रिपोर्ट: प्रज्ञा झा
CBI यानी ‘केंद्रीय जांच ब्यूरो’ ये नाम सुनते ही सबसे पहले दिमाग में एक ही चीज आती है, एक ऐसा संगठन जो देश की सरकार के लिए अलग अलग जगहों पर छान बीन करता है। आज सीबीआई नाम देश के हर शक्स के दिमाग में अपनी विशेष जगह बना चुका है, क्यूंकि पिछले कुछ सालों में सीबीआई और ईडी यानी प्रवर्तन निदेशालय काफी ज्यादा चर्चा में रहे है। कुछ समय से सीबीआई के छापेमारी के सिलसिले ने काफी तूल पकड़ना शुरू कर दिया है। इसी क्रम में 19 अगस्त को सीबीआई ने मनीष सिसोदिया के घर और ऑफिस पर आबकारी नीति में घोटाले को लेकर छपे मारी की ये छापेमारी करीबन 14 घंटो तक चली थी और उसके बाद कई गंभीर आरोप भी उपमुख्यमंत्री पर लगाए गए है।
कितने अन्य नेता और भी रहे है जिन पर घोटाले के आरोप लगाए गए है।
ओम प्रकाश चौटाला:- हरियाणा के पूर्व सीएम ओम प्रकाश चौटाला को उनकी कमाई से 189 प्रतिशत अधिक संपत्ति होने के कारण उन्हें 26 मई को सीबीआई द्वारा हिरासत में ले लिया गया था।उनपर ये आरोप लगाया गया था की वो 24 जुलाई 1999 से लेकर 5 मार्च 2005 तक हरियाणा के सीएम रहते हुए अपनी अमूमन आय से ज्यादा संपत्ति के मालिक है। सीबीआई ने इस मामले की जांच के बाद 26 मई 2010 को चौटाला के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया था। और इस मामले में दोषी पाए जाने पर उन्हें गिरफ्तार भी कर लिया गया ।
अर्पिता मुखर्जी / पार्थ चटर्जी :- तृणमूल कांग्रेस के पूर्व मंत्री पार्थ चटर्जी और उनकी सहयोगी अर्पिता मुखर्जी के घर पर छापे पारी की गई थी जिसमे अर्पिता मुखर्जी घर 49.8 करोड़ रूपए केस,सोना, ज्वैलरी की पुष्टि की गई। बताया ये गया की कुल मिला कर ये 53 करोड़ रुपए है।ये सारा पैसा एससी घोटाला करके कमाया गया था। पार्थ चटर्जी से अर्पिता मुखर्जी पैसे रखने के 30 प्रतिशत कमीशन लेती थी। इस बात का पता चलते ही ईडी यानी प्रवर्तन निदेशालय ने पार्थ चटर्जी और अर्पिता मुखर्जी को हिरासत में ले लिया गया ।
अभिषेक बैनर्जी:- वेस्ट बंगाल की मुखमंत्री ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी और उनकी पत्नी के ऊपर जुलाई महीने में कोयला घोटाले में सामिल होने का आरोप लगाया गया था। जिसमे ये कहा गया की प्राइवेट कंपनियों द्वारा उस कोयले का इस्तेमाल किया जा रहा था जिसमे अभिषेक बनर्जी के सामिल होने का दावा किया गया और जिसके बाद अभिषेक और उनकी पत्नी को सीबीआई द्वारा सम्मन भी भेजा गया।
अनुब्रत मंडल :- तृणमूल कांग्रेस नेता अनुब्रत मंडल का नाम पशु तस्करी में शामिल किया गया था। उन्होंने बताया कि सीबीआई की चार सदस्यों की टीम अतिरिक्त जिला उप रजिस्ट्रार के कार्यालय मामले में छापेमारी के दौरान जब्त किए गए दस्तावेजों के साथ पहुंची। अधिकारियों ने बताया कि कई संपत्ति उनके हाथ लगे है जो किसी और के नाम पर है पर जिनका मालिकाना हक मंडल के पास ही है। जबकि इस बात को लेकर मंडल ने पूरी तरह से मना कर दिया था। जिसके बाद ये भी पता चला था की उनकी एक चावल की फैक्ट्री है जिसकी 50 प्रतिसत मालिक उनकी पत्नी और 50 प्रतिसत उनकी बेटी के नाम पर था।
भूपिंदर सिंह हुड्डा :- भूपिंदर सिंह हुड्डा का नाम मानेसर लैंड केस में शामिल किया गया। मानेसर के तीन गांवों में किसानों को अधिग्रहण के नाम पर डराकर उनसे सस्ती दरों पर जमीन खरीदकर बाद में बिल्डरों के साथ साठगांठ कर सरकार को करोड़ों रुपये का चूना लगाया गया था। आरोपियों ने मानेसर, नौरंगपुर और लखनौला के किसानों और जमीन मालिकों को आईएमटी के नाम पर जमीन अधिग्रहण का भय दिखाकर कुछ नेताओं के साथ मिलकर जमीन की खरीद फरोख्त में धोखाधड़ी की। अधिग्रहण का भय दिखाकर किसानों से जमीन लेने के लिए आरोपियों ने कुछ दस्तावेजों पर फर्जी हस्ताक्षर भी किए थे। आरोपियों पर हुड्डा सरकार के कार्यकाल के दौरान करीब 900 एकड़ जमीन का अधिग्रहण कर उसे बिल्डर्स को कम दाम पर बेचने का आरोप हैं।
ये लिस्ट यही खतम नहीं होती इसे और भी कई नेता है जिनपर सीबीआई की रेड पड़ी है और अभी वो हिरासत में लिए जा चुके है।
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