ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के हौज में मिला शिवलिंग, कोर्ट के आदेश पर स्थल सील

रिपोर्ट- भारती बघेल

यह संयोग ही है कि भगवान शिव की आराधना के दिन सोमवार को बाबा विश्वेश्वर नाथ मंदिर के निकट ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में उनका एक और प्रतिरूप शिवलिंग के रूप में मिला। शिवलिंग मिलने की खबर बाहर आते ही सड़कों पर लोग भाव विह्वल हो उठे। और बाबा मिल गए की गूंज पूरी काशी में लगने लगी। मंदिर पक्ष के वकील ने बताया कि मस्जिद परिसर में बने हौज जिसे छोटा तालाब कहां जा सकता है, का पानी निकालने पर शिवलिंग सामने आया। कोर्ट के आदेश पर उक्त स्थान को सील कर दिया गया है।

मंदिर पक्ष की मांग पर कोर्ट ने इसकी सुरक्षा की जिम्मेदारी डीएम, पुलिस कमिश्नर व सीआरपीएफ कमांडेंट को सौंपी है। रविवार को कार्यवाही के दौरान ही मंदिर पक्ष ने मुख्य गुंबद के पूरब और मंदिर में स्थित नंदी विग्रह से लगभग 40 फीट दूरी पर शेड के नीचे स्थित हौज का पानी निकाल कर देखने का आग्रह किया था। इसके लिए नगर निगम की टीम बुलाई गई थी। इस हौज में वजू का पानी इकट्ठा होता है। करीब 10,000 लीटर पानी निकाला गया। पूरी कार्यवाही की फोटोग्राफी व वीडियोग्राफी की गई।

सुबह 10:30 पर सर्वे पूरा होने के बाद मंदिर पक्ष के लोग जैसे ही बाहर आए। खुशी से दमकते उनके चेहरे देख सड़क पर खड़े लोगों ने हर-हर महादेव के उद्घोष से स्वागत किया। यह संयोग ही है कि 8 साल पहले 16 मई 2014 को ही नरेंद्र मोदी पहली बार बनारस के सांसद बने थे।

सबसे पहले बाहर आए वादी पक्ष के पैरोकार सोहनलाल आर्य ने पत्रकारों से बातचीत की शुरुआत ही “जिन खोजा तिन पाइयां गहरे पानी पैठ” से की और संकेत दे दिए। उन्होंने एडवोकेट कमिश्नर की कार्यवाही को लेकर संतोष जताया। यह भी कहा कि नंदी महाराज जिसका इंतजार कर रहे थे वह बाबा मिल गए। वादी पक्ष के वकील सुधीर त्रिपाठी ने कहा “अंत भला तो सब भला”। सर्वे के दौरान कोई मलबा नहीं हटाया गया है। दावे के सापेक्ष मजबूत साक्ष्य मिले हैं। जिसे कोर्ट में दाखिल किया जाएगा।

मंदिर पक्ष के वकील हरिशंकर जैन ने कार्यवाही खत्म होते ही अदालत में प्रार्थना पत्र देकर इस स्थान को सील कराने की मांग की। सिविल जज रवि कुमार दिवाकर की अदालत ने जिलाधिकारी पुलिस कमिश्नर और सीआरपीएफ कमांडेंट को आदेश दिया कि जहां शिवलिंग प्राप्त हुआ है उसे तत्काल प्रभाव से सील कर दें।

हौज का पानी निकालने का वीडियो देर शाम वायरल हुआ। जिसमें हौज के अंदर जो कूप है उसमें शिवलिंग की आकृति साफ दिख रही है। ऐसा प्रतीत हो रहा है कि शिवलिंग के शीर्ष पर सीमेंट जमा कर उसे 5 भागों में बांटा गया है। हालांकि नेशनल खबर इस वीडियो की पुष्टि नहीं करता है। एडवोकेट कमिश्नर की 4 दिनों तक चली लगभग 13 घंटे की कार्यवाही में ज्ञानवापी मस्जिद परिसर की बाहर से लेकर भीतर तक फोटोग्राफी व वीडियोग्राफी की गई। इसमें गुंबद की संरचना असामान्य पाई गई है। यानी ऐसा लगता है कि जैसे इन्हें अलग से बनवाया गया है।

तहखानों में कई स्थानों पर मिले मलबे की सफाई में कलश और स्वास्तिक चिन्ह मिला। समय की बंदिशों के कारण मलबा पूरी तरह साफ नहीं किया जा सका है। कुछ हिस्सा ईट की दीवार से बंद होने के कारण उसे भी अंदर से नहीं देखा जा सका। और शिवलिंग मिलने के बाद वादी पक्ष के लोगों ने इसकी कार्बन डेटिंग की मांग उठाना शुरू कर दी है। ताकि पता चले कि वह कितना पुराना है।

