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अब नहीं लगेगी आपको फोन की लत! फोन पर समय बर्बाद करने से पहले सौ बार सोचोगे।

रिपोर्ट- भारती बघेल

क्या आप जानते हैं आज के जमाने में हम लोग अपने फोन को ऑन एवरेज 2 हजार 600 बार टच करते हैं 1 दिन में। इतना ही नहीं एक रिसर्च के अनुसार एक आम इंडियन का कोविड-19 के बाद से उसका स्क्रीन टाइम रहा है 7 घंटे। यानी हर दिन हम 7 घंटे इसकी तरफ देखते रहते हैं। कभी सोशल मीडिया पर स्क्रॉल करते हुए तो कभी यूट्यूब, तो कभी नेटफ्लिक्स पर फिल्में देखते हुए। कुछ भी करते हुए अगर 7 घंटे आप इस पर बर्बाद कर रहे हो तो इससे न सिर्फ आपकी बाकी जिंदगी पर असर पड़ता है, बल्कि आपकी पढ़ाई पर, आपकी जॉब पर, आपके बिजनेस पर, आप की हॉबिज़ पर और साथ ही साथ आपके दिमाग पर भी इसका बहुत असर पड़ता है।

आपने देखा होगा कुछ लोगों को… अगर आप उनका फोन उनसे ले लोगे तो वह इरिटेट होना शुरू हो जाते हैं। और कुछ लोग स्ट्रेस भी फील करते हैं। इसमें कोई डाउट नहीं है कि यह सारी चीजें अब एडिक्शन बन चुकी हैं। आज के वक्त में ये भी एक बहुत बड़ी समस्या है, लेकिन फिर भी बहुत कम लोग इसकी बात करते हैं। नमस्कार नेशनल खबर का हाईवोल्टेज प्रोग्राम देख रहे हैं आप और आपके साथ मैं हूं भारती बघेल

दोस्तों आप यकीन नहीं करोगे लेकिन सोशल मीडिया एडिक्शन को एक्चुअली में सिगरेट, अल्कोहल, और ड्रग्स से कंपेयर किया जाता है। यह सुनकर बहुत अजीब लगेगा। क्योंकि कोकीन और सोशल मीडिया यह दोनों बहुत अलग-अलग चीजें हैं। बात तो बिल्कुल सही है यह बहुत अलग चीजें हैं, लेकिन जो आपकी बॉडी के अंदर एडिक्शन होता है उसे काफी हद तक कम किया जा सकता है। आपकी बॉडी किसी भी एडिक्शन को लेकर एक पैटर्न फॉलो करती है। जिसे डोपेमिन कहा जा सकता है।

अब एक सवाल शायद आपके मन में आ रहा होगा कि हम हर चीज से इतने एडिक्टेड क्यों नहीं बनते। उदाहरण के लिए आईआईटी या पढ़ाई करने के लिए एडिक्टेड क्यों नहीं बनते। पैसे कमाने के लिए एडिक्टेड क्यों नहीं बनते। सिर्फ ड्रग्स, सिगरेट, अल्कोहल और सोशल मीडिया जैसी चीजों से ही एडिक्टेड क्यों बनते हैं।

इसके पीछे दो मैन रीज़न है ।पहला है इज़ ऑफ एक्सेस और दूसरा है स्पीडी रिवॉर्ड। जो चीजें यहां पर हो रही है वह कितनी इज़िली एक्सेसेबल हैं वो और कितनी जल्दी आपको उनका रिवॉर्ड मिल रहा है। यहां पर ये दो रिस्क फैक्टर्स हैं किसी भी चीज से एडिक्टेड बनने के लिए। मान लो आपको रोज़ आसानी से चॉकलेट मिलती रहे और जल्दी-जल्दी मिलती रहे तो डेफिनेटली आप चॉकलेट के भी एडिक्टेड बन सकते हो। शुगर एडिक्शन एक्चुअली में एक चीज होती है, लेकिन आईआईटी क्लियर करने के एडिक्ट आप इसलिए नहीं बन सकते क्योंकि वहां पर आपको कोई भी स्पीडी रिवॉर्डर्ट नहीं मिल रहा है। आपको कई सालों तक मेहनत करनी पड़ती है उस रिवॉर्ड को पाने के लिए। पैसे कमाने के एडिक्ट आप तभी बन सकते हो जब आपके पास इज ऑफ एक्सिस हो। यानी कोई आसान सा तरीका हो पैसे कमाने का। और एक स्पीडी रिवॉर्ड भी मिल रहा हो यानी जल्दी से आपको ज्यादा पैसे मिल रहे हों।

