राजपथ हुआ कर्तव्यपथ
रिपोर्ट: प्रज्ञा झा
राजपथ का नाम कर्तव्य पथ करने के फैसले पर NDMC द्वारा अनुमति पत्र पर मोहर लगा दी गई है । यानी की अब “राजपथ” “कर्तव्य पथ” के नाम जाना जाएगा। 102 सालों में तीसरी बार राजपथ का नाम बदला गया है। पहले “किंग्सवे” फिर “राजपथ” जो की किंग्सवे का ही हिंदी अनुवाद है ,और अब “कर्तव्य पथ”। इस फैसले के बाद केंद्र मंत्री मीनाक्षी लेखी देशवासियों को इस फैसले की बधाई दी है और कहा है कि इस राजपथ का नाम बदलने का फैसला हमारे देश की तरफ कर्तव्यनिष्ठा का मार्ग दिखाता है।
कहां से शुरू होती है राजपथ
राजपथ रायसिना हिल्स पर स्थित राष्ट्रपति भवन से शुरू होती है और इंडिया गेट तक जाती है यह सड़क महत्वपूर्ण इसलिए भी है क्योंकि यहां हर साल गणतंत्र दिवस स्वतंत्रता दिवस पर परेड निकाली जाती है। दिल्ली में इसी एरिया को लुटियन जोन भी कहा जाता है। यहां पर राष्ट्रपति भवन से लेकर प्रधानमंत्री के आवास तक सारी चीजें स्थित होती है।
किसकी सलाह से रखे गए सड़कों के नाम
हमारे देश में हर सड़क के अपने अलग नाम है जिनसे उन्हें जाना चाहता है जैसे अकबर रोड, पृथ्वीराज रोड, जहांगीर रोड आदि कोई विशेष नाम जिनके नाम से सड़कों को जाना चाहता है ।सवाल यह उठता है कि आखिर यह सड़कों के नाम किसकी सलाह से रखे गए और दिल्ली में जितनी भी सड़कें हैं उनके नाम क्यों है।
पहले किंग्सवे का ही नाम ले लेते हैं तो किंग्सवे नाम सेंट स्टीफन कॉलेज के हिस्ट्री के प्रोफेसर पर्सिबल स्पियर ने दिया था। दरअसल नई दिल्ली के सभी सड़कों का नाम उन्हीं के सलाह से अंग्रेजी सरकार ने रखे थे।
आम तौर पर दिल्ली की डिजाइनर बिल्डिंग्स की बात तो लोग करते है और इस बारे में काफी इंफॉर्मेशन भी निकाल कर रखते हैं लेकिन ज्यादातर लोग यह खोजना भूल जाते हैं कि इन चौड़ी चौड़ी सड़कों का निर्माण किसने करवाया। उनका नाम था सरदार नारायण सिंह।
राजपथ का इतिहास
साल 1911 में ब्रिटिश द्वारा जब कोलकाता को छोड़कर दिल्ली को राजधानी बनाने का फैसला किया गया, तो दिल्ली के एक इलाके को डिजाइन करने का काम एडवर्ड लुटियन और हरबर्ट बेकर को सौंपा गया। साल 1920 में जब राजपथ बनकर तैयार हुआ तो इसे “किंग्सवे” का नाम दे दिया गया। जिससे हिंदी में “राजा का मार्ग” भी कहा जाता है। भारत की आजादी के बाद से किंग्सवे का नाम बदलकर राजपथ कर दिया गया, जोकि किंग्सवे का ही हिंदी अनुवाद है। वहीं 75 साल के आजादी के बाद इस राजपथ का नाम बदलकर कर्तव्य पथ कर दिया गया अब सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा से लेकर इंडिया गेट तक का सारा रास्ता “कर्तव्य पथ” के नाम से जाना जाएगा। इसे एक और नाम से जाना जाता है, जो है लटियंस दिल्ली क्योंकि इससे डिजाइन करने का सारा काम लुटियंस ने ही किया था।
कैसे बदला जाता है नाम
किसी भी शहर सड़क या गांव के नाम को बदलने के लिए गृह मंत्रालय की एक गाइडलाइन है जो कि गृह मंत्रालय ने 27 सितंबर 1975 को जारी की थी इस गाइडलाइन के मुताबिक ही कोई भी सरकार
- किसी सड़क, शहर या गांव का नाम बदल सकती है लेकिन उसमें साफ लिखा गया है कि अगर कोई सड़क नई है तो उसका नाम बदला जा सकता है ।
- लेकिन कोई भी सड़क,शहर या गांव पुराना है तो उसका नाम नही बदला जा सकता।
- आगे कोई भी गांव,शहर या जगह का नाम अगर भूत ज्यादा पुराना है तो सरकार उसका नाम बदल सकती है।
- किसिभी चीज का नाम बदलने से पहले ये बात ध्यान में रखनी होती है की किसकी भावनाओ को ठेस न पहुंचे।
क्या दिल्ली में पहले भी नाम बदले गए है।
तो हां ऐसा कई बार किया गया है की सड़कों के नाम बड़ा देते गए है। जैसे की किंग्स वे का नाम राजमार्ग, जनपथ का नाम क्वींस वे था। इसका नाम भी आजादी के बाद ही बदला गया था।
इसी कड़ी में करनाल रोड को बदल कर कस्तूरबा गांधी रोड इस तरह और भी कई ऐसी सड़के रही है जिनके नाम को बदला गया था।