शिवलिंग मिलने के दावे का मुस्लिम पक्ष ने किया इन्कार


प्रतिवादी पक्ष अंजुमन इंतजामिया मसाजिद के वकील मुमताज अहमद ने मस्जिद परिसर में शिवलिंग के मिलने के मंदिर पक्ष के दावे से इंकार कर दिया है। कहा जिसे शिवलिंग बताया जा रहा है वह फव्वारा है।

वाराणसी स्थित ज्ञानवापी मस्जिद के तालाब में शिवलिंग मिलने तथा क्षेत्र को सील किए जाने की जानकारी इलाहाबाद हाई कोर्ट के संज्ञान में ला दी गई है। सोमवार को भोजनावकाश के बाद जैसे ही न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया की पीठ में सुनवाई शुरू हुई। कोर्ट को बताया कि वाराणसी में एडवोकेट कमिश्नर के सर्वे के दौरान शिवलिंग मिला है। और संबंधित क्षेत्र सील करने का आदेश संबंधित निचली अदालत ने जारी किया है। मामले में अगली सुनवाई 20 मई को होगी।

मंदिर पक्ष के अधिवक्ता विजय शंकर रस्तोगी ने कहा कि विवादित स्थल में मंदिर के अवशेष मिलने लगे हैं। इससे स्पष्ट है कि विवादित स्थान पर भगवान विश्वेश्वर मंदिर का अस्तित्व प्राचीन काल यानी सतयुग से अब तक चला आ रहा है। इससे पहले इंतजामिया मसाजिद एवं सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के अधिवक्ता पुनीत गुप्ता ने कहा कि निचली अदालत जिस मामले की सुनवाई कर रही है, वह प्लेसिस आफ वर्शिप एक्ट 1991 की धारा 4 के अंतर्गत प्रतिबंधित है।

इस धारा में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि उपासना स्थल की जो नवैयत 15 अगस्त 1947 में थी, वह बदली नहीं जा सकती। वर्ष 1947 में ही राज्य सरकार ने इसे मस्जिद घोषित कर सुन्नी वक्फ बोर्ड के हवाले कर दिया था।

यह है पूरा मामला


वर्ष 1991 में पंडित सोमनाथ व्यास एवं अन्य ने सिविल जज वाराणसी की अदालत में दीवानी मुकदमा दाखिल किया था। प्रकरण में बीते साल सिविल जज ने पुरातत्व सर्वेक्षण कराने का आदेश दिया था। अंजुमन इंतजामिया मस्जिद एवं सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के सिविल जज ने आदेश के खिलाफ याचिका की है।

22 गुणा 22 फीट का है हौज


शिवलिंग मिलने पर दोनों पक्षों के अपने-अपने दावे हैं। शिवलिंग के आकार प्रकार को लेकर कई तरह की चर्चा रही है। इसे हरे रंग का बताया गया, लेकिन किसी ने इसकी पुष्टि नहीं की। बताया जा रहा है कि शिवलिंग पर पांच स्थानों पर क्रॉस लगाया गया है। इसके चारों ओर सीमेंट और ईट से गोल घेरा बना हुआ है। इस शिवलिंग का व्यास करीब 6 फीट का और लंबाई 10 फीट से अधिक बताई जा रही है।

हौज वर्गाकार है। जिसकी एक ओर की लंबाई करीब 22 फीट है। और गहराई लगभग 6 फीट है। इसमें समान दूरी पर स्थित नल तीन तरफ लगे हुए हैं। इसका एक वीडियो भी वायरल हुआ। लेकिन इसकी सत्यता की पुष्टि नहीं हो सकी।

सर्वे के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई आज


वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद के सर्वे के खिलाफ दाखिल मसाजिद कमेटी की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और पीएस नरसिम्हा की पीठ मंगलवार को सुनवाई करेगी। अंजुमन इंतजामिया मसाजिद ने याचिका दाखिल कर इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। हाईकोर्ट ने सर्वे पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था। मसाजिद कमेटी की ओर से गत शुक्रवार को प्रधान न्यायाधीश एनवी रमणा की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष याचिका का जिक्र करते हुए मामले पर जल्द सुनवाई करने और यथास्थिति कायम रखने का आदेश कोर्ट से देने का अनुरोध किया गया था।

लेकिन कोर्ट ने कहा कि वे पहले केस की फाइल देखेंगे। इस बीच वाराणसी के सिविल जज के आदेश पर एडवोकेट कमिश्नर ने मस्जिद परिसर में सर्वे का काम पूरा कर लिया है।

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