अब बात करें अगर सोशल मीडिया की। तो सोशल मीडिया और आपका फोन बहुत ही इज़ ऑफ एक्सिस है। फेसबुक हो, टि्वटर हो या इंस्टाग्राम हो। आपको बस अपना फोन उठाना है। बस फोन अनलॉक करना है, एक टाइप किया और यह तीनों ऐप फटाफट खुल जाते हैं। दूसरी चीज स्पीडी रिवॉर्ड भीआपको मिल रहा है। जो लाइक आप की पोस्ट पर आ रहे हैं। जो कॉमेंट्स लोग आपको कर रहे हैं। जो मैसेजेस लोग कर रहे हैं। तो ये तो रहा फेसबुक का। लेकिन जो ट्विटर पर, इंस्टाग्राम पर और यूट्यूब पर आप जो वीडियोज़ देख रहे हैं उनसे आपका एंटरटेनमेंट हो रहा है। तो जो एंटरटेनमेंट आपका हो रहा है यह एक रिवॉर्ड है।

सबसे बेकार और खतरनाक चीज यह है कि यह सारी सोशल मीडिया कंपनिज़ ने जानबूझकर अपने आप को ऐसा बना रखा है। उन्होंने बहुत डिटेल में स्टडी की, कि साइक्लोजिकली किससे लोग ज्यादा आकर्षित होते हैं। किन चीजों से ज्यादा लोग एडिक्टेड बनते हैं। क्या करने से लोग हमारे ऐप का ज्यादा इस्तेमाल करेंगे। कैसे वह ज्यादा टाइम तक स्क्रीन पर अपना टाइम बिताएंगे। और उन्होंने इसी तरह से मैनुप्लेट किया अपने आप को। इन कंपनीज़ ने आप लोगों को एक शिकार की तरह देखा और आपके लिए बड़ी ही चालाकी से वहां पर जाल बिछाया।

कई सारे कारणों के चलते सोशल मीडिया का यह एडिक्शन आपकी जिंदगी के लिए हानिकारक है। पहला और सबसे सिंपल रीज़न है कि आपका टाइम बर्बाद हो रहा है। इसके अलावा रेडिकलाइजेशन बढ़ता है। इससे इनसिक्योरिटी और डिप्रेशन बढ़ता है।

अब बात करते हैं इस एडिक्शन के सोल्यूशन की। तो अगर आपको लग रहा है कि आपका एडिक्शन इतना ज्यादा नहीं है तो नोटिफिकेशंस ऑफ कर दो। अगर आपको लग रहा है कि आप थोड़े ज्यादा एडिक्टेड हो तो ऐप डिलीट कर दो। अगर आपको लगता है कि आपको और भी ज्यादा एडिक्शन है इसे और भी कम करना है तो ऐसा करो आप सिर्फ प्राइवेट ब्राउजिंग में जाकर इन ऐप को खोला करो। इसका मतलब यह हुआ कि जब भी आप फेसबुक, टि्वटर, इंस्टाग्राम खोलोगे तो आपको ब्राउज़र पर अपना पासवर्ड हर बार डालना पड़ेगा। इससे आपका जो इज़ ऑफ एक्सेस है वह और ज्यादा मुश्किल हो जाएगा। तो सिंपल लॉजिक है जितना मुश्किल होगा आपके लिए यह एक्शन करना, उतना ही अच्छा है आपके एडिक्शन के लिए। उतना ही कम एडिक्टेड आप बनोगे।

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