैश्विक साख को मजबूत किया। जी-20 सम्मेलन की अध्यक्षता हो या अंतरराष्ट्रीय योग दिवस – भारत को दुनिया के एजेंडे पर लाने का श्रेय कहीं न कहीं मोदी की नेतृत्व शैली को जाता है।

विवाद, आलोचनाएं और विपक्ष
हालांकि, यह भी सच है कि मोदी सरकार का सफर केवल प्रशंसा का नहीं रहा। नोटबंदी, जीएसटी की शुरुआत, कृषि कानून और अब CAA-NRC जैसे कई मुद्दों पर सरकार को आलोचना और जनआंदोलन का सामना करना पड़ा। लेकिन मोदी ने हर बार खुद को एक अडिग और ‘डिलीवरी ओरिएंटेड’ नेता के तौर पर प्रस्तुत किया।

नया भारत, नया नेतृत्व
11 वर्षों की यात्रा के बाद नरेंद्र मोदी की छवि अब केवल एक प्रधानमंत्री की नहीं, बल्कि एक विचारधारा के प्रतीक के रूप में उभरी है। उनके समर्थक उन्हें ‘विश्व नेता’ मानते हैं, तो आलोचक ‘लोकतंत्र में एक सशक्त नेता की अधिकता’ पर सवाल उठाते हैं। लेकिन दोनों ही पक्ष इस बात से इंकार नहीं कर सकते कि मोदी ने भारतीय राजनीति की परिभाषा को एक नया मोड़ दिया है।

मोदी सरकार के 11 साल एक ऐसी कहानी हैं जिसमें विकास, बदलाव, विरोध और समर्थन – सभी रंग हैं। यह एक ऐसे नेता की यात्रा है जिसने भारत को ‘न्यू इंडिया’ की कल्पना दी, और उसे साकार करने का दावा भी किया। अब सवाल यह है कि अगले वर्षों में यह यात्रा किस दिशा में जाती है – लेकिन फिलहाल, यह स्पष्ट है कि नरेंद्र मोदी भारतीय राजनीति की सबसे प्रभावशाली शख्सियतों में से एक बन चुके हैं।

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